Ramadan 2025: इस दौरान क्यों पढ़ी जाती है तरावीह की नमाज, क्या इससे मिल सकती है तौबा?
रमजान के महीने में नमाज पढ़ने का महत्व बढ़ जाता है. इस दौरान तरावीह और तहज्जुद की नमाज अदा की जाती है. रमजान के दौरान तरावीह की नमाज को पढ़ने से कई फायदे मिलते हैं. साथ ही, हदीस में भी इसका जिक्र किया गया है.

रमजान का पाक महीना शुरू हो गया है. माना जाता है कि इस्लामिक कैलेंडर के इस नौंवे महीने में कुरान नाजिल हुई थी. इस दौरान पांच वक्त की नमाज के साथ-साथ रोजे रखे जाते हैं. रमजान के खास महीने में तहज्जुद और तरावीह की नमाज पढ़ी जाती है. तहज्जुद की तरह तरावीह की नमाज भी खास होती है.
तरावीह की नमाज रमजान के महीने में विशेष रूप से अदा की जाती है. इसे आमतौर पर इमाम के पीछे मस्जिदों में जमात के साथ पढ़ने की कोशिश की जाती है, लेकिन यह घर पर भी पढ़ी जा सकती है. चलिए जानते हैं कब पढ़ी जाती है यह नमाज और इसके फायदे.
कब पढ़ी जाती है तरावीह की नमाज?
तरावीह की नमाज की खासियत यह है कि इसमें 20 रकअतें होती हैं (कुछ मताहिब में यह संख्या कम भी हो सकती है). यह इशा की नमाज के बाद शुरू होती है और रातभर में अदा की जाती है.
नमाज पढ़ने का सही तरीका
इसे इमाम के पीछे जमात के साथ या अकेले भी अदा किया जा सकता है. प्रत्येक रकअत में कुरान का कुछ हिस्सा पढ़ा जाता है और हर चार रकअत के बाद शांति के कुछ पल होते हैं.
तिलावत और अदायगी
इसमें कुरान की तिलावत की जाती है और इमाम रात के दौरान कुरान का पूरा पाठ करने की कोशिश करते हैं. यह नमाज खासतौर से रमजान के महीने में पढ़ी जाती है और इस दौरान ज्यादा से ज्यादा इबादत करने का महत्व होता है.
तरावीह की नमाज के फायदे
माना जाता है कि रमजान में तरावीह की नमाज पढ़ने से अल्लाह से तौबा (माफी) मिलती है. तरावीह की नमाज़ के दौरान दुआ और इबादत के साथ गुनाहों की माफी मांगी जाती है. इमाम के साथ तरावीह में कुरान पढ़ने से मुसलमानों को कुरान की तिलावत सुनने और समझने का मौका मिलता है. हदीस के अनुसार, जो शख्स रमजान में तरावीह की नमाज अदा करता है, उसे अल्लाह की तरफ से बख्शीश और जन्नत का वादा किया गया है.