कुंडली में कमजोर ग्रह देते हैं तरह-तरह के कष्ट, जानिए 9 ग्रहों के बलहीन होने पर मिलने वाला फल
वैदिक ज्योतिष के अनुसार कुंडली में नौ ग्रहों की स्थिति व्यक्ति के जीवन को प्रभावित करती है. जब ग्रह कमजोर या पीड़ित होते हैं, तो व्यक्ति को उनसे जुड़े क्षेत्रों में परेशानी झेलनी पड़ती है. सूर्य के निर्बल होने पर स्वास्थ्य प्रभावित होता है, चंद्रमा से मानसिक कष्ट, मंगल से गुस्सा और दुर्घटना का भय, शुक्र से वैवाहिक असंतोष, जबकि शनि से संघर्ष और देरी का सामना करना पड़ता है. राहु-केतु की कमजोरी मानसिक भ्रम और रिश्तों में तनाव लाती है.
वैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कुंडली में ग्रहों की शुभ और अशुभ स्थिति व्यक्ति के पूरे जीवन पर पूरी तरह से प्रभाव डालते हैं. जब किसी जातक की कुंडली में ग्रहों की स्थिति अच्छी होती है तब व्यक्ति के जीवन में सुख-सुविधा, धन-दौलत और मान-सम्मान की कोई भी कमी नहीं होती, लेकिन वहीं जिन जातकों की कुंडली में ग्रहों से संबंधित दोष होते हैं उनके जीवन में उस ग्रह से जुड़े कारकत्व में कमी आती है जिससे व्यक्ति को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है.
उदाहरण के लिए, सूर्य की कमजोरी से आत्मबल और स्वास्थ्य प्रभावित होते हैं, जबकि चंद्रमा के निर्बल होने पर मानसिक तनाव और अस्थिरता बढ़ती है. इसी तरह, शनि, मंगल, शुक्र, राहु और केतु जैसे ग्रहों की दुर्बलता व्यक्ति के जीवन में देरी, संघर्ष, और असंतोष का कारण बन सकती है. इसलिए कुंडली में ग्रहों की स्थिति को समझना जीवन के उतार-चढ़ाव को जानने की कुंजी मानी जाती है. वैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कुल 9 ग्रह होते हैं. आइए जानते हैं कुंडली में ग्रहों के कमजोर होने पर कैसा मिलता है फल.
सूर्य ग्रह की कमजोरी से कष्ट
सूर्य को ग्रहों का राजा की उपाधि प्राप्त है. कुंडली में सूर्य के कमजोर होने पर व्यक्ति ज्वर, छय और अतिसार रोग से ग्रसित होता है.
चंद्रमा की कमजोरी से कष्ट
चंद्रमा को मन का कारक ग्रह माना गया है और यह जल तत्व प्रधान ग्रह होता है. कुंडली में चंद्रमा के निर्बल होने पर व्यक्ति को तरह-तरह के मानसिक कष्टों का सामना करना पड़ता है. मन अशांत, पानी से डर और किसी भी निर्णय को लेने में देरी करता है.
मंगल ग्रह की कमजोरी से कष्ट
मंगल को ग्रहों का सेनापति का दर्जा मिला है. यह युद्ध, रक्त, सेना और पराक्रम का कारक ग्रह होता है. जिन लोगों की कुंडली में मंगल कमजोर होता है उनको हमेशा आग से डर लगता है. व्यक्ति का स्वभाव उग्र, क्रोधी और चिढ़चिढ़ेपन का शिकार होता है. ऐसा व्यक्ति रिश्तों और कानूनी मामलों में उलझता रहता है.
बुध ग्रह के कमजोर होने पर कष्ट
कुंडली में बुध के कमजोर होने पर व्यक्ति की याद्दाश्त कमजोर होती है. ऐसे व्यक्ति को चीजों को समझने में अधिक समय लगता है.
गुरु ग्रह के कमजोर होने पर कष्ट
जिन लोगों की कुंडली में गुरु कमजोर होता हैस उसको लिवर से संबंधित रोग परेशान करते हैं. विवाह में देरी और कम भाग्यशााली होता है.
शुक्र ग्रह के कमजोर होने पर कष्ट
शुक्र धन, सुख-संपदा, वैभव और सौंदर्य का कारक ग्रह होता है. कुंडली में शुक्र के कमजोर होने से व्यक्ति को सुख-सुविधाओं में कमी, प्रेम संबंधों,वैवाहिक जीवन और शारीरिक सुंदरता में भी कमी देखने को मिलती है. कुंडली में शुक्र के बलहीन पर व्यक्ति की प्रजनन से जुड़ी परेशानियों का सामना करना पड़ता है.
शनि ग्रह के कमजोर होने पर मिलने वाला कष्ट
कुंडली में शनि के कमजोर होने पर व्यक्ति के जीवन में संघर्ष और सफलताओं में देरी होती है. शनि के कमजोर होने पर हड्डियों , नसों और जोड़ों से जुड़ी परेशानियों का सामना करना पड़ता है.
राहु के कमजोर होने पर मिलने वाला कष्ट
जिन जातकों की कुंडली में राहु ग्रह कमजोर होता है व्यक्ति कई तरह की शारीरिक और मानसिक परेशानियों से जूझना पड़ता है. मानसिक तनाव, भ्रम, माइग्रेन और निर्णय लेने में कठिनाई आती हैं.
केतु के कमजोर होने पर मिलने वाला कष्ट
जब कुंडली में केतु बुरी तरह से पीड़ित होता है तो व्यक्ति अकेलापन महसूस करता है. रिश्तों में तनाव और संतान से कष्ट की प्राप्ति मिलती है.





