असम में बाढ़ ने अब तक 21 लोगों की ली जान, 4 लाख से ज़्यादा लोगों की जिंदगी खतरे में
असम, भारत का पूर्वोत्तर राज्य, हर साल मानसून के दौरान भयंकर बाढ़ की चपेट में आ जाता है. ब्रह्मपुत्र और इसकी सहायक नदियां जब उफान पर होती हैं, तो गांव-के-गांव जलमग्न हो जाते हैं, सड़कों से लेकर खेतों तक सबकुछ डूब जाता है. इस प्राकृतिक आपदा से न केवल इंसानों की ज़िंदगियां प्रभावित होती हैं. बल्कि राज्य की जैव विविधता पर भी खतरा मंडराने लगता है.

2025 के मानसून में भी असम को वही पुराना जल-संकट झेलना पड़ा है. लाखों लोग बेघर हुए हैं, सैकड़ों गांव पानी में समा चुके हैं, और जान-माल का भारी नुकसान हो चुका है. प्रशासन राहत कार्य में जुटा है, लेकिन असम के लिए बाढ़ अब एक मौसमी आपदा नहीं, बल्कि एक हर साल लौटने वाली त्रासदी बन चुकी है.
शनिवार को असम में आई भीषण बाढ़ की स्थिति में थोड़ी नरमी जरूर आई, लेकिन त्रासदी का असर अब भी व्यापक है. ब्रह्मपुत्र समेत राज्य की कई प्रमुख नदियों में जलस्तर में गिरावट दर्ज की गई है, फिर भी बाढ़ से तबाही जारी है. 18 जिलों के लाखों लोग अब भी मुश्किल हालातों से जूझ रहे हैं.
21 लोगों की गई जान
सरकारी सूत्रों के अनुसार, बारिश और बाढ़ से जुड़े हादसों में अब तक 21 लोगों की जान जा चुकी है. गुवाहाटी के रूपनगर क्षेत्र में शनिवार सुबह हुए भूस्खलन में एक शख्स के लापता होने की खबर है. हालांकि अब तक किसी नई मौत की पुष्टि नहीं हुई है.
बरसात में थोड़ी राहत, पर खतरा अब भी बना है
राज्य के कई हिस्सों में बारिश की तीव्रता घट गई है, जिससे जलस्तर कम होने लगा है. कुछ इलाकों में रुक-रुक कर हल्की बारिश हो रही है. इसके बावजूद, ब्रह्मपुत्र नदी धुबरी में अब भी खतरे के निशान से ऊपर बह रही है. इसके साथ-साथ कोपिली नदी (धरमतुल), बराक नदी (कटखल, हैलाकांडी), कुशियारा नदी (श्रीभूमि) इन नदियों में भी तेज बहाव बना हुआ है.
गांव डूबे, हजारों बेघर
राज्य के 54 प्रशासनिक क्षेत्रों में करीब 1,296 गांव बाढ़ की चपेट में आ चुके हैं. 16,500 हेक्टेयर कृषि भूमि जलमग्न हो गई है. लगभग 3 लाख से अधिक पालतू जानवर प्रभावित हुए हैं. 328 राहत शिविरों में 40,313 लोग शरण लिए हुए हैं. 1.19 लाख लोग राहत वितरण केंद्रों से सहायता पा रहे हैं.
मुख्यमंत्री का दौरा और भरोसा
राज्य के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने हाल ही में बराक घाटी का दौरा कर हालात का जायजा लिया. उन्होंने वादा किया है कि ' पुनर्वास सहायता समय पर दी जाएगी. दुर्गा पूजा से पहले क्षतिग्रस्त सड़कें और पुल ठीक किए जाएंगे. भले ही बाढ़ का पानी धीरे-धीरे उतर रहा है, लेकिन अगले कुछ दिनों में फिर से बारिश की संभावना है. विशेष रूप से पहाड़ी और ढलान वाले इलाकों में भूस्खलन का जोखिम बरकरार है. प्रशासन हाई अलर्ट पर है और राहत कार्य युद्ध स्तर पर जारी हैं.