Begin typing your search...

जेमिमा रोड्रिग्स बनीं भारत की नई ‘वंडर वुमन’, आंसुओं से इतिहास तक... जब एक लड़की ने पूरे देश को रुला दिया

नवी मुंबई के डी.वाई. पाटिल स्टेडियम में भारत ने महिला वर्ल्ड कप सेमीफाइनल में सात बार की चैंपियन ऑस्ट्रेलिया को 338 रनों के बड़े लक्ष्य का पीछा करते हुए हरा दिया. इस ऐतिहासिक जीत की सबसे बड़ी नायिका रहीं जेमिमा रोड्रिग्स, जिन्होंने नाबाद 127 रन बनाकर टीम को फाइनल में पहुंचाया. एक समय खराब फॉर्म और ड्रॉप होने के बाद जेमिमा ने जबरदस्त वापसी की और कप्तान हर्मनप्रीत कौर के साथ 167 रनों की साझेदारी कर ऑस्ट्रेलिया की अजेयता को तोड़ दिया.

जेमिमा रोड्रिग्स बनीं भारत की नई ‘वंडर वुमन’, आंसुओं से इतिहास तक... जब एक लड़की ने पूरे देश को रुला दिया
X
( Image Source:  ANI )
प्रवीण सिंह
Edited By: प्रवीण सिंह

Updated on: 31 Oct 2025 9:41 AM IST

नवी मुंबई के डी.वाई. पाटिल स्टेडियम में गुरुवार की रात भारतीय महिला क्रिकेट टीम ने ऐसा कारनामा कर दिखाया, जो अब तक एक सपने जैसा लगता था. सात बार की चैंपियन और अजेय मानी जाने वाली ऑस्ट्रेलिया महिला टीम को सेमीफाइनल में मात देकर भारत ने महिला वनडे वर्ल्ड कप के फाइनल में जगह बना ली. और इस जीत की सबसे बड़ी नायिका रहीं - जेमिमा रोड्रिग्स, जिन्होंने अपने बल्ले से ऐसा जादू दिखाया कि इतिहास बन गया.

जेमिमा की नाबाद 127 रनों की पारी ने न सिर्फ भारत को असंभव से लगने वाले 339 रनों के लक्ष्य तक पहुंचाया, बल्कि क्रिकेट जगत को यह भी याद दिलाया कि सपने देखने वाली लड़कियाँ अब इतिहास लिख रही हैं.

एक बार फिर वही डर

सेमीफाइनल के पहले हाफ में ऐसा लग रहा था मानो वही पुरानी कहानी दोहराई जा रही हो. ऑस्ट्रेलिया, जो पिछले कई सालों से विश्व कप में लगभग अजेय रही है - एक बार फिर अपने पूरे रौ में थी. 22 वर्षीय फोएबी लिचफील्ड (Phoebe Litchfield) ने शानदार शतक ठोका, एलीस पेरी (Ellyse Perry) ने 77 रन जोड़े और एशली गार्डनर (Ashleigh Gardner) ने अंत में तूफानी 63 रन बनाकर भारत को मैदान पर थका दिया. ऑस्ट्रेलिया ने 338 रन का विशाल स्कोर खड़ा किया. भारतीय गेंदबाज़ों ने लाइन-लेंथ खो दी, फील्डिंग लचर रही और सबको लगा कि “यह मैच तो गया.”

इतिहास भी यही कह रहा था. महिलाओं के वनडे में आज तक किसी टीम ने 330+ का लक्ष्य कभी नहीं चेज़ किया था. खुद ऑस्ट्रेलिया ही यह रिकॉर्ड रखती थी और भारत के खिलाफ ही उन्होंने ऐसा कारनामा किया था.

जेमिमा रोड्रिग्स - मुंबई की बेटी, जिसने चुपचाप सबक लिया

लेकिन यह कहानी यहीं खत्म नहीं हुई, बल्कि एक नई शुरुआत हुई. 25 वर्षीय जेमिमा रोड्रिग्स, जो नवी मुंबई की ही रहने वाली हैं, अपने होम ग्राउंड पर इतिहास लिखने को तैयार थीं. बाहर से वे शांत दिख रही थीं, लेकिन अंदर एक तूफान था. मैच के बाद जब उन्होंने कहा - “आज की रात मेरे बारे में नहीं है,” तो उनकी आंखों से बहते आंसू सब कुछ बयान कर रहे थे. पिछले एक महीने से वे रोज़ रोती थीं. टूर्नामेंट के शुरुआती चार मैचों में उनका प्रदर्शन बेहद खराब रहा - 0, 32, 0, 33. फिर उन्हें इंग्लैंड के खिलाफ मैच से ड्रॉप कर दिया गया. उस वक्त ऐसा लगा कि उनका वर्ल्ड कप खत्म हो गया है. लेकिन नियति ने उनके लिए कुछ और ही लिखा था.

Image Credit: ANI

वापसी और खुद पर भरोसा

न्यूजीलैंड के खिलाफ ‘करो या मरो’ मैच में कोच अमोल मजूमदार ने उन्हें दोबारा टीम में शामिल किया और सीधे नंबर 3 पर भेजा, जहां उन्होंने पहले मुश्किल से दो बार बल्लेबाज़ी की थी. नतीजा - नाबाद 76 रन सिर्फ 55 गेंदों में. सेमीफाइनल में भी फैसला आखिरी वक्त पर हुआ. जेमिमा ने खुद बताया कि उन्हें बल्लेबाज़ी क्रम का पता तब चला जब वे नहाने जा रही थीं, और किसी ने दरवाजा खटखटाकर कहा - “तुम नंबर 3 पर हो.” शायद यही बेफिक्री काम आई, क्योंकि सोचने का वक्त ही नहीं मिला.

जब मैदान पर इतिहास उतरता गया

शेफाली वर्मा शुरुआती ओवर में ही आउट हो गईं. अब जिम्मेदारी जेमिमा पर थी. उन्होंने आते ही क्रीज़ पर स्थिरता दी, और जब स्मृति मंधाना 59 के स्कोर पर आउट हुईं, तब भारत मुश्किल में था - 280 रन चाहिए थे लगभग 7 की औसत से. लेकिन यहीं से कहानी बदली. हरमनप्रीत कौर और जेमिमा ने मिलकर एक 167 रनों की साझेदारी की, जिसने मैच की दिशा ही बदल दी. यह साझेदारी शुरुआत में धीमी थी, पर धीरे-धीरे वह ऑस्ट्रेलिया के आत्मविश्वास को तोड़ने लगी.

जेमिमा की बल्लेबाज़ी - ताकत नहीं, तरकीब का खेल

जेमिमा के पास हर्मनप्रीत या रिचा घोष जैसी “पावर हिटिंग” नहीं है. लेकिन जो उनके पास है, वह है स्मार्ट क्रिकेट - गैप ढूंढना, स्ट्राइक रोटेट करना और रनिंग बिटवीन द विकेट्स में तेज़ी. उन्होंने खुद से पहले अपने अंदर के डर को हराया. पिच पर उनकी शांति ने पूरी टीम को स्थिर रखा. जब हरमनप्रीत 88 रन बनाकर आउट हुईं, तब भी जेमिमा ने रिचा घोष और दीप्ति शर्मा के साथ धैर्य बनाए रखा. उन्होंने गर्मी और थकान से लड़ते हुए अंत तक बल्लेबाज़ी की. उनकी नज़र, उनकी ऊर्जा और उनका फोकस - सब कुछ गहरी एकाग्रता में बंधा था. जब अंत में अमंजोत कौर ने चौका लगाकर भारत को जीत दिलाई, तब स्टेडियम गूंज उठा. जेमिमा घुटनों पर बैठ गईं और फिर से रो पड़ीं. लेकिन इस बार, ये खुशी के आंसू थे.

इतिहास के पन्नों में दर्ज

भारत ने 49-11 के रिकॉर्ड वाले ऑस्ट्रेलिया को हराया - वह भी 338 रन के पहाड़ जैसे लक्ष्य का पीछा करते हुए. यह जीत भारतीय महिला क्रिकेट इतिहास की सबसे बड़ी जीतों में गिनी जाएगी. सेमीफाइनल के बाद जब जेमिमा से पूछा गया कि क्या यह रात उनकी जिंदगी की सबसे यादगार रात है, उन्होंने मुस्कराकर कहा, “यह रात सिर्फ मेरी नहीं, पूरे भारत की है. जो सपना हमने 2017 में देखा था, वह आज पूरा हुआ है.” दरअसल, 2017 में जब भारत इंग्लैंड से फाइनल हारकर लौटा था, तब 16 साल की जेमिमा मुंबई एयरपोर्ट पर उन खिलाड़ियों का स्वागत करने पहुंची थीं. उस वक्त उन्होंने मन ही मन ठान लिया था - “एक दिन मैं भी वर्ल्ड कप में भारत के लिए इतिहास बनाऊंगी.” आठ साल बाद, उसी शहर, उसी देश और उसी टीम के खिलाफ उन्होंने अपना सपना सच कर दिया.

कोच अमोल मजूमदार का दांव और टीम का आत्मविश्वास

कोच अमोल मजूमदार ने जेमिमा को लगातार भरोसा दिया, भले ही वे फॉर्म में नहीं थीं. उन्होंने कहा था, “क्रिकेट में कभी-कभी गिरना जरूरी होता है, ताकि खिलाड़ी अपने असली खेल को समझ सके.” सेमीफाइनल की रात यही साबित हुआ. जेमिमा की पारी सिर्फ रन नहीं थी - यह एक मानसिक जीत थी.

अब अगला पड़ाव - दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ फाइनल

अब भारत फाइनल में दक्षिण अफ्रीका से भिड़ेगा. जो भी टीम जीतेगी, वह पहली बार महिला विश्व कप की चैंपियन बनेगी. लेकिन इस जीत ने पहले ही एक बात साफ कर दी है - भारतीय महिला क्रिकेट अब “अंडरडॉग” नहीं रहा. जेमिमा रोड्रिग्स की यह पारी आने वाले वर्षों तक याद रखी जाएगी - न सिर्फ इसलिए कि उन्होंने 338 रन का लक्ष्य हासिल करवाया, बल्कि इसलिए भी कि उन्होंने यह दिखाया कि असली ताकत भीतर की लड़ाई जीतने में होती है.

उनकी कहानी यह बताती है कि कभी-कभी रोना भी जरूरी होता है - क्योंकि वही आंसू, जब खुशी में बहते हैं, तो इतिहास बन जाता है.

क्रिकेट न्‍यूज
अगला लेख