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शनिवार को करें पीपल की पूजा जानें ये खास नियम, जो दिला सकते हैं शनिदेव की कृपा

पीपल का वृक्ष भारतीय संस्कृति और धर्म में विशेष महत्व रखता है. इसे बेहद पवित्र माना गया है और इसके विभिन्न हिस्सों में अलग-अलग देवताओं का वास बताया गया है. कहा जाता है कि भगवान कृष्ण ने स्वयं को पीपल वृक्ष का रूप माना है, जिससे इस वृक्ष की धार्मिक और ज्योतिषीय महत्ता और भी बढ़ जाती है.

शनिवार को करें पीपल की पूजा जानें ये खास नियम, जो दिला सकते हैं शनिदेव की कृपा
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स्टेट मिरर डेस्क
By: स्टेट मिरर डेस्क

Published on: 9 Nov 2024 10:30 PM

Peepal Ke Upay: पीपल का वृक्ष भारतीय संस्कृति और धर्म में विशेष महत्व रखता है. इसे बेहद पवित्र माना गया है और इसके विभिन्न हिस्सों में अलग-अलग देवताओं का वास बताया गया है. कहा जाता है कि भगवान कृष्ण ने स्वयं को पीपल वृक्ष का रूप माना है, जिससे इस वृक्ष की धार्मिक और ज्योतिषीय महत्ता और भी बढ़ जाती है. आइए जानते हैं कि पीपल पर जल अर्पित करने का सही तरीका क्या है और इससे क्या लाभ होते हैं.

अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में ग्रहों का अशुभ प्रभाव है, तो उसे पीपल के पेड़ पर नियमित जल चढ़ाना चाहिए. माना जाता है कि पीपल के वृक्ष में जल अर्पित करने से नवग्रहों की शांति होती है. विशेष रूप से राहु और केतु के कुप्रभाव को कम करने के लिए पीपल का वृक्ष बेहद प्रभावी माना गया है. ज्योतिष के अनुसार, पीपल पर जल अर्पण से ग्रहों का नकारात्मक प्रभाव शांत होता है.

जिनकी कुंडली में शनि का कुप्रभाव है, जैसे साढ़ेसाती या ढैय्या का असर हो, उन्हें शनिवार के दिन पीपल पर जल चढ़ाने की सलाह दी जाती है. इससे शनि के नकारात्मक प्रभाव में कमी आती है. इसके साथ ही, शाम को पीपल के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाने से भी शनि ग्रह शांत होता है. यह उपाय शनि दोष को कम करने और जीवन में स्थिरता लाने में सहायक होता है.

मान्यता है कि संध्या के समय पीपल वृक्ष के पास दीपक जलाने से देवी लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है. अगर सरसों के तेल का दीपक जलाया जाए, तो यह विशेष शुभ होता है. सूर्यास्त के बाद पीपल वृक्ष की परिक्रमा करने और दीपक जलाने से सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बढ़ता है.

पीपल वृक्ष की विषम संख्या में परिक्रमा करना भी विशेष लाभकारी माना गया है. जैसे कि 1, 3, 5, या 11 परिक्रमा करने से ग्रहों का शुभ प्रभाव प्राप्त होता है. कहा जाता है कि अगर कोई 108 परिक्रमाएं करे, तो जीवन में नवग्रहों की शांति और शुभता आती है, जिससे शनि के कुप्रभाव में भी राहत मिलती है.

डिस्क्लेमर: यह लेख सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. हम इसके सही या गलत होने की पुष्टि नहीं करते.

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