कब है बसंत पंचमी, जानें इस दिन मां सरस्वती को क्यों चढ़ाया जाता है गुलाल?
हिंदू धर्म में बसंत पंचमी का बहुत विशेष महत्व है, क्योंकि यह न केवल ऋतु परिवर्तन का प्रतीक है, बल्कि एक धार्मिक और सांस्कृतिक पर्व भी है, जो ज्ञान, समृद्धि, और समर्पण से जुड़ा हुआ है. इस दिन मां सरस्वती के अलावा भगवान विष्णु की भी पूजा की जाती है.

बसंत पंचमी हिंदू कैलेंडर के अनुसार माघ माह की शुक्ल पक्ष की पंचमी को मनाई जाती है. यह विशेष रूप से बसंत ऋतु के आगमन का प्रतीक है. इस साल 2 फरवरी को बसंत पंचंमी का त्योहार मनाया जाएगा. इस दिन मां सरस्वती की पूजा की जाती है. मां सरस्वती ज्ञान, संगीत, कला, साहित्य और विद्या की देवी मानी जाता है.
जिन के ऊपर माता सरस्वती का आशीर्वाद होता है, वह अपने जीवन में समृद्धि पाते हैं. इसलिए बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती को प्रसन्न करना आवश्यक है. चलिए जानते हैं इस दिन क्यों पीले कपड़े पहनने का कारण. साथ ही, बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती को गुलाल चढ़ाने का महत्व.
बसंत पंचमी की पूजा विधि
बसंत पंचमी के दिन सुबह जल्दी उठकर नहाएं. इसके बाद मंदिर को साफ करें और फिर चौकी पर पीला कपड़ा बिछाएं. इसके बाद मां सरस्वती की पूजा करें और उन्हें पीले रंग की चीजें अर्पित करें. मां सरस्वती को भोग लगाएं और फिर आरती करें.
क्यों पहनते हैं पीले कपड़ें?
बसंत पंचमी के दिन पीले कपड़े पहनने की परंपरा का सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व है. पीला रंग बसंत ऋतु और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है. इस दिन का संबंध नए जीवन और प्राकृतिक उन्नति से है, जो बसंत ऋतु के आगमन के साथ जुड़ा होता है.
देवी सरस्वती से है संबंध
देवी सरस्वती को अक्सर पीले रंग के कपड़े पहने हुए दर्शाया जाता है, क्योंकि वह ज्ञान, कला और शिक्षा की देवी हैं. पीला रंग शुद्धता, ज्ञान और विद्या का प्रतीक है. इसलिए इस दिन पीले कपड़े पहनना धार्मिक रूप से महत्वपूर्ण माना जाता है.
गुलाल चढ़ाने का महत्व
गुलाल खासतौर पर बसंत ऋतु के आने की खुशी में इस्तेमाल किया जाता है. इस दिन रंगों का खेल और समृद्धि का प्रतीक गुलाल मां सरस्वती को चढ़ाकर बसंत की खुशी और हरियाली का स्वागत किया जाता है. गुलाल को देवी को चढ़ाने से वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा फैलती है और घर में खुशहाली आती है.