कुंडली में ग्रहों के ये शक्तिशाली योग व्यक्ति को दिलाते हैं शोहरत और प्रसिद्धि
हर इंसान की चाहत होती है कि उसे समाज में नाम, शोहरत और पहचान मिले. कुछ लोग अपनी मेहनत से यह मुकाम हासिल करते हैं, जबकि कुछ की किस्मत उन्हें स्वाभाविक रूप से प्रसिद्ध बना देती है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, कुंडली में कुछ खास ग्रहों के योग ऐसे होते हैं जो व्यक्ति को असाधारण पहचान और लोकप्रियता दिला सकते हैं.

वैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कुंडली में मौजूद ग्रहों की स्थिति, डिग्री और अन्य दूसरे ग्रहों के साथ युति संबंध से किसी जातक के भूत, वर्तमान और भविष्य के बारे में जानकारियां हासिल की जाती हैं. जब कोई व्यक्ति किसी ज्योतिषी के पास जाता है तो वह अपनी कुंडली को दिखाते हुए एक प्रश्न सबसे ज्यादा पूछता है कि उसका करियर, जीवन में धन-दौलत, नाम, प्रसिद्धि और मान-सम्मान कैसा रहेगा.
कुंडली में ग्रहों के संयोजन और संकेतों के अध्ययन के आधार पर व्यक्ति के भविष्य के बारे में भविष्यवाणियां की जाती हैं. आज हम आपको कुंडली में मौजूद कुछ ऐसे योगों के बारे में बताने जा रहे हैं जिससे व्यक्ति के जीवन में शोहरत, प्रतिष्ठा और मान-सम्मान की प्राप्ति होती है. आइए जानते हैं.
इन ग्रहों की युति और योग से मिलती है प्रसिद्धि
- वैदिक ज्योतिष शास्त्र में किसी जातक या जातिका के प्रसिद्धि का संबंध कुंडली के पहले और दशम भाव के साथ-साथ चंद्रमा की स्थिति से तय होता है. आपको बता दें कि जन्म कुंडली के पहले भाव का संबंध व्यक्ति के स्वयं से होता है और दशम भाव करियर और मान-सम्मान से संबंधित होता है.
- जब कुंडली में शुभ ग्रह जैसे चंद्रमा, देवगुरु बृहस्पति और शुक्र की स्थिति मजबूत होती है तो व्यक्ति को नाम ,प्रसिद्धि और लोकप्रियता में वृद्धि होती है.
पंच महापुरुष योग
वैदिक ज्योतिष शास्त्र में पंच महापुरुष योग को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है. कुंडली में इस योग के बनने से व्यक्ति को समाज में अच्छा मान-सम्मान और प्रसिद्धि मिलती है. जब मंगल, बुध, शुक्र, शनि और गुरु में से कोई एक भी ग्रह अपनी उच्च राशि या स्वराशि में केंद्र भाव में विराजमान हो तो पंच महापुरुष राजयोग बनता है.
अमला योग
जब भी किसी कुंडली में शुभ ग्रह जैसे बृहस्पति, शुक्र और बुध ग्रह लग्न या चंद्रमा से दसवें भाव में हो और किसी अशुभ ग्रह की द्दष्टि इस पर न पड़े तो व्यक्ति अपने जीवन में बहुत ही मान-सम्मान प्राप्त करने वाला होता है.
राज योग
जब कुंडली में केंद्र और त्रिकोण भाव के स्वामियों की युति होती हैं तो व्यक्ति को जीवन भर शोहरत, मान-सम्मान और पद-प्रतिष्ठा की प्राप्ति होती है.
गजकेसरी योग
गजकेसरी योग को बहुत ही शुभ माना जाता है. इसका निर्माण चंद्रमा से केंद्र में बृहस्पति के होने और योग कारक ग्रह होने से निर्माण होता है. इससे व्यक्ति की बुद्धि, उच्च-प्रतिष्ठा और मान-सम्मान की प्राप्ति होती है. इस योग के निर्माण से समाज में खूब मान-सम्मान मिलता है.
बुधादित्य योग
जब किसी एक भाव में सूर्य और बुध की युति होती है तो यह योग बनता है. इस योग के बनने से व्यक्ति को प्रसिद्धि और मान-सम्मान की प्राप्ति होती है.
नीचभंग राजयोग
जब कुंडली में दुर्लभ ग्रहों की दुर्बलता को कुंडली में बने कुछ विशेष ग्रहों के योग से भंग हो जाता है तो नीच भंग राजयोग बनता है. कुंडली में नीचभंग राजयोग के बनने पर व्यक्ति को जीवन में शोहरत की प्राप्ति होती है.
विपरीत राजयोग
जब कुंडली के छठे, आठवें और बारहवें भाव के स्वामी की स्वयं इन भावों में हो तो विपरीत राजयोग बनता है. इस योग से व्यक्ति को प्रसिद्धि प्राप्ति होती है.