Roger Binny: वर्ल्ड कप में सबसे अधिक विकेट लेने का रिकॉर्ड जो 16 साल तक नहीं टूटा
रोजर बिन्नी ने 1983 वर्ल्ड कप में 18 विकेट लेकर एक रिकॉर्ड बनाया जो 16 साल तक अटूट रहा. इस दौरान उन्होंने 8 मैचों में सबसे ज्यादा विकेट और 88 ओवर गेंदबाज़ी की. 1987 और 1992 में कई गेंदबाज़ों ने बराबरी की लेकिन रिकॉर्ड नहीं तोड़ा. आखिरकार 1999 में शेन वॉर्न ने इसे तोड़ा. बिन्नी न केवल बेहतरीन गेंदबाज़ बल्कि शानदार ऑलराउंडर भी थे और बाद में कोच, चयनकर्ता और बीसीसीआई अध्यक्ष बने.

ये तो सभी जानते हैं कि कपिल देव की कप्तानी में भारत ने 1983 का वर्ल्ड कप जीतने का कारनामा किया था. लेकिन कितने लोग ये जानते हैं कि उस टूर्नामेंट में भारत की ओर से सबसे अधिक विकेट किस गेंदबाज़ ने चटकाए थे. ये वो गेंदबाज़ थे जिन्होंने न केवल भारत की ओर से बल्कि पूरे टूर्नामेंट में सबसे अधिक 18 विकेट लेने का कारनामा किया था. इतना ही नहीं उन्होंने उस पूरे टूर्नामेंट में सबसे अधिक 88 ओवर गेंदबाज़ी भी की थी.
भारत के उस हरफ़नमौला क्रिकेटर का नाम रोजर बिन्नी है. जी हां, आप उन्हें इन दिनों बीसीसीआई यानी बोर्ड ऑफ़ कंट्रोल फ़ॉर क्रिकेट इन इंडिया के प्रेसिडेंट के तौर पर देख रहे हैं. ये वही रोजर बिन्नी हैं जिन्होंने 1983 वर्ल्ड कप के फ़ाइनल में कप्तान क्लाइव लॉयड का विकेट झटक कर वेस्ट इंडीज़ को बैकफ़ुट पर धकेला था. वर्ल्ड कप के फ़ाइनल में बिन्नी ने 10 ओवरों में 2.30 की इकॉनमी से केवल 23 रन खर्चे थे. मोहिंदर अमरनाथ और कपिल देव के बाद बिन्नी ने फ़ाइनल में सबसे किफ़ायती गेंदबाज़ी की थी.
वर्ल्ड कप में सबसे अधिक विकेट लेने का रिकॉर्ड
तो पूरे टूर्नामेंट में खेले गए 8 मैचों में उन्होंने 18 विकेट लेते हुए, एक वर्ल्ड कप में सबसे अधिक विकेट चटकाने का गैरी गिल्मर का रिकॉर्ड तोड़ दिया था. यह रिकॉर्ड लंबे समय तक उनके नाम पर बना रहा. 1987 के वर्ल्ड कप में वसीम अकरम ने भी 18 विकेट लिए लेकिन उन्होंने उसके लिए 10 मैच खेले. इसके बाद 1992 के वर्ल्ड कप में क्रेग मैग्डरमॉट ने आठ मैचों में 18 विकेट लेकर बिन्नी की बराबरी की, पर बिन्नी का रिकॉर्ड तोड़ नहीं सके.
आख़िर 16 साल बाद, 1999 के वर्ल्ड कप में ऑस्ट्रेलिया के शेन वॉर्न ने 20 विकेट लेकर एक वर्ल्ड कप में सबसे अधिक विकेट लेने के रोजर बिन्नी के रिकॉर्ड को तोड़ दिया. हालांकि अब यह रिकॉर्ड ऑस्ट्रेलिया के ही मिचेल स्टार्क के नाम पर है, जिन्होंने 2019 के वर्ल्ड कप में खेले गए 10 मुक़ाबलों में 27 विकेट चटकाए थे. रोजर बिन्नी उस भारतीय टीम का हिस्सा भी थे जिसने 1985 वर्ल्ड क्रिकेट चैंपियनशिप जीती थी. 1983 वर्ल्ड कप की तरह वो 1985 वर्ल्ड क्रिकेट चैंपियनशिप में भी सबसे अधिक विकेट लेने वाले गेंदबाज़ बने.
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बिल्कुल अलग थी रोजर बिन्नी की बॉलिंग स्टाइल
बिन्नी ने 1979 में पाकिस्तान के ख़िलाफ़ बेंगलुरु टेस्ट में डेब्यू किया. क्रिकेट से पहले बिन्नी जैवलिन थ्रो खेल में हिस्सा लेते थे लिहाज़ा उनकी बॉलिंग स्टाइल बिल्कुल अलग थी. जब वो गेंद डालने के लिए बॉलिंग क्रीज़ में आते तो उनके आगे का पांव ऑर्थोगोनल यानी 90 डिग्री पर क्रीज़ में पड़ता था, जबकि अन्य गेंदबाज़ों का पांव सीधा रहता है. उनकी बॉलिंग एक्शन डेनिस लिली से बहुत हद तक मिलती थी. पाकिस्तान के ख़िलाफ़ अपनी पहली ही सिरीज़ में बिन्नी ने ऑलराउंडर के रूप में पहचान बना ली जब उन्होंने अपने डेब्यू मैच में ही 46 रन और पांचवें टेस्ट में नाबाद 42 रन बनाए. 1983 वर्ल्ड कप और 1985 के वर्ल्ड क्रिकेट चैंपियनशिप में सबसे अधिक विकेट लेने के साथ ही बिन्नी ने टेस्ट क्रिकेट में कई यागदार प्रदर्शन किए हैं. 1983 में पाकिस्तान के ख़िलाफ़ बेंगलुरु टेस्ट की पहली पारी में जब 85 रन पर भारत के छह बल्लेबाज़ आउट हो चुके थे, तब बिन्नी ने सातवें विकेट के लिए मदन लाल के साथ 155 रनों की साझेदारी निभाते हुए पहली पारी को संभाला था. बिन्नी 83 रन बना कर अंत तक पिच पर डटे रहे और भारत का स्कोर 275 रन पर पहुंचाया. वो मैच ड्रॉ रहा था.
1986 के इंग्लैंड दौरे पर यादगार गेंदबाज़ी
1986 का इंग्लैंड दौरा बिन्नी के करियर के सबसे शानदार प्रदर्शनों में से एक था. लॉर्ड्स के पहले टेस्ट में भारत को मिली जीत में बिन्नी ने चार विकेट लिए, तो हेडिंग्ले के दूसरे टेस्ट मैच में बिन्नी ने अपनी गेंद के पैनेपन से अंग्रेज़ बल्लेबाज़ों के होश उड़ा दिए. उस मुक़ाबले में जहां दिलीप वेंगसरकर पहली पारी में अर्धशतक और दूसरी में शतक जमा कर 'मैन ऑफ़ द मैच' बने, वहीं इंग्लिश बल्लेबाज़ों की क़मर रोजर बिन्नी ने तोड़ी. पहली पारी में बिन्नी क़हर बन कर बरपे. बिन्नी ने शुरुआती पांच ओवरों के एक स्पेल के दौरान केवल 9 रन देकर चार बल्लेबाज़ों को आउट किया. इंग्लैंड का स्कोर 38 रन पर तीन विकेट से 71 रन पर आठ विकेट हो गया और बिन्नी ने पांच इंग्लिश बल्लेबाज़ों को पवेलियन लौटाया. ये बिन्नी का कमाल था कि पूरी इंग्लिश टीम महज़ 102 रन पर आउट हो गई. दूसरी पारी में भी बिन्नी ने इंग्लैंड के दो अहम विकेट चटकाए. अपनी गेंद को दोनों तरफ़ स्विंग करने में महारथ रखने वाले बिन्नी ने हेडिंग्ले टेस्ट में सात विकेट लिए और भारत ने इंग्लैंड को 279 रनों से हरा कर टेस्ट सिरीज़ में 2-0 की अजेय बढ़त ले ली.
बैट से भी दिया अहम योगदान
एजबेस्टन में खेला गया तीसरा टेस्ट ड्रॉ रहा लेकिन बिन्नी ने वहां अपने बल्ले से 40 रनों का योगदान दिया. इसी के साथ भारत को इंग्लैंड की सरज़मी पर एक यादगार जीत मिली. बिन्नी तेज़ बल्लेबाज़ी किया करते थे. उन्हें बतौर ओपनर या मिडिल ऑर्डर के बल्लेबाज़ के रूप में मैच में उतारा जाता था. बिन्नी ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट खेलने से पहले रणजी ट्रॉफ़ी मुक़ाबले में अपने बल्ले का ज़ोरदार कमाल दिखाया था. 1977-78 में केरल के ख़िलाफ़ एक मैच में बिन्नी ने संजय देसाई के साथ पहले विकेट के लिए नाबाद 451 रनों की साझेदारी निभाई थी. उसमें बिन्नी का योगदान नाबाद 211 रनों का था.
हालांकि गेंद से बिन्नी और भी ख़तरनाक थे. 1979 में पाकिस्तान के ख़िलाफ़ टेस्ट मैच में उन्होंने अपने एक स्पेल में माजिद ख़ान, ज़हीर अब्बास और जावेद मियांदाद को आउट कर पाकिस्तान को बैकफ़ुट पर धकेल दिया था तो 1983 के अहमदाबाद टेस्ट में गॉर्डन ग्रीनीज़, डेसमंड हेंस और विवियन रिचर्ड्स को आउट कर वेस्ट इंडीज़ की टीम के साथ भी ऐसा ही किया था. लंबे कद और सुडौल शरीर वाले बिन्नी एक बेहतरीन फ़ील्डर भी थे.
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कोच, सेलेक्टर और बीसीसीआई प्रमुख
क्रिकेट से रिटायर होने के बाद बिन्नी कई वर्षों तक कोच के भूमिका में भी रहे. उनके कोच रहते भारत की अंडर-19 टीम ने साल 2000 में वर्ल्ड कप जीता. वर्ल्ड कप जीतने वाली ये वही अंडर-19 टीम थी, जिससे युवराज सिंह और मोहम्मद कैफ़ जैसे क्रिकेटर राष्ट्रीय टीम में पहुंचे और भारत को कई यादगार जीत दिलाई. इसके दो साल बाद बिन्नी और ज़मीनी स्तर तक गए और अंडर-16 टीम को कोच किया, उनकी देखरेख में अंबाती रायडू, रॉबिन उथप्पा और इरफ़ान पठान जैसे क्रिकेटर्स को उभरने का भरपूर मौक़ा मिला. सितंबर 2012 में रोजर बिन्नी नेशनल सेलेक्टर बनाए गए लेकिन 2015 में उन्होंने अपने पद से इस्तीफ़ा दे दिया. अक्टूबर 2022 में रोजर बिन्नी बीसीसीआई के निर्विरोध अध्यक्ष चुने गए और उनकी ही देखरेख में दिसंबर 2023 में वीमेन प्रीमियर लीग की शुरुआत हुई.