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2027 Census: भारत में पहली बार पेपरलेस जनगणना, ऐप से 30 लाख कर्मचारी गिनेंगे 140 करोड़ लोग, क्या-क्या बदलेगा?

Bharat Census 2027: जनगणना 2027 भारत के लिए एक बड़ा कदम है जो देश के सामाजिक और जनसांख्यिकीय डेटा को डिजिटल और पारदर्शी तरीके से अपडेट करेगा. भारत में 2027 में होने जा रही जनगणना पहली बार पूरी तरह पेपरलेस होगी. सरकार मोबाइल ऐप के जरिए जनगणना कराएगी. जानें प्रक्रिया, ऐप की खासियत, फायदे और क्यों लिया गया यह फैसला.

2027 Census: भारत में पहली बार पेपरलेस जनगणना, ऐप से 30 लाख कर्मचारी गिनेंगे 140 करोड़ लोग, क्या-क्या बदलेगा?
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Bharat Census 2027 News: भारत में 2027 में होने जा रही जनगणना कई मायनों में ऐतिहासिक होने वाली है. यह आजादी के बाद की पहली ऐसी जनगणना होगी, जो पूरी तरह डिजिटल और पेपरलेस तरीके से कराई जाएगी. केंद्र सरकार ने जनगणना के लिए मोबाइल ऐप आधारित सिस्टम अपनाने का फैसला किया है, जिससे डेटा कलेक्शन तेज, सटीक और पारदर्शी हो सके. यह जनगणना इसलिए भी अहम है, क्योंकि 2011 के बाद पहली बार देश की आधिकारिक जनसंख्या, सामाजिक-आर्थिक और आवासीय आंकड़े अपडेट होंगे. सरकार का दावा है कि इससे खर्च घटेगा. डेटा जल्दी उपलब्ध होगा. पारदर्शिता बढ़ेगी. दशकीय जनगणना का संचालन महारजिस्ट्रार एवं जनगणना आयुक्त का कार्यालय,गृह मंत्रालय द्वारा किया जाता है. यह दुनिया का सबसे बड़ा प्रशासनिक अभ्यास है.

1. क्या होती है जनगणना?

जनगणना (Census) वह प्रक्रिया है, जिसमें देश की जनसंख्या, उम्र, लिंग, शिक्षा, रोजगार, भाषा, आवास और सामाजिक-आर्थिक स्थिति से जुड़ा डेटा इकट्ठा किया जाता है. भारत में जनगणना कराने की जिम्मेदारी रजिस्ट्रार जनरल एवं जनगणना आयुक्त (RGI) के पास होती है. संविधान के अनुसार हर 10 साल में एक बार जनगणना कराई जाती है.

2. कितने साल बाद जनगणना?

पिछली बार जनगणना 2011 में हुई थी. 2021 में जनगणना होनी थी, जिसे कोविड की वजह से टाल दिया गया था. इस बात को लेकर सियासी स्तर पर विपक्ष ने काफी हंगामा मचाया था. अगली जनगणना 2027 प्रस्तावित है. यानी 14 साल के अंतराल के बाद जनगणना होगी. जनगणना पहली बार पूरी तरह पेपरलेस होगी.

3. ऐप के जरिए क्यों?

सरकार के इस फैसले के पीछे कई कारण हैं, जिनमें डिजिटल इंडिया मिशन को मजबूती देना, डेटा कलेक्शन में लगने वाला समय कम और मैन्युअल एंट्री से होने वाली गलतियों से बचाव, बेहतर डेटा सुरक्षा और एन्क्रिप्शन और रियल-टाइम मॉनिटरिंग की सुविधा मुहैया कराना शामिल है.

4. प्रक्रिया क्या?

2027 की जनगणना दो चरणों में कराई जाएगी. पहले चरण में हाउस लिस्टिंग एवं हाउसिंग सेंसस, मकान की स्थिति, शौचालय, पानी, बिजली और संपत्ति से जुड़ी जानकारियों का आकलन किया जाएगा. दूसरे चरण में जनसंख्या गणना, परिवार के सदस्यों की संख्या, उम्र, लिंग, शिक्षा, रोजगार, भाषा व सामाजिक जानकारी हासिल करना है.

5. ऐप के जरिए कैसे?

जनगणनाकर्मी को सरकारी मोबाइल ऐप दिया जाएगा. वह हर घर जाकर मोबाइल—टैबलेट में डेटा भरेगा. डेटा सीधे केंद्रीय सर्वर पर अपलोड होगा. इंटरनेट न होने पर ऑफलाइन एंट्री जो बाद में सिंक हो जाएगी.

6. किस ऐप का सहयोग लेगी सरकार?

सरकार इसके लिए खास तौर पर विकसित किए गए सरकारी मोबाइल ऐप का इस्तेमाल करेगी. यह ऐप केवल अधिकृत जनगणनाकर्मियों के लिए होगा. डेटा पूरी तरह एन्क्रिप्टेड और सुरक्षित रहेगा.सरकार ने अभी किसी निजी ऐप का नाम सार्वजनिक नहीं किया है.

7. APP खासियत क्या है?

हाई-लेवल डेटा सिक्योरिटी, जीपीएस टैगिंग से फर्जी एंट्री पर रोक, इन-बिल्ट वैलिडेशन (गलत डेटा अलर्ट), रियल-टाइम प्रोग्रेस ट्रैकिंग और मल्टी-लैंग्वेज सपोर्ट शामिल हैं.

8. AAP को ही क्यों चुना?

भारत में स्मार्टफोन और इंटरनेट की पहुंच बढ़ी है. जनगणनाकर्मियों को ट्रेनिंग देना आसान होगा. डेटा तुरंत विश्लेषण योग्य हो जाएंगे. भविष्य की नीतियों में तेजी से इस्तेमाल संभव है.

9. जनगणना क्यों है बेहद अहम?

जनगणना 2027 के आधार पर लोकसभा सीटों का परिसीमन होगा. सरकारी योजनाओं का सही लाभ किसे मिले और किसे नहीं, तय होगा. जनसंख्या नियंत्रण और संसाधन योजना को बढ़ावा मिलेगा. शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार नीति तैयार करना आसान होगा.

10. जनगणना पर कितना आएगा खर्च?

मोदी कैबिनेट ने भारत की जनगणना 2027 कराने की योजना को 12 दिसंबर 2025 को अपनी मंजूरी दे दी. जनगणना 2027 देश की पूरी आबादी को कवर करेगी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय कैबिनेट ने शुक्रवार को हुई बैठक में 11,718.24 करोड़ रुपये की लागत से भारत की जनगणना 2027 कराने के प्रस्ताव को मंजूरी दी है.

भारतीय जनगणना दुनिया का सबसे बड़ा प्रशासनिक और सांख्यिकी अभ्यास है. भारत की जनगणना दो चरणों में आयोजित की जाएगी. पहला चरण हाउस लिस्टिंग और आवास जनगणना अप्रैल से सितंबर 2026 और दूसरा जनसंख्या गणना (PE) फरवरी 2027 (केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख और केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर और हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड राज्यों के बर्फ से ढके गैर-समकालिक क्षेत्रों के लिए, PE सितंबर, 2026 में आयोजित की जाएगी.

11. जनगणना 2027 का लक्ष्य

जनगणना प्रक्रिया में हर घर का दौरा करना और हाउस लिस्टिंग और आवास जनगणना और जनसंख्या गणना के लिए अलग-अलग प्रश्नावली भरना शामिल है. जनगणना करने वाले, जो आम तौर पर सरकारी शिक्षक होते हैं और राज्य सरकारों द्वारा नियुक्त किए जाते हैं, अपने नियमित कर्तव्यों के अलावा जनगणना का फील्ड वर्क करेंगे. उप-जिला, जिला और राज्य स्तर पर अन्य जनगणना अधिकारियों को भी राज्य/जिला प्रशासन द्वारा नियुक्त किया जाएगा.

12. जनगणना 2027 की नई पहल

1. देश में डिजिटल माध्यम से पहली जनगणना. डेटा मोबाइल एप्लिकेशन का उपयोग करके एकत्र किया जाएगा जो एंड्रॉइड और आईओएस दोनों संस्करणों के लिए उपलब्ध होगा.

2. पूरी जनगणना प्रक्रिया को वास्तविक समय के आधार पर प्रबंधित और मॉनिटर करने के लिए जनगणना प्रबंधन और निगरानी प्रणाली (CMMS) पोर्टल नामक एक समर्पित पोर्टल विकसित किया गया है.

3. हाउस लिस्टिंग ब्लॉक (HLB) क्रिएटर वेब मैप एप्लीकेशन: जनगणना 2027 के लिए एक और नवाचार HLB क्रिएटर वेब मैप एप्लीकेशन है जिसका उपयोग चार्ज अधिकारियों द्वारा किया जाएगा.

4. जनता को स्व-गणना का विकल्प प्रदान किया जाएगा.

5.डिजिटल ऑपरेशन के लिए उपयुक्त सुरक्षा सुविधाओं का प्रावधान किया गया है.

6. जनगणना 2027 में राष्ट्रव्यापी जागरूकता, समावेशी भागीदारी, अंतिम-मील जुड़ाव और फील्ड संचालन के लिए समर्थन के लिए एक केंद्रित और व्यापक प्रचार अभियान होगा. यह सटीक, प्रामाणिक और समय पर जानकारी साझा करने पर जो देगा, जिससे एकजुट और प्रभावी आउटरीच प्रयास सुनिश्चित हो सके.

7. कैबिनेट कमेटी ऑन पॉलिटिकल अफेयर्स ने 30 अप्रैल 2025 को अपनी बैठक में आने वाली जनगणना यानी जनगणना 2027 में जाति गणना को शामिल करने का फैसला किया था. हमारे देश में भारी सामाजिक और जनसांख्यिकीय विविधता और संबंधित चुनौतियों को देखते हुए, जनगणना 2027 दूसरे चरण, यानी जनसंख्या गणना (PE) में इलेक्ट्रॉनिक रूप से जाति डेटा भी इकट्ठा करेगी.

8. जनगणना कार्यों के डेटा संग्रह, निगरानी और पर्यवेक्षण के लिए गणना करने वालों, पर्यवेक्षकों, मास्टर प्रशिक्षकों, चार्ज अधिकारियों और प्रधान/जिला जनगणना अधिकारियों सहित लगभग 30 लाख फील्ड कर्मचारियों को तैनात किया जाएगा. सभी जनगणना कर्मचारियों को जनगणना के काम के लिए उचित मानदेय दिया जाएगा क्योंकि वे यह काम अपनी नियमित ड्यूटी के अलावा करेंगे.

9. साल 2027 की जनगणना में कोई कागजी फॉर्म नहीं होगा. डेटा रियल टाइम डिजिटल फॉर्मेट में दर्ज होगा.गलतियों और डुप्लीकेसी की संभावना कम होगी.

10. जनगणना 2027 से रोजगार सृजन को भी बढ़ावा मिलेगा.

13. जनगणना का लाभ

वर्तमान प्रयास पूरे देश में आने वाले जनगणना डेटा को कम से कम समय में उपलब्ध कराना होगा. जनगणना परिणामों को अधिक कस्टमाइज्ड विज़ुअलाइज़ेशन टूल के साथ प्रसारित करने का भी प्रयास किया जाएगा. सबसे छोटी प्रशासनिक इकाई यानी गांव/वार्ड स्तर तक सभी को डेटा साझा करना.

जनगणना 2027 के सफल संचालन के लिए विभिन्न कार्यों को पूरा करने के लिए, स्थानीय स्तर पर लगभग 550 दिनों के लिए लगभग 18,600 तकनीकी कर्मचारियों को लगाया जाएगा. दूसरे शब्दों में, लगभग 1.02 करोड़ मानव-दिवस रोजगार पैदा होगा.

इसके अलावा, चार्ज/जिला/राज्य स्तर पर तकनीकी कर्मचारियों के प्रावधान से क्षमता निर्माण भी होगा, क्योंकि नौकरी की स्वरूप डिजिटल डेटा हैंडलिंग, निगरानी और समन्वय से संबंधित होगी. इससे इन व्यक्तियों के भविष्य के रोजगार की संभावनाओं में भी मदद मिलेगी.

14 जनगणना का इतिहास

जनगणना 2027 देश की 16वीं जनगणना होगी और आजादी के बाद 8वीं. जनगणना गांव, कस्बे और वार्ड स्तर पर प्राथमिक डेटा का सबसे बड़ा स्रोत है जो आवास की स्थिति; सुविधाओं और संपत्तियों, जनसांख्यिकी, धर्म, SC और ST, भाषा, साक्षरता और शिक्षा, आर्थिक गतिविधि, प्रवासन और प्रजनन क्षमता सहित विभिन्न मापदंडों पर सूक्ष्म स्तर का डेटा प्रदान करती है. जनगणना अधिनियम 1948 और जनगणना नियम 1990 जनगणना के संचालन के लिए कानूनी ढांचा प्रदान करते हैं. देश में आखिरी बार जातिगत जनगणना 1931 में हुई थी.

प्राचीन और मध्यकालीन भारत

भारत में जनगणना का इतिहास बहुत पुराना है. ऋग्वेद: प्रारंभिक साहित्य 'ऋग्वेद' से पता चलता है कि भारत में 800-600 ईसा पूर्व के दौरान एक प्रकार की जनसंख्या गणना को बनाए रखा गया था. तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व 'कौटिल्य' द्वारा लिखे गए 'अर्थशास्त्र' ने कराधान हेतु राज्य की नीति बनाने के एक उपाय के रूप में जनसंख्या के आंकड़ों का संग्रहण किया था. मुगल बादशाह अकबर के शासन काल में प्रशासनिक रिपोर्ट 'आइन-ए-अकबरी' में जनसंख्या, उद्योग, धन और कई अन्य विशेषताओं से संबंधित व्यापक आंकड़े भी शामिल थे.

स्वतंत्रता-पूर्व अवधि में जनगणना

जनगणना का इतिहास 1800 ई. से शुरू हुआ जब इंग्लैंड ने अपनी जनगणना शुरू की थी. इसकी निरंतरता में जेम्स प्रिंसेप द्वारा इलाहाबाद (वर्ष 1824) और बनारस (वर्ष 1827-28) में जनगणना करवाई गई. एक भारतीय शहर की पहली पूर्ण जनगणना वर्ष 1830 में हेनरी वाल्टर द्वारा ढाका (अब बांग्लादेश में) में आयोजित की गई थी.

दूसरी जनगणना वर्ष 1836-37 में फोर्ट सेंट जॉर्ज द्वारा की गई थी. वर्ष 1849 में भारत सरकार ने स्थानीय सरकारों को जनसंख्या का पंचवर्षीय संचालन करने का आदेश दिया. भारत में वर्ष 1872 में गवर्नर-जनरल लॉर्ड मेयो के शासन काल के दौरान पहली बार अनौपचारिक जनगणना आयोजित की गई थी. पहली बार आधिकारिक जनगणना 17 फरवरी, 1881 को ब्रिटिश शासन के तहत डब्ल्यू.सी. प्लौडेन (भारत के जनगणना आयुक्त) द्वारा करवाई गई. तब से हर दस साल में एक बार निर्बाध रूप से जनगणना की जाती रही है.

भारत में कब-कब हुई जनगणना

पहली जनगणना 1881: इसने ब्रिटिश भारत के पूरे महाद्वीप (कश्मीर, फ्रेंच तथा पुर्तगाली उपनिवेशों को छोड़कर) की जनसांख्यिकीय, आर्थिक और सामाजिक विशेषताओं के वर्गीकरण पर विशेष बल दिया.

दूसरी जनगणना 1891: यह लगभग वर्ष 1881 की जनगणना के समान पैटर्न पर ही आयोजित की गई थी. इसमें 100% कवरेज के प्रयास किए गए और वर्तमान बर्मा के ऊपरी हिस्से, कश्मीर और सिक्किम को भी शामिल किया गया.

तीसरी जनगणना 1901: इस जनगणना में बलूचिस्तान, राजपूताना, अंडमान निकोबार, बर्मा, पंजाब और कश्मीर के सुदूर इलाकों को शामिल किया गया था.

पांचवीं जनगणना 1921: 1911-21 का दशक अब तक का एकमात्र ऐसा दशक रहा है, जिसमें जनसंख्या में 0.31% की दशकीय गिरावट देखी गई. यह वह दशक था जब वर्ष 1918 में फ्लू महामारी का प्रकोप फैला हुआ था, जिसमें कम-से-कम 12 मिलियन लोगों की जान गई थी. भारत की जनसंख्या वर्ष 1921 की जनगणना तक लगातार बढ़ रही थी और वर्ष 1921 की जनगणना के बाद भी यह वृद्धि जारी है. इसलिए वर्ष 1921 के जनगणना वर्ष को भारत के जनसांख्यिकीय इतिहास में "द ग्रेट डिवाइड" या महान विभाजक वर्ष कहा जाता है.

ग्यारहवीं जनगणना 1971: स्वतंत्रता के बाद यह दूसरी जनगणना थी. इसने वर्तमान में विवाहित महिलाओं की प्रजनन क्षमता के बारे में जानकारी के लिये एक प्रश्न जोड़ा.

तेरहवीं जनगणना 1991: यह स्वतंत्र भारत की पांचवीं जनगणना थी. इस जनगणना में साक्षरता की अवधारणा को बदल दिया गया और 7+ आयु वर्ग के बच्चों को साक्षर माना गया (वर्ष 1981 की तुलना में जब 4+ आयु वर्ग के बच्चों को साक्षर माना जाता था).

चौदहवीं जनगणना (2001): इसमें प्रौद्योगिकी के मोर्चे पर एक बड़ी छलांग लगाई गई. चरणों के शेड्यूल को हाई स्पीड स्कैनर के माध्यम से स्कैन किया गया था और शेड्यूल के हस्तलिखित डेटा को इंटेलिजेंट कैरेक्टर रीडिंग (ICR) के माध्यम से डिजिटल रूप में परिवर्तित किया गया था.एक ICR छवि फाइलों से हस्तलेखन को कैप्चर करती है. यह ऑप्टिकल कैरेक्टर रिकॉग्निशन (OCR) तकनीक का एक उन्नत संस्करण है जिसमें मुद्रित वर्ण कैप्चर किए जाते हैं.

पंद्रहवीं जनगणना 2011: वर्ष 2011 की जनगणना में EAG राज्यों (अधिकार प्राप्त कार्रवाई समूह/Empowered Action Group): उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, बिहार, झारखंड, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान और ओडिशा) के मामले में पहली बार महत्त्वपूर्ण गिरावट देखी गई थी.

सोलहवीं जनगणना (2021): जनगणना 2021 को कोविड-19 महामारी के प्रकोप के कारण स्थगित कर दिया गया था.हालांकि यह पहली डिजिटल जनगणना होगी, जिसमें स्व-गणना का भी प्रावधान होगा.

सामाजिक-आर्थिक और जाति जनगणना (एसईसीसी)

यह पहली बार है कि ऐसे परिवार और परिवारों में रहने वाले सदस्यों की जानकारी एकत्र की जाएगी, जिसका मुखिया कोई ट्रांसजेंडर हो.पहले केवल पुरुष और महिला के लिए एक कॉलम था. सामाजिक-आर्थिक और जाति जनगणना (SECC) वर्ष 1931 के बाद पहली बार वर्ष 2011 में आयोजित की गई थी. इसके अंतर्गत ग्रामीण और शहरी भारत के प्रत्येक भारतीय परिवार के बारे में जानने का प्रयास किया जाता है तथा उनकी निम्नलिखित जानकारी प्राप्त की जाती है.

आर्थिक स्थिति के बारे में ताकि केंद्र/राज्य प्राधिकरण इसका उपयोग गरीब/गरीबी या वंचित व्यक्ति को परिभाषित करने के लिए कर सकें और इसके लिये विभिन्न प्रकार के संकेत विकसित किए जा सकें. विशिष्ट जाति का नाम, सरकार को यह पुनर्मूल्यांकन करने के लिए कि कौन से जाति समूह आर्थिक रूप से बदतर स्थिति में हैं और कौन से बेहतर.

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