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जब किस्मत ऐसे बदलने लगे करवट, तो समझ जाएं शनि ने पकड़ लिया है आपका हाथ, जानें साढ़े साती के संकेत

साढ़े साती शनि ग्रह की वह विशेष अवधि होती है, जो आपकी मानसिक, भावनात्मक, शारीरिक और सामाजिक जिंदगी पर असर डाल सकती है. इसके लक्षण व्यक्ति की कुंडली, कर्म, दशा और स्वभाव पर निर्भर करते हैं.

जब किस्मत ऐसे बदलने लगे करवट, तो समझ जाएं शनि ने पकड़ लिया है आपका हाथ, जानें साढ़े साती के संकेत
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हेमा पंत
Edited By: हेमा पंत

Updated on: 13 April 2025 6:00 AM IST

जब चंद्रमा से ठीक पहले वाली राशि, चंद्रमा वाली राशि (जन्म राशि) और चंद्रमा से अगली राशि में प्रवेश करता है, तब साढ़े साती शुरू हो जाती है. हर राशि में शनि लगभग 2.5 साल तक रहता है. इसलिए पूरी अवधि साढ़े सात साल की होती है.

आपकी जन्म राशि कर्क है, तो जब शनि मिथुन (12वीं राशि) में आएंगे, तब साढ़े साती शुरू हो जाएगी. जब आपकी महादशा या अंतर्दशा में शनि आता है और वो साढ़े साती से मेल खा रही हो, तो असर तेज़ हो जाता है. जो लोग अपनी चंद्र राशि या लग्न के आधार पर राशिफल देखते हैं, उनके लिए शनि की चाल में जब उनकी राशि आती है, तो वह संकेत होता है.

साढ़े साती के संकेत

काम-काज में रुकावटें और धीमी प्रगति साढ़ी साती का सबसे बड़ा सकंते है. यानी आप मेहनत बहुत करते हैं, लेकिन सफलता देर से या कम मिलती है. प्रमोशन या नई जॉब मिलने में बाधा आना भी साढ़े साती का असर होता है. यह शनि की धैर्य की परीक्षा होती है.

मानसिक तनाव और चिंता

क्या आपका बिना किसी कारण के मन बेचैन रहता है. या आपको चिंता महसूस होती है, तो समझ लें कि यह साढ़े साती का समय है. इसके अलावा, इस दौरान निर्णय लेने में उलझन, अकेलापन, नकारात्मक सोच या डिप्रेशन जैसा अनुभव भी हो सकता है. शनि आपको अंदर से मजबूत करने की कोशिश करता है, लेकिन ये प्रोसेस थोड़ा भारी हो सकता है.

आर्थिक दबाव या हानि

अचानक खर्चे बढ़ जाते हैं? जैसे घर, गाड़ी, इलाज या कोर्ट-कचहरी के खर्चों से तंग आ गए हैं. इतना ही नहीं, बचत कम हो जाती हैं, या उधारी लेने की नौबत आने लगे तो आप पर साढ़े साती का संकट छा चुका है. इसके अलावा, निवेश में नुकसान या धोखा भी हो सकता है. ये समय फालतू खर्च से बचने और बजट को कंट्रोल में रखने का इशारा है.

कानूनी या सामाजिक उलझनें

झूठे आरोप, कोर्ट-कचहरी के मामलों की शुरूआत भी साढ़े साती का ही एक संकेत है. वहीं, अगर आपके ऑफिस में झगड़े होने लगे, तो सावधान हो जाए. इसके अलावा, इस दौरान समाज या परिवार में आलोचना का सामना करना पड़ सकता है. यह सब जीवन में अनुशासन लाने और कर्म सुधारने के इशारे हो सकते हैं.

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