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असम में सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलने वाला मटक समुदाय कौन, क्‍या हैं उनकी मांगें?

Assam GEN Z Protest: मटक समुदाय असम की एक समूह है, जिसका इतिहास धर्म, राजनीति और सामाजिक पहचान से गहरा जुड़ा है. समुदाय की मांग है कि उन्हें अनुसूचित जनजाति का दर्जा और पूर्ण स्वायत्तता मिले. अब GEN Z प्रोटेस्ट कर रहे हैं. सीएम बिस्वा सरमा मटक समुदाय को बातचीत के लिए बुला रहे हैं लेकिन वह बात करने से मना कर रहे हैं.

असम में सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलने वाला मटक समुदाय कौन, क्‍या हैं उनकी मांगें?
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( Image Source:  @GauravGogoiAsm )

Assam GEN Z Protest: हाल ही में नेपाल में GEN Z का प्रोटेस्ट देखने को मिला, जिसने तख्तापलट कर दिया. अब असम में GEN Z सड़कों पर उतर आए हैं. दरअसल पिछले दस दिनों से मटक समुदाय अपनी मांगों को लेकर विरोध-प्रदर्शन कर रहा है. दो बार रैली भी हो चुकी है और 30-40 हजार आदिवासी हाथ में मशाल लेकर नजर आए.

6 आदिवासियों का समूह डिब्रूगढ़ से कई जिलों तक रैली निकाल रहा है. मटक समुदाय की मांग है कि उन्हें अनुसूचित जनजाति का दर्जा और पूर्ण स्वायत्तता मिले. पांच अन्य जनजातियां भी हैं. आगे हम इस मटक समुदाय के बारे में बताएंगे.

क्या है मटक समुदाय?

मटक समुदाय असम के इतिहास से जुड़ा है. 18वीं सदी में जब अहोम राज्य धीरे-धीरे कमजोर पड़ रहा था, तब मटक समुदाय एक सशक्त सामाजिक और राजनीतिक शक्ति के रूप में उभर को सामने आने लगा. मटक लोगों का मुख्य रूप से ऊपरी असम में निवास है, विशेषकर डिब्रूगढ़ और तिनसुकिया जिलों के आसपास रहते हैं.

मटक समुदाय की पहचान मोअमोरिया (Moamoria) आंदोलन से होती है, जिसमें उन्होंने अहोम राजशाही के विरुद्ध विद्रोह किया था. इस संघर्ष के बाद वर्ष1805 में मटक को अहोम राज्य ने एक स्वायत्त क्षेत्र मटक राज्य के रूप में मान्यता दी. फिर बारसेनापति (Barsenapati) देकर शासक की नियुक्ति की गई.

क्या है मांगें?

मटक समुदाय की मांग है कि उन्हें एसटी का दर्जा दिया जाए. क्योंकि उनका काफी पुराना इतिहास है. वो दावा कर रहे हैं कि वे समय के साथ लगातार साबित कर चुके हैं कि ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और आर्थिक सामाजिक दृष्टि से उनकी स्थिति उन्हीं जाती-समूहों जैसी है जो पहले से अनुसूचित जनजाति में हैं.

बता दें कि साल 2019 में केंद्र सरकार ने छह समुदायों मटक, मोरान, चैत जनजाति, ताई अहोम, चुटिया और कोच-राजबोंगशी को एसटी सूची में शामिल करने की प्रक्रिया शुरू करने की बात कही थी. लेकिन अभी तक इसे पूरा नहीं किया गया.

असम में बढ़ रहा तनाव

मटक समुदाय का आंदोलन दिन पर दिन बढ़ता जा रहा है, जिसमें राज्य की बड़ी आबादी शामिल है. उनके प्रतिनिधियों ने अपनी मांगों से लेकर सरकार से कई बार बात की लेकिन कुछ बात नहीं बनी. सीएम बिस्वा सरमा मटक समुदाय को बातचीत के लिए बुला रहे हैं लेकिन वह बात करने से मना कर रहे हैं.

विवाद पर क्या बोले मटक नेता?

इस विवाद पर ऑल असम मटक स्टूडेंट यूनियन का बयान सामने आया. केंद्रीय समिति अध्यक्ष संजय हजारिका ने कहा है कि मटक समुदाय ऐतिहासिक रूप से एक जनजाति है, लेकिन आज तक उन्हें इसका आधिकारिक दर्जा नहीं मिला है.

हजारिका ने आरोप लगाया कि वर्तमान सरकार ने हर मौका पर उनके साथ धोखा किया है, इसी वजह से अब आंदोलन तब तक चलता रहेगा जब तक उनका मामला पूरी तरह से सुलझाए नहीं जाता. हजारिका ने यह भी कहा कि मटक जनजाति के लोगों ने राज्य के हर जिले में रैलियां की जाएंगी. उन्होंने कहा कि अगर जरूरत पड़ी तो नई दिल्ली भी जाएंगे.

असम न्‍यूज
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