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इस बार होगी दो रातों वाली पूर्णिमा, जानें भारत में कब दिखेगा, Sturgeon Moon के दिन होता ये बेहतरीन नजारा

स्टर्जन मून अगस्त महीने में दिखने वाली पूर्णिमा (पूरा चांद) को कहा जाता है. यह साल की उन रातों में से एक होती है जब चांद सबसे चमकीला और बड़ा दिखाई देता है. स्टर्जन मून हर साल अगस्त महीने में आता है. 2025 में यह 9 अगस्त को अपने पूरे रूप में दिखाई देगा, और 8 और 9 अगस्त की दोनों रातों को इसका सुंदर नज़ारा देखने को मिलेगा.

इस बार होगी दो रातों वाली पूर्णिमा, जानें भारत में कब दिखेगा, Sturgeon Moon के दिन होता ये बेहतरीन नजारा
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( Image Source:  Meta AI: Representative Image )
State Mirror Astro
Edited By: State Mirror Astro

Published on: 8 Aug 2025 2:22 PM

सोचिए आप खुले आसमान के नीचे खड़े हैं. आसपास सब शांत है और हॉरिजन के पार एक बड़ा, सुनहरा चंद्रमा धीरे-धीरे ऊपर उठ रहा है. यह कोई साधारण रात नहीं, बल्कि साल 2025 की सबसे जादुई रातों में से एक है, जिसे स्टर्जन मून की रात कहा जाता है. 9 अगस्त की रात और उसके अगले दिन 10 अगस्त की शाम को भी चांद पूरा और बहुत ही चमकीला दिखाई देगा.

आमतौर पर पूर्णिमा सिर्फ एक रात ही दिखाई देती है. लेकिन इस बार चांद कुछ खास करेगा. उत्तरी अमेरिका में सुबह और भारत में दोपहर के समय स्टर्जन मून भारतीय समयानुसार दोपहर 1:25 बजे अपने चरम पर होगा. अपनी पूरी चमक में होगा. इसका मतलब है कि दो रातों तक यानी 8 और 9 अगस्त की शाम को, चांद पूरा और चमकीला दिखाई देगा. इसलिए इन दोनों शामों को चांद देखना बहुत खास होगा.

क्यों खास है ये पूर्णिमा

इन दोनों रातों को जैसे ही सूर्य क्षितिज के नीचे डूबेगा, चंद्रमा पूर्वी क्षितिज से उठेगा. यह वह क्षण होता है जिसे "Moon Illusion" कहा जाता है. एक मनोवैज्ञानिक प्रभाव जिसमें चंद्रमा हमें क्षितिज के पास सामान्य से बड़ा और अधिक चमकदार दिखता है.

रक्षाबंधन के संग पूर्णिमा

इस बार की स्टर्जन मून वाली पूर्णिमा सिर्फ आसमान में चांद देखने का मौका ही नहीं है, बल्कि रक्षाबंधन के त्योहार के साथ भी जुड़ी हुई है. इससे यह रात और भी खास बन जाती है, खासकर भारत में. राखी के त्योहार की खुशियों के साथ आप आकाश में चमकते हुए सुंदर चांद को भी देख सकते हैं.

कैसे पड़ा स्टर्जन मून नाम?

क्या आपने कभी सोचा है कि इसे स्टर्जन मून क्यों कहा जाता है? यह नाम अमेरिका के ग्रेट लेक्स क्षेत्र में रहने वाली मूल अमेरिकी जनजातियों से आया है. अगस्त का यह समय वह होता था जब बड़ी स्टर्जन मछलियां आसानी से पकड़ी जाती थीं, इसलिए इस पूर्णिमा को यह नाम मिला. इसे ग्रीन कॉर्न मून, ग्रेन मून, और रेड मून भी कहा जाता है, जो गर्मियों के धुंधले वातावरण में चंद्रमा के लाल रंग को दिखाता है.

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