Ramadan 2025: क्यों खास मानी जाती है तहज्जुद की नमाज, क्या इसे पढ़ने से मिलती है अल्लाह की रहमत?
इस साल 2 मार्च से रमजान शुरू हो चुके हैं. यह इस्लामिक कैलेंडर का नौंवा और सबसे पाक महीना होता है. माना जाता है कि इस दौरान अल्लाह सभी दुआएं कुबूल करते हैं, क्योंकि इस महीने में कुरान नाजिल हुई थी. इस दौरान 5 वक्त की नमाज पढ़ी जाती है.

रमजान का पाक महीना चल रहा है. इस दौरान 30 दिन तक रोजे रखे जाते हैं. साथ ही, 5 वक्त की नमाज पढ़ी जाती है. रोजे में सेहरी और इफतार के दौरान खाना खाया जाता है. रमजान के महीने में कुरान नाजिल हुई थी. वहीं, इस दौरान तरावीह नमाज भी पढ़ी जाती है.
यह नमाज रात के समय इशा की नमाज के बाद पढ़ी जाती है और इसमें 8 या 20 रकअतें हो सकती हैं. यह नमाज केवल रमजान के महीने में पढ़ी जाती है. वहीं, इस पाक महीने में तहज्जुद की नमाज का भी खास महत्व का है. कहा जाता है कि इसे पढ़ने से अल्लाह की रहमत होती है. चलिए जानते हैं क्या है तहज्जुद की नमाज?
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क्या होती है तहज्जुद की नमाज?
तहज्जुद की नमाज इस्लाम में एक खास तरह की रात की नमाज होती है, जिसे रात के आखिरी पहर में पढ़ा जाता है. यह नमाज खासतौर से उन लोगों के लिए है, जो अल्लाह के साथ ज्यादा नजदीकी चाहते हैं.
तहज्जुद की नमाज का समय
तहज्जुद की नमाज को इशा की नमाज के बाद से लेकर फज्र की नमाज से पहले पढ़ा जाता है. सबसे बेहतर समय आधी रात के बाद या रात के आखिरी पहर में होता है. तहज्जुद की नमाज कम से कम दो रुकअतों में पढ़ी जाती है, लेकिन इसमें ज्यादा रुकअतें भी हो सकती हैं.
नाफिल नमाज
यह नमाज नफिल नमाजों में आती है. यानी आप इसे अपनी मर्जी से कभी भी पढ़ सकते हैं या नहीं. इसकी कोई खास संख्या नहीं है, लेकिन आमतौर पर 4, 8, 12, या इससे भी ज्यादा रुकअतें पढ़ी जाती हैं.
नमाज की सिफारिश
नबी (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) ने इस नमाज के बारे में कहा था कि 'तुम में से कोई भी अगर रात के समय उठ कर अल्लाह से दुआ करता है, तो अल्लाह उसे जवाब देता है.' इस नमाज को पढ़ने की सिफारिश की जाती है, हालांकि यह फज्र नहीं है. इसे नाफिल नमाज माना जाता है और यह व्यक्ति की इच्छा और क्षमता पर निर्भर करता है.