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इस दिन न कटवाएं दाढ़ी और बाल, बन जाएगा अकाल मृत्यु का योग; क्या कहते हैं प्रेमानंद महाराज

अक्सर हम सभी रविवार को छौर कर्म (बाल,नाखून दाढ़ी काटवाना) करने के लिए सही दिन मानते है. लेकिन अब प्रेमानंद महाराज ने बताया है कि आखिर हफ्ते का वह कौनसा दिन है जिसमें छौर कर्म करना चाहिए और कब नहीं करना चाहिए.

इस दिन न कटवाएं दाढ़ी और बाल, बन जाएगा अकाल मृत्यु का योग; क्या कहते हैं प्रेमानंद महाराज
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रूपाली राय
Edited By: रूपाली राय

Updated on: 28 Jan 2025 7:38 AM IST

हमारे जीवन में हर छोटी चीजों का बड़ा महत्त्व होता है लेकिन कभी-कभी उसके परिणाम जाने बिना ही हम उसे नजरअंदाज कर देते है. हमारे जीवन की दिनचर्या में जुड़ा है बाल कटवाना, दाढ़ी बनवाना और नाखून काटना. जिसे छौर कर्म कहते है. लेकिन हम कभी-कभी विशेष दिनों का ध्यान दिए बिना कभी अपने बाल आया नाखून काट लेते है. लेकिन जाने-माने प्रेमानंद महाराज ने छौर कर्म को लेकर एक ऐसी बात बताई है जिसे हर किसी को सुनना चाहिए और छौर कर्म को किसी भी दिन करने के पीछे का महत्व समझाना चाहिए.

अक्सर देखा जाता है कि छुट्टी के दिन यानी रविवार को लोग दाढ़ी, मूंछ, बाल, नाखून आदि काटते हैं क्योंकि यह दिन फ्री होता है और उन्हें लगता है कि इस दिन वे ये सभी काम कर सकते हैं. लेकिन प्रेमानंद महाराज इस दिन को भी सही नहीं मानते. उनका कहना है कि जो व्यक्ति शिव उपासक है उसे अपने बेटे की उन्नति के लिए सोमवार को दाढ़ी नहीं बनाना चाहिए. मंगलवार को बाल, दाढ़ी और नाखून काटने वाला अपनी अकाल मृत्यु को दावत देता है साथ ही उसका बनता काम बिगड़ जाता है.

बुद्धि और धन का नाश

कहा जाता है कि शनिवार का दिन शनिदेव की पूजा का दिन माना जाता है और इस दिन बाल कटवाने से शनिदेव नाराज हो सकते हैं और व्यक्ति पर अपनी बुरी नजर डाल सकते हैं. वहीं महाराज जी के मुताबिक रविवार को छौर कर्म करने से यश, बुद्धि और धन की हानि होती है. प्रेमानंद सागर महाराज के अनुसार गुरुवार के दिन बाल कटवाने से मान-सम्मान की हानि होती है. इतना ही नहीं, घर में मां लक्ष्मी का वास नहीं होता है और आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है.

किस दिन करना चाहिए

प्रेमानंद महाराज कहते है कि छौर कर्म के लिए सबसे अच्छा दिन है बुधवार और शुक्रवार. जिसे धन वर्षा और यश उन्नति होती है. यह दिन छौर कर्म करने के लिए सबसे सही माने गए है. हालांकि शास्त्रों में भी कहा गया है कि छौर कर्म सिर्फ हफ्ते में दो दिन ही करना चाहिए. लेकिन विवाह कार्य में भी किसी भी तरह के दिन-तिथि-नक्षत्र की ज़रूरत नहीं होती.

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