पापमोचिनी एकादशी पर होता है सभी पापों का नाश, जानें शुभ मुहूर्त
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय" का जप करने से विशेष पुण्य मिलता है और पापों का नाश होता है. भगवान विष्णु का सहस्त्रनाम का पाठ करें: श्री विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करना बहुत लाभकारी होता है. यह पाठ पापों के नाश, मानसिक शांति, और आत्मिक उन्नति के लिए बेहद प्रभावशाली माना जाता है.

पापमोचिनी एकादशी हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण व्रत है, जो विशेष रूप से चैत्र नवरात्रि से पहले आती है. इसे "पापों से मुक्ति पाने वाली एकादशी" भी कहा जाता है, क्योंकि इस दिन व्रति भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना करके अपने पापों से मुक्त हो सकता है. साथ ही, जीवन में सुख, समृद्धि और मोक्ष की प्राप्ति होती है. चलिए जानते हैं कब है पापमोचिनी एकादशी और शुभ मुहूर्त.
कब है पापमोचिनी एकादशी?
चैत्र माह की एकादशी तिथि की 25 मार्च के दिन सुबह 5:05 मिनट से शुरू होकर अगले दिन 26 मार्च सुबह 3:45 पर समाप्त होगी. ऐसे में उदया तिथि के मुताबिक इस साल 25 मार्च को पापमोचिनी एकादशी का रखा जाएगा.
पूजा विधि
इस दिन का व्रत पूरी श्रद्धा और पवित्रता से शुरू करना चाहिए. सुबह उठकर स्नान करें और फिर अपने घर के पूजा स्थल को साफ करें. इस दिन विशेष रूप से भगवान विष्णु की पूजा की जाती है. उन्हें तुलसी के पत्ते और फूल अर्पित करें. साथ ही श्री विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ भी किया जा सकता है. इस दिन फलाहार या केवल जल का सेवन करने का नियम होता है. कुछ लोग इस दिन पूरी तरह से उपवासी रहते हैं, जबकि कुछ लोग हल्का भोजन करते हैं.
कथा
पापमोचिनी एकादशी के महत्व से संबंधित एक प्रसिद्ध कथा है. एक समय की बात है, एक ब्राह्मण ने पापमोचिनी एकादशी का व्रत किया. उसके पापों के कारण वह दुखी था और भगवान विष्णु की पूजा के बाद उसे पापों से मुक्ति मिली. भगवान विष्णु ने उसे आशीर्वाद दिया कि इस दिन के व्रत से सभी पापों का नाश होता है और भक्त को मोक्ष की प्राप्ति होती है.