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Ramadan 2025: कब दिखेगा रमजान का चांद, जानें कौन-सा रोजा होगा सबसे लंबा?

रमजान का महीने मुस्लिम समुदाय के लिए बेहद पाक माना जाता है. इस दौरान तरावीह की नमाज अदा की जाती है. यह नमाज इशा की नमाज के बाद सामूहिक रूप से मस्जिदों में होती है. इसे आमतौर पर 20 रकअत के रूप में पढ़ा जाता है.

Ramadan 2025: कब दिखेगा रमजान का चांद, जानें कौन-सा रोजा होगा सबसे लंबा?
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( Image Source:  freepik )
हेमा पंत
Edited By: हेमा पंत

Updated on: 28 Feb 2025 5:29 PM IST

रमजान इस्लामिक कैलेंडर का नौवां महीना होता है. यह महीना मुसलमानों के लिए बहुत ही खास होता है. रमज़ान का महीना सियाम रखने का समय होता है, जो कि इस्लाम के पांच स्तंभों में से एक है. इस महीने में मुसलमान सूरज उगने से पहले फज्र की नमाज से लेकर सूरज डूबने तक सियाम रहते हैं, यानी न तो खाना खाते हैं, न पीते हैं, और न ही अन्य बुरी आदतों का पालन करते हैं. चलिए जानते हैं इस साल रमजान कब शुरू होंगे.

कब शुरू होंगे रमजान

रमजान कब से शुरू होगा यह बात चांद निकलने पर तय होती है. कहा जा रहा है कि इस साल 2 मार्च को रमजान का महीना शुरू होगा. इस बार सबसे लंबा रोजा 13 घंटे 53 मिनट का होगा. रमजान के दौरान मुस्लिम समुदाय अधिकतर समय अल्लाह की इबादत, तिलावत (कुरान पढ़ना) और दूसरों की मदद में बिताते हैं.

क्यों खास है रमजान का महीना

रमजान के अंत में ईद-उल-फितर नामक त्योहार मनाया जाता है, जिसमें मुसलमान अपनी सामर्थ्यानुसार जकात-उल-फितर (दान) देते हैं और फिर परिवार और दोस्तों के साथ खुशी मनाते हैं. इस महीने की विशेषता यह भी है कि इसी महीने में कुरान शरीफ का इजात हुआ था, जिसे रात के समय में 'लैलतुल कद्र' (यानी क़द्र की रात) कहा जाता है.

क्या होती है सेहरी?

सेहरी और इफ्तार रमज़ान के दौरान सियाम से जुड़ी दो जरूरी चीजें हैं. सेहरी में सूर्योदय से पहले खाने का रिवाज है. सेहरी का समय फज्र (सुबह) की नमाज से पहले का होता है और इसे खाने के बाद सियाम शुरू होता है. सेहरी में हल्का और पौष्टिक खाना जाता है ताकि दिनभर की भूख न लगे.

इफ्तार का मतलब

इफ्तार वह समय होता है, जब मुसलमान सूर्योदय के बाद अपना सियाम पूरा करते हैं. यह सूरज डूबने का समय होता है और तब वे खाने-पीने की शुरुआत करते हैं. इफ्तार में आमतौर पर खजूर से सियाम तोड़ा जाता है, जैसा कि हदीसों में बताया गया है. इसके बाद पानी, फल, रोटी जैसी चीजें खाई जाती हैं. इफ्तार के बाद अक्सर मुसलमान तरावीह की नमाज अदा करते हैं.

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