मल्लिकार्जुन खड़गे की डुबकी वाले बयान पर हिमंत बिस्वा का पलटवार, बताया सनातन विरोधी मानसिकता
महाकुंभ के भव्य उत्सव में संगम में हजारों की संख्या में श्रद्धालु डुबकी लगा रहे हैं. वहीं, अमित शाह से लेकर योगी आदित्य नाथ तक कई भाजपा नेताओं ने भी इस पवित्र नदी में स्नान किया. इस पर विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने इसे प्रतियोगिता करार दिया.

महाकुंभ पर सियासत जारी है. काग्रेंस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने महाकुंभ पर एक टिप्पणी की थी, जिसके कारण राजनीतिक विवाद शुरू हो गया है. उन्होंने इस आयोजन में स्नान करने वाले भाजपा नेताओं पर निशाना साधा है. खड़गे की टिप्पणी ऐसे दिन आई है, जब केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सहित भाजपा के प्रमुख नेताओं ने कुंभ में भाग लिया और गंगा में पवित्र डुबकी लगाई.
इस टिप्पणी पर भाजपा नेताओं ने तीखी आलोचना कर इसे सनातन धर्म पर हमला बताया है और कांग्रेस से स्पष्टीकरण मांगा है. अब असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने भी इस विवाद में अपना पक्ष रखते हुए खड़गे पर सनातन विरोधी मानसिकता रखने का आरोप लगाया है.
सोनिया गांधी ने भी लगाई थी डुबकी
हिमंत ने एक ट्वीट कर लिखा- 'माननीय खड़गे की भाषा उनकी सनातन विरोधी मानसिकता का सबूत है. मैं यह भी जानता हूं कि भले ही शब्द खड़गे जी के हैं, लेकिन सोच राहुल गांधी की है. शायद वह भूल गए हैं कि 2001 में सोनिया गांधी ने भी कुंभ में डुबकी लगाई थी.'
जरूरी मुद्दों को किया जा रहा दरकिनार
यह विवाद तब शुरू हुआ जब सोमवार को मध्य प्रदेश में एक रैली में खड़गे ने कहा कि भाजपा के नेता पवित्र स्नान करने के पवित्र कार्य को प्रतियोगिता में बदल रहे हैं. इसके आगे उन्होंने तर्क देते हुए कहा कि बाल मृत्यु दर, गरीबी और शिक्षा जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों को दरकिनार किया जा रहा है.
मान्यताओं पर करें विचार
मल्लिकार्जुन खड़गे के इस बयान ने न केवल राजनीतिक तापमान बढ़ा दिया है, बल्कि भाजपा नेताओं से कांग्रेस के भीतर सोचने के लिए कहा. इसके आगे सीएम ने खड़गे की टिप्पणियों को कांग्रेस पार्टी के आधिकारिक रुख का प्रतिबिंब बताया है. उन्होंने कांग्रेस के भीतर हिंदू नेताओं से अपनी मान्यताओं पर विचार करने और इस मुद्दे पर दृढ़ रुख अपनाने का आग्रह किया।
धर्म से ऊपर कुछ नहीं
हिमंत बिस्वा सरमा ने एक फॉलो-अप सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा कि 'केवल सत्ता और पद के लिए अपने विश्वास, अपने धर्म या इस देश की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत से समझौता न करें. कोई भी नेता, कोई विचारधारा और कोई भी पार्टी आपके धर्म और मान्यताओं से ऊपर नहीं होनी चाहिए.'