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महाराष्ट्र का वो गांव जो है SIMI और ISIS का गढ़! देशभक्ति की है कहानी, फिर कैसे बन गया आतंकियों का 'आजाद इलाका'

मुंबई के पास पडघा गाँव पर आतंकवाद के गंभीर आरोप लगे हैं, लेकिन वहां के लोग का कहना है कि गांव को गलत तरीके से निशाना बनाया गया है. पडघा की असली कहानी देशभक्ति की है. गांव का इतिहास देश की आजादी की लड़ाई में योगदान देने वाला है. कुछ वर्षों से यह गांव SIMI और ISIS से जुड़े मामलों में जांच के घेरे में आया और बदनाम हो गया. जानें कैसे कुछ लोगों की कट्टर सोच ने गांव को जांच एजेंसियों के रडार पर ला दिया.

महाराष्ट्र का वो गांव जो है SIMI और ISIS का गढ़! देशभक्ति की है कहानी, फिर कैसे बन गया आतंकियों का आजाद इलाका
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महाराष्ट्र के ठाणे जिले का पडघा गांव कभी अपनी देशभक्ति और सामाजिक एकता के लिए जाना जाता था. आजादी की लड़ाई में योगदान देने वाला यह इलाका दशकों तक शांत रहा, लेकिन 2000 के बाद हालात बदल गए. धीरे-धीरे इस गांव का नाम SIMI और बाद में ISIS से जुड़े मामलों में आने लगा. गांव के लोगों पर सवाल उठने लगे, जो गांव देशभक्ति की मिसाल था, वह कट्टरपंथी नेटवर्क की जांच का केंद्र कैसे बना?

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दरअसल, मुंबई से सिर्फ 60 किलोमीटर ठाणे जिले के बोरीवली और पाडघा गांवों पर लंबे समय से संकट के बादल मंडरा रहे हैं. इस गांव में 2 जून 2025 को महाराष्ट्र ATS ने इलाके में 22 जगहों पर छापामारी की थी. इसमें साकिब नाचन का घर भी शामिल था. उस पर महाराष्ट्र में ISIS नेटवर्क चलाने का आरोप था. इस ऑपरेशन के लिए 250 से ज्यादा जवान तैनात किए गए थे.

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक जिन लोगों के घरों की तलाशी ली गई थी, उनमें से कई हाल ही में सऊदी अरब में हज के लिए गए थे. जांच एजेंसी ने जिन लोगों को निशाना बनाया, उनमें बोरीवली के 60 साल के जमीन के एजेंट फराक जुबेर मुल्ला का नाम भी शामिल है. मुल्ला पहले SIMI से जुड़ा था. उसके बड़े भाई हसीब मुल्ला को 2002-03 के मुंबई ट्रेन धमाकों में दोषी ठहराया गया था. NIA ने भी दिसंबर 2023 की कार्रवाई में मुख्य आरोपी साकिब नाचन पर कई आतंकी मामलों में केस दर्ज किया था. अगस्त 2023 में उसके बेटे शामिल को भी पुणे में ISIS स्लीपर सेल के सिलसिले में गिरफ्तार किया गया था.

गांव को क्यों घोषित किया 'आजाद इलाका'?

टीओआई ने NIA की एक रिपोर्ट के हवाले से बताया है कि गिरफ्तार किए गए लोगों ने ठाणे के पडघा गांव को 'आजाद इलाका' घोषित कर दिया था. युवा मुसलमानों को वहां बसने के लिए प्रोत्साहित जा रहा था. NIA की छापेमारी में कथित तौर पर एक पिस्टल, एयर-गन, तलवारें, 68 लाख रुपये नकद, हमास के झंडे और डिजिटल डिवाइस बरामद हुए थे.

जांच एजेंसियों का आरोप है कि गिरफ्तार किए गए लोग पडघा को 'अल शाम' कहने लगे थे. यह शब्द लेवेंट क्षेत्र के लिए इस्तेमाल होता है. दावा किया कि नाचन नए ISIS रंगरूटों को 'बायत', यानी वफादारी की कसम दिलाता था. जबकि, गांव वाले इन आरोपों से साफ इनकार करते हैं.

विरासत तो देशभक्ति की है

गांव वाले यह भी कहते हैं कि पडघा की देशभक्ति की एक भूली-बिसरी विरासत है, जिसने भारत की आज़ादी की लड़ाई में हिस्सा लिया था. उनका कहना है कि गिरफ्तारियों का असर दूर-दूर तक हुआ है, जिससे बेगुनाह परिवारों की इज्जत को नुकसान पहुंचा है. वे बताते हैं कि नौकरी के ऑफर लेटर रद्द कर दिए गए हैं और युवा लड़कों को शादी के लिए रिश्ता ढूंढने में मुश्किल हो रही है.

रमीजा नाचन - हमें नहीं पता आगे क्या होगा?

रमीजा नाचन (साकिब से कोई रिश्ता नहीं) कहती हैं कि जब वह तीर्थयात्रा पर गई हुई थीं, तब उनके बेटे रफील (21) और रजील (22) को उठा लिया गया. वह कहती हैं कि उन्हें अभी भी नहीं पता कि सेंट्रल एजेंसियों को उनके घर से क्या मिला. दोनों बेटे शेयर टैक्सी चलाते थे और परिवार में अकेले कमाने वाले थे. उन्होंने कहा, "हम रजील के ग्रेजुएशन खत्म होने का इंतजार कर रहे थे, लेकिन इसके बाद हमें नहीं पता कि हम सबके लिए आगे क्या होने वाला है?

वहीं, पडघा के अबू बकर कुन्नथपीडिकल ने बताया कि कैसे देर रात छापे के बाद उनके बेटे मुनजिर, जो एक हार्डवेयर इंजीनियर थे और अपना खुद का बिजनेस करते थे, को ले जाया गया. गंभीर आरोपों और गिरफ्तारियों के बावजूद, पडघा की कहानी अभी भी बहुत विवादों में है.

पडघा गांव कहां है?

महाराष्ट्र के ठाणे जिले में पडघा गाँव स्थिति है. मुंबई से लगभग 60 किलोमीटर की दूरी पर है. यह ग्रामीण इलाका और सीमित औद्योगिक गतिविधियां संचालित हैं. इस गांव में ज्यादातर लोग मजदूर और निम्न-मध्यम वर्ग के हैं. साल 2000 में SIMI पर प्रतिबंध लगने के बाद पडघा गाँव महाराष्ट्र ATS और IB निशाने पर आया था. जांच के क्रम में कुछ युवाओं के SIMI नेटवर्क से संपर्क उजागर हुए. कट्टरपंथी साहित्य, गुप्त बैठक और ट्रेनिंग कैंप जैसे आरोप सामने आए. SIMI पर भारत सरकार पहले ही आतंकी संगठन के रूप में प्रतिबंध लगा चुकी है.

ISIS कनेक्शन कैसे सामने आया?

साल 2014 के बाद जब ISIS वैश्विक खतरा बनकर उभरा, तब ATS और NIA की जांच में पडघा से जुड़े कुछ युवाओं के ISIS विचारधारा से प्रभावित होने की जानकारी मिली. ये युवा सोशल मीडिया और एन्क्रिप्टेड ऐप्स के जरिए संपर्क आईएसआईएस के संपर्क में थे. कुछ मामलों में विदेश जाकर ट्रेनिंग की कोशिश की भी बातें सामने आई. ISIS के लिए फंडिंग मिले और भारत में उसका मॉड्यूल खड़ा करने की युवाओं ने कोशिश की थी.

साल 2014 के बाद जब ISIS ने अपना नेटवर्क दुनिया भर में फैलाया. पडघा से जुड़े कुछ सीमित लोगों के ISIS संपर्क सामने आए. सोशल मीडिया और एन्क्रिप्टेड ऐप्स के जरिए प्रोपेगेंडा से ये युवा प्रभावित थे. जांच के दौरान कुछ आरोपियों ने पूछताछ में बताया कि गांव को 'धार्मिक रूप से शुद्ध इलाका' कहने जैसे शब्दों का इस्तेमाल किया. यही बयान मीडिया में 'ISIS का आजाद इलाका' जैसे शब्दों का कारण बने. हालांकि, एजेंसियों ने कभी पूरे गांव को ऐसा घोषित नहीं किया.

क्यों बना कट्टरपंथी नेटवर्क का ठिकाना?

इसके पीछे सबसे बड़ी वजह मुंबई के करीब होना बताया जा रहा है. ग्रामीण इलाका होने की वजह से सुरक्षा एजेंसियां पहले बाहरी लोगों की आवाजाही पर कम ध्यान देती थीं. गांव में युवाओं में बेरोजगारी,कम शिक्षा, असंतोष और मुख्यधारा से कटे होने का अहसास की भावना है.

गांव के युवाओं डिजिटल कट्टरपंथ की वजह से इस गतिविधियों में आ गए. सोशल मीडिया, टेलीग्राम, एन्क्रिप्टेड प्लेटफॉर्म ने इसमें अहम भूमिका निभाई. विदेशी प्रोपेगैंडा से युवा ज्यादा प्रभावित थे. यही वजह है कि ATS, आईबी और NIA की लगातार छापेमारी होती रही. कुछ संदिग्धों की गिरफ्तारी भी हुई.

क्या पूरा गांव आतंकी गढ़ है?

ऐसा नहीं है कि पूरा गांव ही आतंकियों का गढ़ है. कुछ ही युवा ऐसे हैं, लेकिन ठाणे में सिमी और आईएसआईएस की गतिविधियों के लिए यह गांव फेमस हो गया. आतंकी गढ़ होने का इस पर ठप्पा भी लग गया. जब भी यहां से गिरफ्तारी होती है तो राजनीतिक बयानबाजी भी सामने आती हैं. कुल मिलाकर पडघा गांव का नाम SIMI और ISIS से जुड़ी जांच में आना भारत की आंतरिक सुरक्षा के लिए चेतावनी भरा रहा है.

बता दें कि महाराष्ट्र में आतंकवाद से जुड़ी जांच के दौरान ठाणे जिले का पडघा गांव कई बार सुरक्षा एजेंसियों की फाइलों में सामने आया है. SIMI (Students Islamic Movement of India) और बाद में ISIS मॉड्यूल से जुड़े मामलों में इस गांव का नाम आने के बाद यह गांव लंबे समय से खुफिया एजेंसियों की निगरानी में है.

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