शनिदेव को क्यों चढ़ाया जाता है तेल? जानें इसके पीछे की पौराणिक कथा
शनिदेव को तेल अर्पित करने की परंपरा प्राचीन पौराणिक कथाओं से जुड़ी है. एक कथा के अनुसार हनुमानजी ने लंका में उल्टे लटके शनिदेव पर तेल लगाकर उनका दर्द कम किया. दूसरी कथा में हनुमानजी और शनिदेव के युद्ध के बाद हनुमानजी ने घायल शनिदेव पर तेल लगाकर उन्हें राहत दी. इन घटनाओं के बाद शनिदेव ने आशीर्वाद दिया कि जो भक्त श्रद्धा और भक्ति से उन्हें तेल अर्पित करेंगे, उनके जीवन की सभी परेशानियां दूर होंगी और उनकी मनोकामनाएं पूरी होंगी.

वैदिक ज्योतिष और धर्म ग्रंथों में शनिदेव का विशेष महत्व होता है. शनि सबसे मंद गति से चलने वाले ग्रह हैं यह एक राशि में करीब ढाई वर्षों तक रहते हैं, जिस कारण से इनका शुभ-अशुभ प्रभाव ज्यादा दिनों तक रहता है. ज्योतिष में शनिदेव को न्यायाधीश का दर्जा मिला हुआ है. इसके अलावा शनि को कर्म फलदाता माना जाता है. यह व्यक्तियों को उसके कर्मों के आधार पर फल देते हैं. शनिदेव के प्रकोप से हर कोई डरता है.
अगर शनिदेव की अशुभ द्दष्टि पड़ जाए तो व्यक्ति के जीवन में तमाम तरह की परेशानियां का सामना करना पड़ता है. शनिदेव प्रसन्न करने के लिए उन्हे शनिवार के दिन सरसों का तेल अर्पित किया जाता है. ऐसी मान्यता है कि शनिदेव तेल अर्पित करने से शनि दोषों से मुक्ति मिलती है और उनका आशीर्वाद बना रहता है. लेकिन क्या आप जानते हैं आखिरकार शनिदेव को तेल क्यों चढ़ाया जाता है. आइए जानते हैं इसके पीछे की पौराणिक मान्यताएं.
हनुमानजी ने शनिदेव को कैद से करवाया था मुक्त
एक कथा के अनुसार, लंका का राजा रावण एक बार सभी नौ ग्रहों को अपने प्रताप के बल पर अपने दरबार में बंदी बना लिया था, जिसमें शनिदेव को रावण ने बंदीगृह में कैद कर उल्टा लटका दिया था. इस दौरान हनुमान जी माता सीता की खोज करते हुए लंका पहुंच गए थे. हनुमान जी लंका पहुंचकर अशोक वाटिका समेत दूसरे जगहों को तहस-नहस कर डाला था. फिर इसके बाद हनुमान जी को बंदी बना लिया और उन्हे रावण के सामने दरबार में पेश किया था. तब रावण ने अपने सैनिकों को आदेश देते हुए रावण की पूंछ में आग लगा दी थी. हनुमान जी की पूंछ में आग लगाने से वे पूरी लंका में उछल कूद करते हुए रावण के महल में आग लगा दी थी. लंका में आग लगने की वजह से सभी ग्रह आजाद हो गए, लेकिन शनिदेव के उल्टे लटके होने के कारण वह आजाद नहीं हो सके.
जब हनुमानजी की द्दष्टि शनिदेव पर पड़ी तो उन्होंने शनि देव को नीचे उतारा. उल्टे लटके होने के कारण शनिदेव के शरीर में काफी पीड़ा हो रही थी जिसका दर्द वह नहीं सहन कर पा रहे थे. तब हनुमानजी ने शनि को पीड़ा से मुक्ति पाने के लिए उनके पूरे शरीर पर तेल लगाकर उनको दर्द से मुक्ति दिलाई थी. तब शनि देव प्रसन्न हुए और कहा कि जो भी व्यक्ति श्रद्धा भक्ति से मुझ पर तेल चढ़ाएगा उसके जीवन में आने वाली सभी परेशानियों से से मुक्ति मिल जाएगी. तभी से शनिदेव पर तेल चढ़ाने की परंपरा प्रारंभ हुई.
हनुमानजी और शनिदेव के बीच युद्ध
एक बार शनि देव को अपने ताकत पर घमंड हो गया था. जब शनिदेव को हनुमानजी के साहस और पराक्रम का पता चला तो वह उनसे युद्ध करने के लिए निकल पड़े.हनुमानजी को खोजते हुए वे उनके पास पहुंचे, तब हनुमान आंख बंदकर राम नाम का लगातार जाप कर रहे थे. शनिदेव ने युद्ध के लिए हनुमान जी को ललकारा पर हनुमानजी ने उनको समझाया की मैं अभी अपने आराध्य प्रभु राम के ध्यान में हूं, लेकिन शनिदेव नहीं मान रहे थे और लगातार युद्ध के लिए हनुमान जी को ललकार रहे थे. शनिदेव के नहीं मानने पर हनुमान जी युद्ध के लिए तैयार हुए और युद्ध करते हुए शनि देव को अपनी पूंछ में लपेटकर पत्थरों पर पटक-पटक कर मारा, जिससे वह बुरी तरह परास्त होकर घायल हो गए.
तब शनिदेव को अपनी गलती का अहसास हुआ और दर्द से कराहते हुए हनुमानजी से क्षमा मांगी और कहा आज के बाद जो वह हनुमान जी के भक्तों को कभी भी परेशान नहीं करेंगे और उनकी पूजा करने वालों को अपनी शुभ द्दष्टि ही रखेंगे. इसके बाद बजरंगबली ने शनिदेव को माफी देते हुए उनके जख्मों पर तेल लगाया जिससे उनका पूरा दर्द गायब हो गया. तब शनिदेव ने कहा जो भी मनुष्य मुझे सच्चे मन से तेल चढ़ाएगा में उसकी सभी पीड़ाओं का निवारण करूंगा और हर तरह की मनोकामना को पूरा करूंगा.