कैच मैच जिताते हैं, पर ड्रॉप कैच की कीमत... जब छूटा कैच तो विपक्षी टीम ने जीता वर्ल्ड कप
भारत बनाम इंग्लैंड टेस्ट में यशस्वी जायसवाल के चार ड्रॉप कैच की सबसे ज़्यादा आलोचना हो रही है, हालांकि विशेषज्ञों ने विदेशी परिस्थितियों और ड्यूक बॉल को इसकी वजह बताया है. वहीं, मैच में भारत ने कुल 8 कैच छोड़े जिससे इंग्लैंड को करीब 250 रन का फ़ायदा मिला. क्रिकेट इतिहास में कई बार ड्रॉप कैच से मैच हारे गए हैं. जैसे 1999 में गिब्स का और 2011 में पाकिस्तान द्वारा छोड़ा गया तेंदुलकर का कैच.

भारत को इंग्लैंड से पहला टेस्ट हारे चार दिन से अधिक हो गए पर यशस्वी जायसवाल समेत भारतीय क्रिकेटरों के किए गए ड्रॉप कैचों की चर्चा ख़त्म होने का नाम ही नहीं ले रही है. सलाह दिए जा रहे हैं तो बचाव भी किया जा रहा है लेकिन जायसवाल को सबसे बड़ा दोषी माना जा रहा है, जबकि फ़ील्डिंग के उस्तादों का कहना है कि वहां के हालात और गेंद भी इसकी वजह रहे. वहीं यह भी बताया जा रहा है कि इंग्लैंड के क्रिकेटर्स ने भी कई कैच ड्रॉप किए, चूंकि वो जीत गए इसलिए उसकी चर्चा नहीं हो रही जबकि हारने वाली भारतीय टीम आलोचना का शिकार हो रही है.
दरअसल भारतीय टीम बढ़िया प्रदर्शन के बावजूद मैच के दौरान क़रीब आठ कैच ड्रॉप करने की वजह से निशाने पर है. इन कैचों की वजह से इंग्लैंड को कम से कम 250 रनों का फ़ायदा मिला. ये रन या इनमें से सौ-डेढ़ सौ रन भी अगर भारतीय टीम के स्कोरबोर्ड में होते तो इसकी पूरी संभावना है कि नतीजा अगर भारत के पक्ष में नहीं भी होता तो वो कम से कम हारते तो नहीं.
निश्चित रूप से यशस्वी जायसवाल से चार कैच छूटे तो आलोचना उन्हीं की सबसे ज़्यादा होगी. पहली पारी में जायसवाल से ओली पोप, बेन डकेट और हैरी ब्रूक का कैच छूटा तो दूसरी में जब बेन डकेट 97 रन पर थे तो जायसवाल ने एक बार फिर उनके कैच को ड्रॉप कर दिया. पहली पारी में जिन बल्लेबाज़ों के कैच जायसवाल से छूट गए उनमें से पोप ने 106 रन, ब्रूक ने 99 रन और डकेट ने 62 रन बनाए. वहीं डकेट (149) ने दूसरी पारी में मैच जिताऊ शतक बनाया.
एक्सपर्ट क्या कहते हैं?
अपनी फ़ील्डिंग हुनर के लिए मशहूर रहे पूर्व क्रिकेटर मोहम्मद कैफ़ ने सोशल मीडिया पर अपने एक पोस्ट में बताया कि क्यों जायसवाल से कैच छूटे और साथ ही उन्होंने यशस्वी का बचाव भी किया. कैफ़ ने यशस्वी के ड्रॉप कैच का विश्लेषण किया और बोले, यशस्वी कैच क्यों छोड़ रहे हैं? वहां हम ड्यूक गेंद से प्रैक्टिस कर रहे हैं, और जब चोट लगती है तो हम उसे पट्टी से बांध लेते हैं. ऐसी स्थिति में उंगलियां फंस जाती हैं, उनकी फ़्री मूवमेंट नहीं होती है. ऐसे में आपके लिए कैच लेना आसान नहीं होता. चूंकि वह गेंद बहुत उछलती है तो हाथ में आने के बाद भी वो उछल कर बाहर निकल जाती है इसकी बहुत संभावना होती है."
वहीं पूर्व फील्डिंग कोच आर. श्रीधर ने एक स्पोर्ट्स मैग़जीन से अपनी बातचीत में इंग्लिश कंडीशन की बात की और बताया कि वहां कैच लेना आसान क्यों नहीं है. श्रीधर बोले, "आप चाहे जितनी भी प्रैक्टिस कर लें, लेकिन मैच में हालात अलग और बहुत चैलेंजिंग होते हैं. इंग्लैंड का मौसम बहुत ठंडा है, फ़ील्डिंग के दौरान हाथों की उंगलियां सुन्न पड़ जाती हैं. साथ ही वहां जो ड्यूक गेंद से खेलते हैं वो भी हवा में सीधी नहीं आती बल्कि नाचते हुए आती है. वो हवा में काफी हिलती है, और जब वो आपकी तरफ़ आती है तो कैच करना आसान नहीं होता."
साई सुदर्शन, मार्को यानसेन के ड्रॉप कैच की चर्चा तक नहीं हुई
जायसवाल के साथ ही टेस्ट में डेब्यू कर रहे साई सुदर्शन ने भी मैच में कैच टपकाए. उन्होंने जेमी स्मिथ का कैच तब टपकाया जब वो केवल 19 रन बनाकर क्रीज़ पर थे. स्मिथ अगले क़रीब आठ ओवरों तक पिच पर बने रहे और 40 रन बनाकर नॉट आउट रहते हुए लौटे. लेकिन यह पहला मामला नहीं था जब साई सुदर्शन ने कोई महत्वपूर्ण कैच छोड़ा हो.
अभी क़रीब डेढ़ महीने पहले ही आईपीएल के दौरान गुजरात टाइटंस की ओर से खेलते हुए साई सुदर्शन ने मुंबई इंडियंस के ख़िलाफ़ विल जैक्स का कैच तब टपकाया था जब जैक्स शून्य पर थे. इतना ही नहीं उन्होंने सूर्यकुमार यादव का भी कैच तब टपका दिया था, जब मिस्टर 360 डिग्री केवल 10 रन बनाए थे. जैक्स का कैच (29 रन पर) उस मैच में मोहम्मद सिराज ने भी टपकाया था. विल जैक्स ने मैच में सर्वाधिक 53 रन बनाए तो सूर्यकुमार यादव ने 35 रन. वहीं मुंबई इंडियंस ने 20 ओवरों में 155/8 बनाए. मैच के दौरान शुभमन गिल को ड्रॉप कैच के दौरान अपना माथा पकड़े देखा गया. हालांकि डकवर्थ लुईस के तहत गुजरात की टीम 19 ओवरों में 147/7 बनाकर वो मुक़ाबला जीत गई तो उन दो ड्रॉप कैचों की बहुत अधिक चर्चा नहीं हुई.
कैच ड्रॉप किया, मैच नहीं गंवाए तो मिली माफ़ी
सुदर्शन की तरह ही इसी महीने की शुरुआत में हुए वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप के फ़ाइनल में मिचेल स्टार्क का ड्रॉप कैच दक्षिण अफ़्रीका के लिए कुछ समय के लिए भारी पड़ गया था. मार्को यानसेन ने तीसरे स्लिप में जब स्टार्क का कैच ड्रॉप किया था तब वो 14 बन बना कर खेल रहे थे और ऑस्ट्रेलिया का स्कोर 144/8 था. स्टार्क 58 रन बनाकर नॉट आउट रहे और ऑस्ट्रेलिया ने 207 रन बनाए.
हालांकि एडेन मारक्रम की अद्भुत शतकीय पारी की बदौलत दक्षिण अफ़्रीका वो मैच नहीं हारी और ड्रॉप कैच की चर्चा पूरी तरह से दब गई. लेकिन उसी दक्षिण अफ़्रीका के हर्षल गिब्स ने जब 1999 वर्ल्ड कप के सुपर सिक्स राउंड में ऑस्ट्रेलिया के ख़िलाफ़ एक ऐसा महत्वपूर्ण कैच गिराया जिसकी वजह से अफ़्रीकी टीम ने न केवल वो मैच गंवाया बल्कि बाद में उसी मैच के नतीजे की वजह से दक्षिण अफ़्रीका को वर्ल्ड कप से बाहर होना पड़ा था और ऑस्ट्रेलिया ने वो वर्ल्ड कप अपने नाम किया था. गिब्स बहुत ही अच्छे फ़ील्डर थे पर आज भी उनके उस कैच को टपकाने की चर्चा गाहे-ब-गाहे होती रहती है.
चाहे 1983 वर्ल्ड कप में कपिल देव के भागते हुए कैच लेकर विवियन रिचर्ड्स को आउट करने की बात हो या सूर्यकुमार यादव का पिछले ही साल चैंपियंस ट्रॉफ़ी के फ़ाइनल में लिया गया डेविड मिलर का कैच, अच्छे कैच तो सभी को याद रहते हैं पर एक ड्रॉप कैच की कीमत मैच गंवाने की भी हो सकती है. पर विश्व क्रिकेट में कई बार ऐसा मौक़ा आया जब एक ड्रॉप कैच की कीमत टीम को हार से चुकानी पड़ी.
ड्रॉप कैच से मैच हारने की कहानियां बहुत सी हैं और हमने हर्षल गिब्स के कैच ड्रॉप करने की चर्चा कर ही ली है. चलिए अब भारत और पाकिस्तान को ऐसे ही ड्रॉप कैच से वर्ल्ड कप में हुए फ़ायदे की बात करते हैं.
पाकिस्तान ने सचिन का कैच छोड़ा और भारत बना चैंपियन
2011 के वर्ल्ड कप का सेमीफ़ाइनल मुक़ाबला भारत और पाकिस्तान के बीच खेला जा रहा था. उस मैच में पाकिस्तान ने सचिन तेंदुलकर का कैच चार बार छोड़ा था. मिस्बाह-उल-हक़ ने तब उनके कैच को ड्रॉप किया जब तेंदुलकर केवल 27 रन बनाकर खेल रहे थे. सचिन ने उस मैच में 85 रन बनाया, प्लेयर ऑफ़ द मैच बने. मुक़ाबला 29 रन से जीत कर भारत फ़ाइनल में पहुंचा और आपको तो याद ही होगा कि 2011 में महेंद्र सिंह धोनी के नेतृत्व में भारतीय टीम ही चैंपियन बनी थी.
ग्राहम गूच ने इमरान का कैच टपका कर पाकिस्तान को सौंप दी ट्रॉफ़ी
1992 वर्ल्ड कप के फ़ाइनल में पाकिस्तान और इंग्लैंड आमने-सामने थे. इंग्लैंड के कप्तान ग्राहम गूच थे. पाकिस्तान पहले बल्लेबाज़ी कर रहा था और तब क्रीज़ पर उसके कप्तान इमरान ख़ान थे जो धीमी बैटिंग कर रहे थे. तभी उन्होंने फिलिप डिफ़्रेटस की गेंद पर एक आक्रामक शॉट जमाया. लेकिन गेंद बल्ले के ऊपरी किनारे से लग कर सीधे इंग्लिश कप्तान ग्राहम गूच के हाथों में गई. गूच ने डाइव लिया पर गेंद को लपक नहीं सके. इमरान ने मैच में सबसे अधिक 72 रन बनाए और वो फ़ाइनल 22 रन से जीत कर पहली बार वनडे वर्ल्ड कप चैंपियन बने. गूच के ड्रॉप कैच ने पाकिस्तान को अब तक का अपना इकलौता वनडे वर्ल्ड कप जीतने में मदद पहुंचाई.