क्या है सिंगापुर के साथ Mutual Legal Assistance Treaty, क्या सुलझेगी जुबिन गर्ग की मौत की गुत्थी?
Zubeen Garg की मौत ने सभी को सदमे में डाल दिया. सिंगर का अचानक यूं जाना पूरे देश के लिए हैरानी की बात है. अब जुबिन की मौत की गुत्थी सुलझाने के लिए असम सरकार ने भारत-सिंगापुर संधि पर काम करना शुरू कर दिया है.

असम और देश के फेमस सिंगर जुबिन गर्ग का अचानक इस तरह जाना पूरे देश को झकझोर गया है. 19 सितंबर को सिंगापुर में एक बोट ट्रिप के दौरान उनकी मौत हो गई, लेकिन यह घटना कई सवाल खड़े करती है. आखिर क्या यह सिर्फ एक हादसा था या इसके पीछे कोई और कहानी छिपी है?
इसी गुत्थी को सुलझाने के लिए भारत सरकार ने एक बड़ा कदम उठाया है. केंद्र ने 2005 में सिंगापुर के साथ हुई म्यूचुअल लीगल असिस्टेंस ट्रीटी (MLAT) को एक्टिव कर दिया है, ताकि जांच में कानूनी और आधिकारिक सहयोग मिल सके.
असम सरकार की पहल और केंद्र का सहयोग
जुबिन की मौत के बाद असम सरकार ने केंद्र से अपील की थी कि वह सिंगापुर से कानूनी सहायता मांगे. मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने गृह मंत्रालय को कहा कि इस मामले की तह तक जाने के लिए भारत-सिंगापुर संधि का सहारा लिया जाए. गृह मंत्रालय ने तुरंत कदम उठाते हुए सिंगापुर सरकार को फॉर्मल रिक्वेस्ट भेजा है.
सिंगापुर पहुंचे जांच अधिकारी
असम सरकार ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए एक विशेष जांच दल का गठन किया है. इस SIT का नेतृत्व विशेष पुलिस महानिदेशक एमपी गुप्ता कर रहे हैं. कुल 10 अधिकारियों की यह टीम हर एंगल से जांच कर रही है. दिलचस्प बात यह है कि SIT के दो सीनियर ऑफिसर पहले ही सिंगापुर पहुंच चुके हैं. वे वहां की पुलिस और प्रशासनिक एजेंसियों से सहयोग लेने में जुटे हैं. अब MLAT संधि एक्टिव होने के बाद उन्हें और व्यापक अधिकार मिल जाएंगे, जैसे सबूत जुटाना, गवाहों के बयान दर्ज करना और रिकॉर्ड हासिल करना.
क्या है MLAT और क्यों है अहम?
भारत और सिंगापुर ने साल 2005 में एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे, जिसे पारस्परिक कानूनी सहायता संधि (MLAT) कहा जाता है. इस समझौते का मकसद है कि दोनों देश एक-दूसरे की मदद करें, खासकर अपराध से जुड़ी जांच में. अगर कोई अपराध या संदिग्ध गतिविधि किसी देश में होती है और उसका भारत से कोई संबंध होता है, तो इस संधि के जरिए दोनों देश एक-दूसरे से जानकारी और सहयोग प्राप्त कर सकते हैं.
MLAT के तहत जांच एजेंसियां
इसके तहत एजेंसियां गवाहों के बयान, फॉरेंसिक रिपोर्ट, सीसीटीवी फुटेज और बैंकिंग रिकॉर्ड हासिल कर सकती हैं. साथ ही, सर्च और सीजर की कार्रवाई कर सकती हैं. इसके अलावा, हिरासत में व्यक्ति के ट्रांजिट की व्यवस्था कर सकती हैं. कानूनी दस्तावेजों का उत्पादन आदेश या विदेशी संपत्तियों की जब्ती सुनिश्चित कर सकती हैं.
जुबिन केस में क्यों ज़रूरी है संधि?
जुबिन गर्ग की मौत सिंगापुर में हुई, इसलिए भारत अकेले जांच पूरी नहीं कर सकता. स्थानीय प्रशासन और वहां की कानूनी प्रक्रियाओं की जरूरत होगी. इस स्थिति में MLAT सबसे मजबूत आधार बनती है. इसके तहत भारत आधिकारिक रूप से सिंगापुर से सबूत, रिपोर्ट और गवाहों तक पहुंच सकता है. यही नहीं, अगर इस जांच में किसी आरोपी का नाम सामने आता है तो उसके प्रत्यर्पण और न्यायिक कार्रवाई में भी यह संधि अहम भूमिका निभा सकती है.