हाथ लगाते ही घी में बदला पानी! जब बाबा नीम करोली के दरबार में हुआ था अनोखा चमत्कार, हैरान रह गए थे भक्त
नीम करोली बाबा (महाराज जी) भारत के एक महान संत थे. वे भगवान हनुमान के परम भक्त माने जाते हैं. उनका जीवन चमत्कारों, सेवा, और भक्ति से भरा हुआ था. स्टीव जॉब्स, मार्क ज़ुकरबर्ग, और कई विदेशी अनुयायी भी उनकी शिक्षाओं से प्रेरित हुए.

बाबा नीम करोली से जुड़ी कई चमत्कारी कहानियां हम सभी ने सुनी है, चाहे टीटी का उनका ट्रैन से उतारना, जंग के मैदान में अपने कंबल से सैनिक की रक्षा करना या उनके पानी का घी में बदल जाना. बाबा से जुड़ी ऐसी तमाम कहानियां मशहूर हैं जो प्रसिद्ध आध्यात्मिक लोककथाओं में से एक है. उनकी कहानियां उनके भक्तों में यह विश्वास जगाती है कि कैसे बाबा के आशीर्वाद और विश्वास से असंभव भी संभव हो जाता है. आइये जानें उनकी उस चमत्कारी कहानी के बारें जब उन्होंने अपने कहे शब्दों से ही पानी को घी में बदल दिया था.
एक बार की बात है.. नीम करोली बाबा के आश्रम में एक भंडारा (भोजन प्रसाद) आयोजित किया गया था. दूर-दूर से हज़ारों श्रद्धालु बाबा के दर्शन और प्रसाद के लिए वहां आए हुए थे. जैसा कि परंपरा थी, भक्तों को सादा और पवित्र भोजन- खिचड़ी, सब्ज़ी, पूड़ी, और हलवा परोसा जाता था और ज़ाहिर है, इन पकवानों को बनाने के लिए घी की भारी मात्रा की जरूरत थी. भंडारे की तैयारियां चल रही थी, तभी रसोईघर से खबर आई कि घी खत्म हो गया है. बाबा के सेवक और रसोई में काम करने वाले बेहद परेशान हो गए. किसी ने कहा, 'इतने सारे लोग आए हैं, बिना घी के कैसे बनेगा खाना?. दूसरे ने कहा, 'इतनी जल्दी बाज़ार से घी लाना मुश्किल है.... क्या करें?.'
बाब की एक आज्ञा पर हुआ चमत्कार
जब यह बात नीम करोली बाबा तक पहुंची, तो उन्होंने मुस्कराते हुए कहा, 'घबराओ मत जाओ नदी बह रही है उसमें से पानी ले आओ और उसे कढ़ाही में डाल दो. सेवक चौंक गए, पानी से घी कैसे बन सकता है?. लेकिन कोई भी बाबा की आज्ञा का उल्लंघन नहीं कर सकता था. पूर्ण श्रद्धा के साथ उन्होंने वैसा ही किया पानी लाया गया और उसे कढ़ाही में डाला गया. बाबा वहां बैठकर ध्यान की मुद्रा में कुछ मंत्र बुदबुदाते रहे. कुछ देर बाद जब रसोइयों ने कढ़ाही में देखा, तो कढ़ाही में पानी नहीं, बल्कि शुद्ध घी था. यह देखकर सभी हैरान और भावविभोर हो गए. बाबा की कृपा और विश्वास का यह प्रत्यक्ष प्रमाण था. उस घी से प्रसाद बना और हर भक्त को स्वादिष्ट, पवित्र भोजन प्राप्त हुआ.
कौन थे नीम करोली बाबा?
नीम करोली बाबा (महाराज जी) भारत के एक महान संत थे. वे भगवान हनुमान के परम भक्त माने जाते हैं. उनका जीवन चमत्कारों, सेवा, और भक्ति से भरा हुआ था. स्टीव जॉब्स, मार्क ज़ुकरबर्ग, और कई विदेशी भक्त भी उनसे न सिर्फ प्रेरित हुए बल्कि उनसे प्रभावित हुए. नीम करोली बाबा (लगभग 1900 - 11 सितंबर 1973) 20वीं सदी के एक प्रसिद्ध भारतीय संत, हनुमान भक्त और आध्यात्मिक गुरु थे. उनका असली नाम लक्ष्मण नारायण शर्मा था, और वे उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद जिले के अकबरपुर गांव में एक धनी ब्राह्मण परिवार में पैदा हुए थे. 11 साल की उम्र में उनका विवाह हुआ, लेकिन 17 साल की उम्र में उन्हें आध्यात्मिक ज्ञान हासिल हुआ, और वे साधु बनने के लिए घर छोड़कर चले गए. बाद में पिता के आग्रह पर गृहस्थ जीवन में लौटे और तीन बच्चों के पिता बने. नीम करोली बाबा नाम तब पड़ा जब एक बार बिना टिकट ट्रेन में यात्रा के दौरान उन्हें नीम करोली स्टेशन पर उतारा गया. ट्रेन के न चलने पर लोगों ने उनसे माफी मांगी, और तब से वे नीम करोली बाबा कहलाए। वे भगवान हनुमान के परम भक्त थे और उन्हें हनुमान का अवतार भी माना जाता है। उन्होंने देशभर में लगभग 108 हनुमान मंदिर बनवाए.