Ramadan 2025: रोज़े में ऐसे पढ़ें तरावीह की नमाज, वरना नहीं होगी बरकत
2 मार्च से रमजान शुरू हो गए हैं. इस साल 31 मार्च को ईद मनाई जाएगी. रमजान के दौरान रोजे रखे जाते हैं. साथ ही, सहरी और इफ्तार के दौरान खाना खाया जाता है. कहा जाता है कि इस दौरान अल्लाह सभी गुनाहों को माफ कर देते हैं. साथ ही, बंदे पर अपनी इबादत करते हैं.
रमजान के पाक महीने में पांच वक्त की नमाज पढ़ी जाती है. इस महीने में तहज्जुद और तरावीह की नमाज को खास माना जाता है. रोज़े की नमाज यानी कि तरावीह की नमाज रमजान के महीने में खास तौर पर अदा की जाती है. यह एक नाफिल नमाज है, जो रमजान के हर रोज़े के बाद की जाती है. इसका तरीका सामान्य नमाज से थोड़ा अलग होता है और इसे इफ्तार के बाद रात के समय अदा किया जाता है.
नियत (इरादा) करना
जैसे ही आप तारावह नमाज पढ़ने का इरादा करते हैं, अपने दिल में यह सोच लें कि आप यह नमाज अल्लाह के लिए अदा कर रहे हैं. इरादा दिल से करना जरूरी है क्योंकि नियत का असर होता है. तारावह नमाज पढ़ने से पहले वजू करना जरूरी है. यह उसी तरह जैसे पांच वक्त की नमाज के लिए वजू करना होता है.
तरावीह नमाज के रकअत
तरावीह नमाज में कुल 20 रकअत होती हैं (हालांकि कुछ स्थानों पर 8 रकअत भी पढ़ी जाती हैं). हर रकअत में फातिहा (सूरा अल-फातिहा) और कोई छोटी सूरा या कुछ आयतें (आमतौर पर सूरा अल-इखलास, सूरा अल-फलक, सूरा अन-नास) पढ़ी जाती हैं.
अदा करने का तरीका
तरावीह नमाज की हर रकअत में पहले तलावत (कुरान पढ़ना) की जाती है. फिर रुकू (झुकना), फिर सिजदा (सिर झुकाना) और फिर तशहुद (बैठना) किया जाता है. इस तरीके को हर रकअत में दोहराया जाता है. तरावीह में आमतौर पर लंबी कुरान की सूरतें पढ़ी जाती हैं. आप सूरा अल-बकरा, सूरा अली-इमरान, सूरा अन्निसा जैसी लंबी सूरतें पढ़ सकते हैं.
इफ्तार के बाद की नमाज
यह नमाज इफ्तार के बाद पढ़ी जाती है. यानी जब सूरज ढल जाए और व्यक्ति अपना रोजा तोड़ लें. आमतौर पर यह नमाज मस्जिद में अदा की जाती है. इफ्तार के बाद हल्का खाना खाकर और कुछ देर आराम करने के बाद तरावीह नमाज अदा की जाती है.





