Coal Mine Crisis: इंतजार में मजदूरों का परिवार, प्रशासन से बस एक ही सवाल, क्या होगा हमारा?
Coal Mine Crisis: असम में कोयला खदान में कई मजदूरों को बाहर निकालने का प्रयास किया जा रहा है. जानकारी के अनुसार परिजनों को अपने परिवार के सदस्य के लौटने का इंतजार है. इंतजार है तो बस सिर्फ इस बात का कि प्रशासन उनकी सुने, उसका समाधान निकाले और परिजनों को सुरक्षित वापस घर भेजे. पीड़ित परिजनों को आस है कि आखिर उनके पास कोई आएगा और उनकी इस परेशानी को दूर करेगा. लेकिन अब तक उन्हें कोई सहायता नहीं मिली है.

Coal Mine Crisis: असम में हाल ही में खदान में पानी भरने के कारण बड़ा हादसा हुआ था. इस हादसे में 9 मजदूरों के फंसे होने की जानकारी सामने आई थी. खदान में फंसे मजदूरों के परिवार अपने सदस्य के वापसी आने का इंतजार कर रहे हैं. इस बीच एक मजदूर लिजान मागर ने काम पर जाने से पहले आखिरी बार परिवार से बात की थी. तब से लेकर अब तक उन्हें इंतजार है कि आखिर मागर जल्द घर लौट आए.
बता दें कि मजदूरों को खदान से बाहर निकालने का प्रयास जारी है. राहत बचाव टीम मजदूरों को बाहर निकालने में जुटी हुई है. मागर की पत्नी का कहना है कि इस हादसे के बाद से उनकी अपने पति से बात नहीं हुई है. यही हाल बाकी के मजदूरों की पत्नियों के भी है. एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक पीड़ित के परिजनों को अपने आने वाले भविष्य की चिंता है.
हमारा और बच्चे का क्या होगा?
इस बातचीत के दौरान पीड़ित परिजन की पत्नी ने कहा कि रैट होल में जाने से पहले करीब एक बजे के आसपास उससे बातचीत हुई थी. उन्होंने कहा कि हम कुछ नहीं जानते हैं. हमें चिंता है कि अब हमारा और हमारे दो महीने के बच्चे का क्या होगा? इस हादसे में जुनू प्रधान नाम का मजदूर भी शामिल था. उनके पिता कृष्णा प्रधान भी इस रैट होल के मजदूर थे. अपने दामाद के वापस आने का इंतजार कर रहे हैं.
उन्होंने कहा कि कोयला खदानों में मैंने भी काम किया है.लेकिन ये हादसा इसलिए हुआ क्योंकी खुदाई बहुत गहरी हो चुकी है. इस दौरान उन्होंने सवाल करते हुए कहा कि मेरी बेटी का एक बच्चा है उनका क्या होगा? सरकार को इस बारे में कुछ करना चाहिए, उसे ढूंढ़ना चाहिए.
मंत्रियों को नहीं कोई चिंता
इस बीच मजदूर प्रशासन से मदद की आस लगाए बैठे हैं. उन्होंने दुख जताते हुए कहा कि इस हादसे के बाद प्रशासन की ओर से किसी ने भी मजदूरों के परिवार से मुलाकात नहीं की है. उनका कहना है कि न सरकार मदद के लिए आती है और न ही कोई अधिकारी या फिर मंत्री ने मजदूरों के परिजनों से मुलाकात की है. किसी भी मजदूरों को सांत्वना भी नहीं देने पहुंचे.