Ganesh Chaturthi 2025: मनोकामना अनुसार चुनें गणपति! जानें कौन-सी मूर्ति से मिलेगा कौन-सा वरदान
गणेश चतुर्थी का पर्व सिर्फ भगवान गणेश की आराधना का अवसर नहीं है, बल्कि यह वह दिन है जब भक्त अपने जीवन की हर बाधा को दूर करने और मनचाही सफलता पाने के लिए विशेष रूप से गणपति बाप्पा की पूजा करते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि गणेश जी की मूर्ति का स्वरूप और उसका निर्माण किस सामग्री से हुआ है, यह भी आपके जीवन पर गहरा प्रभाव डालता है? शास्त्रों में बताया गया है कि अलग-अलग प्रकार की गणपति प्रतिमाएं अलग-अलग इच्छाओं की पूर्ति करती हैं.
भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि पर भगवान गणेश की सिद्धि विनायक रूप की पूजा करने का विधान होता है. ऐसी मान्यता है कि गणेश जी के इस रूप की पूजा करने से जीवन में सुख और समृद्धि की प्राप्ति होती है. गणपति की उपासना का महापर्व गणेश चतुर्थी इस बार 27 अगस्त, बुधवार को मनाया जाएगा और इसी दिन से गणेश उत्सव की शुरुआत हो जाती है. इस दिन भगवान गणेश की स्थापना और पूजा का विशेष महत्व है.
शास्त्रों के अनुसार विघ्नहर्ता श्री गणेश की कृपा से हर तरह की बाधाएं दूर होती हैं और जीवन में सुख-समृद्धि आती है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार गणेश जी की मूर्ति और स्वरूप भी उनकी पूजा के फलों को प्रभावित करते हैं. विभिन्न प्रकार के गणेश जी अलग-अलग कामनाओं की पूर्ति करते हैं और भक्तों को विशिष्ट वरदान देते हैं. आइए जानते हैं गणेश जी के किस स्वरूप की पूजा करने से कौन सा फल मिलता है.
मनोकामना अनुसार गणेश प्रतिमा पूजन से लाभ
श्वेतार्क के पौधे की जड़ से निर्मित गणेश जी की मूर्ति अत्यंत दुर्लभ और चमत्कारी मानी जाती है. इसे घर में स्थापित करने से लक्ष्मी प्राप्ति होती है और धन संबंधी बाधाएं दूर होती हैं. मान्यता है कि श्वेतार्क गणेश जी की पूजा करने से घर में स्थायी सुख-समृद्धि का वास होता है. श्वेतार्क गणपति की पूजा करने पर सभी प्रकार की दैविक बाधाओं से रक्षा होती है और गणपति की इस मूर्ति की पूजा से भूत, प्रेत, नजर दोष, जादू-टोना, तंत्र-मंत्र आदि का भय नहीं रहता है.
मिट्टी की मूर्ति
गणेश चतुर्थी पर शुद्ध गंगाजल और मिट्टी से बनी गणेश प्रतिमा की पूजा का विशेष महत्व है. इसे पंचतत्वों का प्रतीक माना गया है. पौराणिक मान्यता है कि मिट्टी के गणेश जी की पूजा करने से अनेक यज्ञों का फल मिलता है और मनुष्य के पाप नष्ट होकर पुण्य की वृद्धि होती है. यह प्रतिमा घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करती है और पारिवारिक जीवन को सुखमय बनाती है.
स्वर्ण से बनी प्रतिमा की पूजा
जो लोग व्यापार, करियर और पद-प्रतिष्ठा की वृद्धि की कामना रखते हैं, उनके लिए स्वर्ण से निर्मित गणेश जी की पूजा शुभ मानी गई है. धार्मिक मान्यता है कि सोने की गणेश प्रतिमा की आराधना से राजसुख, वैभव और सामाजिक प्रतिष्ठा प्राप्त होती है.
चांदी की गणेश जी की मूर्ति
चांदी की गणेश प्रतिमा की पूजा घर में करने से मानसिक शांति और सौभाग्य की प्राप्ति होती है. जिन परिवारों में कलह और असंतोष का वातावरण होता है, वहां रजत गणेश जी की स्थापना करने से सौहार्द और सुख-शांति बनी रहती है.
स्फटिक से बनी बप्पा की प्रतिमा
स्फटिक से बनी गणेश प्रतिमा का पूजन स्वास्थ्य लाभ और सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त करने के लिए श्रेष्ठ माना गया है. यह प्रतिमा घर से नकारात्मकता को दूर कर देती है और वातावरण को शुद्ध करती है.
लकड़ी से बने गणपति
काष्ठ से निर्मित गणेश जी, विशेषकर नीम या पीपल की लकड़ी से बनी प्रतिमा, विद्यार्थियों और ज्ञान की साधना करने वालों के लिए अत्यंत लाभकारी मानी गई है. शास्त्रों में वर्णित है कि इस प्रतिमा की पूजा करने से बुद्धि, ज्ञान और विवेक की प्राप्ति होती है.





