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संभाजी महाराज से जुड़ा 'सांभर' का दिलचस्प किस्सा, कैसे हुई थी स्वाद से भरपूर इस डिश की शुरुआत

सांभर की उत्पत्ति के तार मराठा साम्राज्य के दूसरे छत्रपति, छत्रपति संभाजी महाराज के बीच एक बहुत शक्तिशाली संबंध हो तो यह आपके लिए जरुरी हैरानी की बात हो सकती है. इतिहास में मौजूद सांभर का पहला कटोरा वास्तव में छत्रपति संभाजी महाराज के लिए बनाया गया था.

संभाजी महाराज से जुड़ा सांभर का दिलचस्प किस्सा, कैसे हुई थी स्वाद से भरपूर इस डिश की शुरुआत
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रूपाली राय
Edited By: रूपाली राय

Updated on: 14 Feb 2025 4:00 PM IST

नरम सब्जियों और कुरकुरे मसालों से भरे सांभर की तीखी कटोरी से बेहतर कुछ भी नहीं है. जिसे हम डोसा, इडली, वड़ा के साथ खाना पसंद करते हैं. हालांकि सांभर का स्वाद तब दुगना हो जाता है जब उसके साथ मूंगफली और नारियल की चटनी हो. वहीं कुछ लोग सांभर को डोसा, इडली और वड़ा के बजाए उबले चावल के साथ भी खाना पसंद करते हैं.

लेकिन अगर इस सांभर की उत्पत्ति के तार मराठा साम्राज्य के दूसरे छत्रपति, छत्रपति संभाजी महाराज के बीच एक बहुत शक्तिशाली संबंध हो तो यह आपके लिए जरुरी हैरानी की बात हो सकती है. इतिहास में मौजूद सांभर का पहला कटोरा वास्तव में छत्रपति संभाजी महाराज के लिए बनाया गया था. हालांकि यह दिलचस्प किस्सा इस उस मौके पर निकलकर आया है जब विक्की कौशल और रश्मिका मंदाना स्टारर फिल्म 'छावा' थिएटर में रिलीज हो गई है.

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सांभर की उत्पत्ति

छत्रपति शिवाजी महाराज के सौतेले भाई व्यंकोजी के पुत्र शाहूजी महाराज की ओर से आया था. 1863 में व्यंकोजी का निधन हो गया और वे अपना साम्राज्य छोटे शाहूजी को सौंप गए, जो उस समय केवल 12 वर्ष के थे. युद्ध में अपनी गतिविधियों के अलावा, शाहूजी वास्तव में पढ़ने, लिखने, कविता, कला और खाना पकाने में अपने कौशल के लिए जाने जाते हैं. कहानी यह है कि एक दिन छत्रपति संभाजी महाराज तंजावुर के दौरे पर गए. हालांकि, उस दिन, शाहूजी महाराज की शाही रसोई में कोकम खत्म हो गया, जिसका इस्तेमाल बड़े पैमाने पर व्यंजनों को खट्टा स्वाद देने के लिए किया जाता था. इस दौरान शाहूजी ने कोकम की जगह इमली का इस्तेमाल करने को कहा.

तंजावुर से हुई थी शुरुआत

उस रोजाना बनने वाली सब्जी में इमली ने स्वाद को दुगना कर दिया. इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि भोजन छत्रपति संभाजी महाराज को परोसने के लिए तैयार किया जा रहा था, इमली वाली दाल को संभाजी आहार ('संभाजी के भोजन') नाम दिया गया था, जिसे अंत बोलचाल की भाषा में बदलकर सिर्फ सांभर कर दिया गया. सांबर से जुड़ी इस कहानी की पुष्टि फेमस फ़ूड हिस्टोरियन और डायटीटीएन के टी अचाया ने भी की है. इसलिए आमतौर पर यह माना जाता है कि सांभर बनाने की शुरुआत तंजावुर से हुई थी.

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