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Shardiya Navratri 2025: कब है शारदीय नवरात्रि, देवी पूजा में वास्तु के ये नियम नहीं अपनाएं, तो होगा भारी नुकसान

नवरात्रि के दौरान 9 दिनों तक यह अपने भक्तों के बीच में रहती हैं और उनकी भक्ति व सेवा भाव से प्रसन्न होकर आशीर्वाद प्रदान करती हैं. ऐसे में नवरात्रि पर देवी उपासना का काफी महत्व बढ़ जाता है. जिसमें देवी दुर्गा के नौ अलग-अलग स्वरूपों की पूजा-आराधना करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है. शास्त्रों में नवरात्रि के दिनों में देवी की उपासना के लिए कई तरह के नियमों का पालन करना जरूरी होता है.

Shardiya Navratri 2025: कब है शारदीय नवरात्रि, देवी पूजा में वास्तु के ये नियम नहीं अपनाएं, तो होगा भारी नुकसान
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( Image Source:  Canva )
State Mirror Astro
By: State Mirror Astro

Updated on: 12 Sept 2025 6:00 AM IST

हिंदू धर्म में नवरात्रि के पर्व विशेष महत्व होता है. एक वर्ष में चार बार नवरात्रि आती है जिसमें दो गुप्त नवरात्रि होती है जबकि एक चैत्र और एक शारदीय नवरात्रि होती है. नवरात्रि पर देवी दुर्गा के नौ अलग-अलग स्वरूपों की पूजा होती है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार नवरात्रि पर देवी दुर्गा का आगमन पृथ्वी लोक पर होता है.

देवी उपासना में वास्तु के नियमों का भी विशेष ध्यान दिया जाता है. जिससे घर में सुख-समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव बना रहता है. आइए जानते हैं शारदीय नवरात्रि में देवी उपासना के लिए किन-किन नियमों का विशेष ध्यान देना जरूरी होता है.

कलश स्थापना का स्थान

नवरात्रि पर्व पर प्रतिपदा तिथि पर कलश स्थापना का विशेष महत्व होता है. कलश स्थापना के साथ ही नौ दिनों तक देवी दुर्गा की उपासना और साधना का महापर्व नवरात्रि शुरू हो जाता है. वास्तु शास्त्र के अनुसार, कलश को पूजा स्थल के उत्तर-पूर्वी दिशा में स्थापना करना शुभ होता है. साथ ही इस बात का विशेष ध्यान देना चाहिए कलश ऊंचे और साफ स्थान पर रखें. कलश का मुख बंद होना चाहिए, जिसमें नारियल और आम के पत्ते रखें. इससे घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह फैलता है और घर में सुख-समृद्धि का वास होता है.

पूजा स्थल की दिशा

पूजा-पाठ के लिए ईशान कोण का विशेष महत्व होता हैं. ऐसे में नवरात्रि पर देवी की पूजा-उपासना के लिए ईशान कोण (उत्तर-पूर्व दिशा) सबसे शुभ स्थान मानी जाती है. यह दिशा पवित्रता और आध्यात्मिक उन्नति का प्रतीक है. अगर ईशान कोण उपलब्ध न हो, तो उत्तर या पूर्व दिशा का भी चयन कर सकते हैं.

मूर्ति या चित्र की जगह

नवरात्रि पर देवी दुर्गा की प्रतिमा रखने की दिशा का भी विशेष महत्व होता है. वास्तु के अनुसार देवी दुर्गा की मूर्ति या फिर फोटो को उत्तर-पूर्व दिशा में इस प्रकार रखना चाहिए कि पूजा करते समय आपका मुख पूर्व या उत्तर दिशा की ओर हो. इससे सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बना रहता है. साथ ही पूजा स्थल पर भारी चीजों को रखने से बचना होगा.

पूजा स्थल पर स्वच्छता-शुद्धता का रखें ध्यान

नवरात्रि पर देवी दुर्गा का आगमन पृथ्वी लोक में होता है और लगातार नौ दिनों तक घर-घर में देवी उपासना और साधना होती है. ऐसे में नवरात्रि पर पूजा स्थल की साफ-सफाई का विशेष ध्यान देना चाहिए. पूजा स्थल पर रोजाना सफाई करनी चाहिए और पूजा में धूप, दीप, कपूर और घी के दिए का प्रयोग करना चाहिए, जिससे वातावरण शुद्ध और सकारात्मक ऊर्जा से भरा रहता है.

नवरात्रि पर आसन का महत्व

नवरात्रि पर जहां देवी उपासना में शुद्धता और साफ-सफाई का विशेष महत्व होता है वहीं पूजा के दौरान सही आसन का चयन भी महत्वपूर्ण है. पूजा के दौरान कुशा, ऊन या रेशमी कपड़े के आसन पर बैठना शुभ माना जाता है.

ध्यान और मंत्रोच्चार का स्थान

देवी उपासना में पूजा-पाठ के साथ दुर्गा सप्तशी का नौ दिनों तक लगातार पाठ करने, ध्यान करने और मंत्रोच्चार का भी विशेष महत्व होता है. मंत्र जप करने से मन शांत होता है और पूजा का फल तुरंत प्राप्त होता है.

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