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भारत की अनोखी परंपरा, कहीं दामाद तो कहीं पूर्वज हैं रावण, यहां दशहरे के दिन नहीं किया जाता दहन

भारत त्योहारों और परंपराओं की धरती है, जहां हर उत्सव अपनी अलग ही कहानी कहता है. दशहरा आमतौर पर बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना जाता है और इस दिन देशभर में रावण दहन कर लोग जश्न मनाते हैं. लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि भारत में कुछ ऐसे गांव और समुदाय भी हैं, जहां दशहरे के दिन रावण का पुतला नहीं जलाया जाता.

भारत की अनोखी परंपरा,  कहीं दामाद तो कहीं पूर्वज हैं रावण, यहां दशहरे के दिन नहीं किया जाता दहन
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( Image Source:  Canva )
हेमा पंत
Edited By: हेमा पंत

Updated on: 2 Oct 2025 9:33 AM IST

भारत त्योहारों की धरती है. यहां हर पर्व एक नई उम्मीद, नई सीख और सामाजिक जुड़ाव लेकर आता है. दशहरा को हमेशा बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक के तौर पर देखा जाता है. इस दिन देशभर में रावण के पुतले जलाकर लोग खुशी का इजहार करते हैं. बड़े-बुजुर्ग हों या बच्चे, सभी मेले में जाते हैं, झूले झूलते हैं और आतिशबाज़ी का आनंद लेते हैं.

लेकिन क्या आप जानते हैं कि हमारे देश में कुछ ऐसे भी गांव और समुदाय हैं जहां दशहरा नहीं मनाया जाता? जी हां, यह सच है. वजह है वहां की सदियों पुरानी मान्यताएं और परंपराएं. आइए जानते हैं उन जगहों के बारे में जहां दशहरा का रंग बाकी जगह से थोड़ा अलग है.

बैजनाथ (हिमाचल प्रदेश)

हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में स्थित बैजनाथ भी इस परंपरा से जुड़ा हुआ है. मान्यता है कि रावण ने यहीं भगवान शिव की घोर तपस्या की थी और उनकी कृपा प्राप्त की थी. इसी कारण बैजनाथ के लोग रावण दहन नहीं करते हैं.

अमरावती (महाराष्ट्र)

महाराष्ट्र के अमरावती जिले के गढ़चौरी क्षेत्र में रहने वाले आदिवासी समुदाय की मान्यता भी सबसे अलग है. वे रावण को अपना पूर्वज मानते हैं. उनका विश्वास है कि रावण न केवल एक महान विद्वान थे बल्कि भोलेनाथ के परम भक्त भी थे. इसलिए वे दशहरे के मौके पर रावण का पुतला जलाने के बजाय उसकी याद में सम्मान प्रकट करते हैं.

बिसरख (उत्तर प्रदेश)

उत्तर प्रदेश के गौतम बुद्ध नगर जिले में बिसरख नाम का गांव है. लोककथाओं के अनुसार, यही वह जगह है जहां रावण का जन्म हुआ था. बिसरख के लोग खुद को रावण का वंशज मानते हैं. यही कारण है कि यहां दशहरे के मौके पर रावण दहन नहीं होता. इसके विपरीत, लोग उसकी पूजा करते हैं और उसे श्रृद्धा से याद करते हैं. यहां दशहरा एक अलग ही रूप में मनाया जाता है.

मंदसौर (मध्य प्रदेश)

मध्य प्रदेश के मंदसौर जिले में भी दशहरा पर रावण दहन नहीं किया जाता है. दरअसल यहां के लोग मानते हैं कि यह जगह रावण की पत्नी मंदोदरी का मायका है. ऐसे में रावण उनका दामाद हुआ. यही कारण है कि दशहरे पर वहां रावण का पुतला नहीं जलाया जाता.

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