आत्मा से बातचीत का सीधा रास्ता! कर्ण पिशाचिनी माता की सिद्धि क्या होती है?
Karna Pishachini Mata Siddhi: कर्ण पिशाचिनी माता सिद्धि ज्यादातर इस्तेमाल तांत्रिक करते हैं. यह एक ऐसी यक्षिणी है जो पिशाचिनी के रूप में आपके कानों में आकर और विचारों एवं संकेतों के जरिए आपके प्रश्न के जवाब देती है. इसकी मदद से आप किसी भी तरह की समस्या का हल जान सकते हैं. सिद्धि को हासिल करने के लिए तपस्या करनी पड़ती है.
Karna Pishachini Mata Siddhi: मेरठ का सौरभ हत्याकांड केस हर दिन एक नया मोड़ लेता जा रहा है. हाल ही में उसकी पत्नी मुस्कान रस्तोगी ने अपने प्रेमी साहिल के साथ मिलकर सौरभ की हत्या कर दी थी. दोनों आरोपियों ने पहले मर्डर किया फिर उसके शव के 15 टुकड़े करके एक ड्रम में डालकर ऊपर से सीमेंट का घोल डाल दिया.
सौरभ की हत्या के मामले में पुलिस हर एंगल से जांच रही है, लेकिन इसमें तंत्र-मंत्र का एंगल ने सबको चौंका दिया है. मुस्कान और उसके प्रेमी साहिल ने कर्ण पिशाचिनी माता सिद्धि पूजा करके सौरभ को मौत के घाट उतारा है. आज हम आपको बताएंगे आखिर तंत्र-मंत्र की ये पूजा क्या है? कैसे लोग किसी को वश में करने के लिए इसे अपनाते हैं.
क्या है कर्ण पिशाचिनी माता सिद्धि?
जो लोग तंत्र-मंत्र और जादू-टोने की क्रियाओं में शामिल होते हैं, उनके बीच कर्ण पिशाचिनी माता सिद्धि काफी सामान्य बात ही. इसका ज्यादातर इस्तेमाल तांत्रिक करते हैं. यह एक ऐसी यक्षिणी है जो पिशाचिनी के रूप में आपके कानों में आकर और विचारों एवं संकेतों के जरिए आपके प्रश्न के जवाब देती है. इसकी मदद से आप किसी भी तरह की समस्या का हल जान सकते हैं.
यह साधना बहुत खतरनाक है और पहले गुरु मंत्र को या किसी योग्य गुरु के जरिए ही अपने मुख्य देवता की साधना को संपूर्ण कर लेना चाहिए. इसके बाद ही यह पूजा करनी चाहिए. कर्ण पिशाचिनी माता सिद्धि को अंग्रेजी में नेक्रोमेंसी भी कहा जाता है.
देवलोक से संबंध
ऐसा माना जाता है कि कर्ण पिशाचिनी सिद्धि को हासिल करने के लिए तपस्या करनी पड़ती है. व्यक्ति को कठिन साधाना से होकर गुजरना पड़ता है लेकिन एक बार जिसने इसे सीख लिया वह किसी दिव्य शक्ति से बात कर सकता है. इस सिद्धि को प्राप्त करने के बाद आप किसी आलौकिक ताकत से जब चाहे बात कर सकते हैं. कहा जाता है कि जो भी यक्षिणी देवलोक से निकाली गई है वह पृथ्वी पर भटक रही है. उन्हीं में से किसी शक्ति को मंत्रों के जरिए पकड़ लेना और अपने काम के लिए इस्तेमाल किया जाता है. इस मंत्र साधना से व्यक्ति बिता हुआ कल और आने वाले कल के बारे में जान सकता है.
साधना और मंत्र
कर्ण पिशाचिनी सिद्धि पूजा के लिए अनुष्ठान और तांत्रिक दोनों ही विधियों से की जाती है. इसे एक एकांत में किया जाता है, जो 11 या 21 दिनों में पूरी होती है. यह साधना करने वाला व्यक्ति थोड़े समय के लिए त्रिकालदर्शी बन जाता है. यह सिद्धि साधना करते ही प्राप्त की जा सकती है. इसे हासिल करने के लिए व्यक्ति में इसके प्रति आस्था, आत्मविश्वास और इसे झेलने की क्षमता होनी चाहिए.
कैसे होती है पूजा?
कर्ण पिशाचिनी माता के दरबार में अभियोग नहीं जाता. बल्कि सीधा मार से मारकर उसकी आत्मा को पिशाच्च बनाकर बरगद के पेड़ पर उलटा लटकाया जाता है और आत्मा को एक हजार साल के लिए मुक्ति के द्वार बंद कर दिए जाते हैं. साधना के लिए लाल वस्त्र पहनना जरूरी है. अंदर के वस्त्र भी लाल रंग के होने चाहिए. रात को पीतल या कांसे की थाली में उंगली के द्वारा सिंदूर से त्रिशूल बनाएं. और गाय का घी और तेल के दो दीपक जलाएं और उसका सामान्य पूजन करें. उसके बाद 1100 बार बताए गए मंत्र का जाप करें. इसे प्रक्रिया को 11 दिनों तक दोहराएं.
मनुष्य पर प्रभाव
पुरुषों के साथ हर पूनम और अमावस की रात संभोग करती है और उन्हें स्वर्ग सुख देती है. इसलिए पूनमऔर अमावस्या की रात को किसी को स्त्री के साथ शारीरिक संबंध बनाने से मना किया जाता है. औरतों के लिए पिशाचनी पुरुष का रूप धारण कर लेती हैं. पिशाचनी के साथ मनुष्य साथ रहना पसंद करने लगता है, उसे मांस जैसे चीजें भी खाने को मजबूर करती हैं और खुश होती हैं. हालांकि साधक को सिद्धि के बाद क्या-क्या सुख मिला इसे बताने के लिए मना किया जाता है.
नोट: यह एक सामान्य जानकारी है. स्टेट मिरर हिंदी जादू-टोने या तंत्र विद्या से जुड़ी किसी बात का समर्थन नहीं करता.





