असम में 2024 में 11 हजार लोगों को सांप ने काटा, 36 की हुई मौत; एक्सपर्ट्स ने बताए बचाव के तरीके
असम में सर्पदंश बड़ी समस्या बनी हुई है. पिछले साल 2024 में सांपों के काटने के 11 हजार मामले सामने आए थे, जिनमें से 36 लोगों की मौत हो गई. एक्सपर्ट्स ने कार्यशाला का आयोजन कर लोगों को सर्पदंश से बचाव के तरीके बताए. उन्होंने इस बात की भी जानकारी दी कि सांप के काटने पर खुद से उचित प्राथमिक उपचार कैसे करें.

Snakebites Cases In Assam: असम में सांपों के काटने का मामला लगातार चिंता का विषय बना हुआ है. विशेषज्ञों का कहना है कि राज्य में सर्पदंश एक प्रमुख सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या बनी हुई है. अक्सर इलाज में देरी और उचित प्राथमिक उपचार उपायों के बारे में जागरूकता की कमी के कारण लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ती है. काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान और बाघ रिजर्व (KNPTR) की निदेशक सोनाली घोष ने सरकारी आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि पिछले साल 2024 में असम में लगभग 11 हजार सर्पदंश और 36 लोगों की मौत होने का मामला सामने आया.
सोनाली घोष ने कहा कि इंसान और सांप के बीच टकराव के मामले मानसून के मौसम यानी जून से सितंबर के दौरान अधिक देखने को मिलते हैं. इस दौरान बाढ़ का पानी बढ़ने से सांपों को मानव बस्तियों में शरण लेने के लिए मजबूर होना पड़ता है. उन्होंने कहा कि राज्य में इंसान और सांप के बीच संपर्क की घटनाएं बहुत अधिक होती हैं. प्राथमिक उपचार के बुनियादी उपायों के बारे में जागरूकता की कमी से मौतों का आंकड़ा बढ़ जाता है.
दो दिवसीय कार्यशाला का हुआ आयोजन
सर्पदंश रोकथाम पर दो दिवसीय क्षमता निर्माण कार्यशाला 27-28 जनवरी को काजीरंगा के कोहोरा कन्वेंशन सेंटर में आयोजित की गई. जिसमें आठ जिलों काजीरंगा, नागांव, बिस्वनाथ, शिवसागर, गोलाघाट, डिब्रूगढ़ और तिनसुकिया के 43 प्रकृति प्रेमियों और वन अधिकारी शामिल हुए. इस कार्यशाला का मकसद स्थानीय लोगों को सांप संबंधी चुनौतियों से निपटने के लिए आवश्यक ज्ञान और कौशल से लैस करना था.
कार्यशाला में मद्रास क्रोकोडाइल बैंक ट्रस्ट और सेंटर फॉर हर्पेटोलॉजी में सर्पदंश निवारण के परियोजना प्रमुख ज्ञानेश्वर चौधरी मुख्य संसाधन व्यक्ति के रूप में शामिल हुए. उनके सत्रों में लोगों को सांप से बचाने की तकनीकों और प्राथमिक उपचारों के बारे में जानकारी दी गई. इस कार्यशाला का आयोजन असम वन विभाग, हेल्प अर्थ, मद्रास क्रोकोडाइल बैंक ट्रस्ट और जूलॉजिकल सोसायटी ऑफ असम के बीच एक सहयोगात्मक प्रयास के तहत किया गया.
सोनाली घोष के अनुसार, यह पहल क्षेत्र में प्रकृति प्रेमियों और अग्रिम पंक्ति के वन कर्मियों का एक सुविज्ञ और कुशल नेटवर्क बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है. उन्होंने कहा कि असम की समृद्ध जैव विविधता, जो किंग कोबरा, मोनोकल्ड कोबरा और विभिन्न पिट वाइपर जैसी अनेक विषैली सांप प्रजातियों का घर है, सांप के काटने से होने वाली मौतों में बड़ी भूमिका अदा करती है.
घोष ने कहा कि निरंतर प्रशिक्षण, जागरूकता और सहयोग के माध्यम से असम एक ऐसे भविष्य की ओर बढ़ सकता है, जहां मनुष्य और सांप दोनों सद्भावनापूर्वक सह-अस्तित्व में रह सकें. वहीं, आयोजकों ने आशा व्यक्त की कि यह पहल स्थानीय बचावकर्मियों और वन कर्मियों को सांपों से संबंधित चुनौतियों का अधिक कुशलता और सुरक्षा के साथ समाधान करने में सक्षम बनाएगी.