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कौन हैं सर रिचर्ड हेडली? मांजरेकर को बुमराह में दिखती है जिनकी झलक, मुरीदों में गावस्कर भी शामिल

भारत के पूर्व क्रिकेटर संजय मांजरेकर ने जसप्रीत बुमराह की तुलना दिग्गज न्यूज़ीलैंड गेंदबाज़ सर रिचर्ड हेडली से की है. हेडली ने 86 टेस्ट में 431 विकेट लिए और मांजरेकर खुद उनके 400वें टेस्ट शिकार बने थे. सुनील गावस्कर और अन्य क्रिकेट विशेषज्ञों ने हेडली को महानतम तेज़ गेंदबाज़ों में शुमार किया है. उनकी गेंदबाज़ी में अनुशासन, रणनीति और स्विंग का अद्भुत संतुलन था. हेडली को ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ खेलना सबसे पसंद था और ICC हॉल ऑफ फ़ेम में भी शामिल किया गया.

कौन हैं सर रिचर्ड हेडली? मांजरेकर को बुमराह में दिखती है जिनकी झलक, मुरीदों में गावस्कर भी शामिल
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अभिजीत श्रीवास्तव
By: अभिजीत श्रीवास्तव

Updated on: 3 July 2025 2:14 PM IST

भारत के पूर्व क्रिकेटर और अब कमेंटेटर बन चुके संजय मांजरेकर अक्सर ये कहते सुने गए हैं कि रिचर्ड हेडली उनके पसंदीदा गेंदबाज़ रहे हैं. वो हेडली की इस बात की तारीफ़ करते हैं कि वो सपाट पिचों पर भी विकेट निकालने में सक्षम गेंदबाज़ थे. हाल ही में मांजरेकर ने जसप्रीत बुमराह की सराहना करने के दौरान सर रिचर्ड हेडली से उनकी समानता बताई.

हेडिंग्ले टेस्ट में भारत और इंग्लैंड की ओर से चार बल्लेबाज़ों के शतक जमाने और बुमराह के इंग्लिश पारी में पांच बल्लेबाज़ों को आउट करने पर मांजरेकर ने बुमराह की सर रिचर्ड हेडली से समानता गिनाई थी.मांजरेकर तब बोले थे, "हमने मैच में अब तक चार शतक देखे हैं. लेकिन कौन सा गेंदबाज़ सच में ख़ास रहा है? मेरे लिए ये केवल बुमराह हैं. जब भी वो गेंदबाज़ी के लिए आते हैं उनकी विकेट निकालने की क्षमता ही दिमाग़ में रहती है. उन्हें देखकर जो एक गेंदबाज़ मेरे दिमाग़ में आते हैं वो हैं सर रिचर्ड हेडली, जो अकेले ही इस तरह का प्रभाव मैच पर डाला करते थे."

आखिर सर रिचर्ड हेडली हैं कौन जिनके नाम का संजय मांजरेकर ज़िक्र कर रहे हैं? इस नाम को क्रिकेट के दुनिया में आखिर इतना सम्मान क्यों हासिल है?

तो चलिए सबसे पहले आपको बताएं कि सर रिचर्ड हेडली ने 1990 में टेस्ट क्रिकेट से संन्यास ले लिया था. तब वो टेस्ट क्रिकेट में सबसे अधिक 431 विकेट लेने वाले गेंदबाज़ थे.

मांजरेकर बने थे हेडली का 400वां शिकार

टेस्ट क्रिकेट में सबसे अधिक विकेट चटकाने वाले दो गेंदबाज़ों मुथैया मुरलीधरन (800 विकेट) और शेन वॉर्न (708 विकेट) ने सर रिचर्ड हेडली के क्रिकेट से संन्यास लेने के दो साल बाद टेस्ट डेब्यू किया था. 1990 में क्रिकेट से संन्यास के पहले सर रिचर्ड हेडली टेस्ट क्रिकेट में 400 विकेट लेने वाले इकलौते गेंदबाज़ बने थे. कपिल देव के रिकॉर्ड को वो बहुत पहले पीछे छोड़ चुके थे और अगले कई सालों तक यह रिकॉर्ड उनके नाम पर बरकरार रहा. हेडली ने 400 विकेट की ऐतिहासिक उपबल्धि भारत के ख़िलाफ़ क्राइस्टचर्च टेस्ट में हासिल की. मैच की दूसरी पारी में हेडली के 400वें विकेट वही भारतीय बल्लेबाज़ संजय मांजरेकर बने थे, जो उनकी तारीफ़ करते नहीं थकते हैं. 1973 से 1990 के बीच न्यूज़ीलैंड क्रिकेट टीम का प्रतिनिधत्व करने वाले सर रिचर्ड हेडली एक अच्छे ऑलराउंडर भी थे.

हेडली पर गावस्कर की बेबाक राय

भारत के क्रिकेट दिग्गज सुनील गावस्कर ने सर रिचर्ड हेडली के बारे में अपनी किताब आइडल्स में लिखा कि “न्यूज़ीलैंड में एक से बढ़ कर एक क्रिकेटर हुए हैं. जैसे कि बर्ट सटक्लिफ़, जॉन रीड, ग्लेन टर्नर लेकिन रिचर्ड हेडली इन सभी से कहीं आगे हैं.” 1973 में जब हेडली पहली बार ऑस्ट्रेलिया गए तो उनकी गेंदबाज़ी को देखकर गावस्कर के एक मित्र ने उनसे कहा था कि आने वाले वक़्त में इस गेंदबाज़ का नाम चमकेगा. हालांकि सिरीज़ में हेडली ने कुछ ख़ास प्रदर्शन नहीं किया था.

गावस्कर ने अपनी किताब हेडली के 10 सालों तक क्रिकेट खेलने के बाद लिखी थी. गावस्कर ने लिखा, “अब 10 सालों में मेरे दोस्त ग़लत साबित नहीं हुए. अब 10 साल बाद रिचर्ड ये दावा कर सकते हैं कि वो टेस्ट क्रिकेट में नए गेंद के उन कुछ अच्छे गेंदबाज़ों में शुमार हो चुके हैं, जिन्होंने टेस्ट खेला है.”

ऑलराउंडरों में बेशक रिचर्ड हेडली को शुमार किया जाता था लेकिन गावस्कर ये भी कहते हैं कि रिचर्ड हेडली की बल्लेबाज़ी को उतना महत्व नहीं दिया जाता था क्योंकि बल्ले से उनके प्रदर्शन में आने वाले उतार चढ़ाव की तब उतनी चर्चा नहीं होती थी जितनी इयान बॉथम, कपिल देव और इमरान ख़ान की हुआ करती थी.

चुस्त चाल, तेज़ दिमाग़, सटीक गेंदबाज़ी

हेडली एक सुलझे हुए और सोच समझ कर गेंद डालने वाले क्रिकेटर थे. उनकी क्रिकेट बहुत अनुशासित और सटीकता का अभिप्राय थी. वे एक ही लेंथ पर घंटों गेंदबाज़ी करने में सक्षम थे. 1984 में इंग्लिश काउंटी नॉटिंघमशर के लिए उन्होंने 100 विकेट और 1000 रन बनाए. यह कितना महत्वपूर्ण था इसे ऐसे समझें कि उनसे पहले यह कारनामा केवल फ़्रेड टिटमस ने 1967 में किया था लेकिन टिटमस के समय तीन दिवसीय मैचों को बोलबाला था, तब हेडली के समय का लोकप्रिय वनडे क्रिकेट न के बराबर था. हेडली के जमाने में कंप्यूटर पर एक्सपर्ट विपक्षी टीम का विश्लेषण नहीं कर रही होती थी लेकिन हेडली सामने वाली टीम की कमज़ोरियों और ताक़त का बखूबी विश्लेषण किया करते थे. जिससे मैच के दौरान यह रणनीति बनाने में मदद मिलती थी कि कब कितने विकेट निकालने हैं. यही वजह है कि उस साल उन्होंने बाद के मैचों में अपना रनअप कम किया ताकि गेंद को अधिक प्रभावशाली बनाया जा सके. नतीजा यह रहा कि हेडली ने 51.26 की औसत से 1,179 रन बनाए और 14.05 की औसत से 117 विकेट लिए.

ऑस्ट्रेलिया के ख़िलाफ़ खेलना सबसे अधिक पसंद

हेडली के आंकड़े बताते हैं कि उन्हें ऑस्ट्रेलिया के ख़िलाफ़ टेस्ट मैच खेलना बेहद पसंद था. 86 टेस्ट में 431 विकेट चटकाने वाले हेडली ने अपने टेस्ट करियर में ऑस्ट्रेलिया के ख़िलाफ़ सबसे अधिक 23 टेस्ट मैचों में 130 विकेट लिए. उस दौरान उन्होंने 14 बार एक पारी में पांच या उससे अधिक बल्लेबाज़ों को आउट किया, जबकि पूरे करियर में यह रिकॉर्ड 36 बार पांच या उससे ज़्यादा विकेट लेने का रहा. टेस्ट क्रिकेट में उनका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन 9/52 भी ऑस्ट्रेलिया के ख़िलाफ़ ही आया.

हेडली की गेंदों में बहुत थी तेज़ी

हेडली की कद काठी तेज़ गेंदबाज़ों के जैसी नहीं लगती थी. लेकिन अपनी अद्भुत स्विंग और कट कराने की क्षमता के कारण हेडली एक आक्रामक और ख़तरनाक गेंदबाज़ थे. एक्सपर्ट कहते हैं कि हेडली की गेंदों में तेज़ी मैल्कम मार्शल और माइकल होल्डिंग के मुक़ाबले थोड़ी ही कम थी. भले ही यह पढ़ने सुनने में अटपटा लगे लेकिन जाने माने क्रिकेट विश्लेषक चार्ल्स डेविस के मुताबिक हेडली ने अपने करियर में कर्टने वॉल्श को छोड़कर अन्य किसी भी गेंदबाज़ की तुलना में सबसे अधिक बल्लेबाज़ों को घायल कर मैदान छोड़ने के लिए मजबूर किया था. उनके अनुसार अगर प्रति मैच घायल होने वाले बल्लेबाज़ों की संख्या को देखें तो हेडली केवल वेस हॉल और कोलिन क्राफ़्ट के बाद आते हैं.

क्रिकेट से पुराना नाता

हेडली के पिता वाल्टर अर्नोल्ड हेडली भी एक क्रिकेटर थे. 1937 से 1951 के बीच वो न्यूज़ीलैंड के लिए 11 टेस्ट मैच खेले. दूसरे विश्व युद्ध से पहले और युद्ध ख़त्म होने के बाद भी वो न्यूज़ीलैंड टीम के कप्तान थे. तो रियाटरमेंट के बाद लंबे समय तक टीम के सेलेक्टर भी रहे. उनके पांच बेटों में से तीन डेल, बैरी और रिचर्ड ने न्यूज़ीलैंड का प्रतिनिधित्व किया. इनमें से रिचर्ड हेडली बाद में क्रिकेट इतिहास के महानतम खिलाड़ियों में शुमार हुए. हेडली ने 86 टेस्ट मैचों में 431 विकेट, 115 वनडे में 158 विकेट और सभी फ़ॉर्मेट में 4,875 बनाकर अपना क्रिकेट करियर 1990 में समाप्त किया. क्रिकेट में उनके अमूल्य योगदान को देखते हुए 2009 में आईसीसी ने सर रिचर्ड हेडली को अपने हॉल ऑफ़ फ़ेम में शामिल किया.

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