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कैंसर के लिए कितनी फायदेमंद है एस्पिरिन, क्या कहती है रिसर्च?

कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी में कैंसर इम्मुनोलॉजिस्ट राहुल रॉयचौधरी के लीडरशिप में एक रिसर्च टीम ने मेटास्टेसिस के इम्यून रिस्पांस के खिलाफ को बढ़ाने के लिए एस्पिरिन द्वारा टारगेटेड एक नावेल प्रतिरक्षा की खोज की है.

कैंसर के लिए कितनी फायदेमंद है एस्पिरिन, क्या कहती है रिसर्च?
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रूपाली राय
Edited By: रूपाली राय

Updated on: 6 March 2025 1:17 PM IST

एस्पिरिन एक जनरल पेन रिलीवर है, जो अक्सर बुखार, सिर दर्द, शरीर में दर्द, सूजन और दिल के रोगों की रोकथाम के लिए इस्तेमाल की जाती है. यह मुख्य रूप से एक एंटी-इंफ्लेमेटरी ड्रग (NSAID) है और इसका मुख्य कार्य शरीर में सूजन और दर्द को कम करना है. लेकिन अब वैज्ञानिकों ने बुधवार को बताया कि एस्पिरिन का इस्तेमाल कैंसर कुछ प्रकार के कैंसर, खासरूप से कोलन, पेट और मलाशय के कैंसर, के जोखिम को कम कर सकता है. वैज्ञानिकों ने चूहों के जरिए ऐसे खोज की है जो कैंसर के लिए कारगर साबित हो सकती है.

कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी में कैंसर इम्मुनोलॉजिस्ट राहुल रॉयचौधरी के लीडरशिप में एक रिसर्च टीम ने मेटास्टेसिस के इम्यून रिस्पांस के खिलाफ को बढ़ाने के लिए एस्पिरिन द्वारा टारगेटेड एक नावेल प्रतिरक्षा की खोज की है, जो विश्व भर में कैंसर से होने वाली 90 प्रतिशत मौतों का कारण है. उनके अध्ययन में, ब्रेस्ट, बड़ी आंत और स्किन कैंसर से पीड़ित चूहों का एस्पिरिन से उपचार करने पर, मेटास्टेसिस (कैंसर का अन्य अंगों, जैसे फेफड़े या यकृत में फैलना) का स्तर, उन चूहों की तुलना में कम पाया गया, जिन्हें एस्पिरिन नहीं दी गई थी.

नए ट्रीटमेंट्स काम करते है आसान

बुधवार को नेचर मैगज़ीन में पब्लिश ये निष्कर्ष एस्पिरिन की मेटास्टेटिक-विरोधी गतिविधि के बारे में 'मैकेनिकल इनसाइट' प्रोवाइड करते हैं और ऐसे नए ट्रीटमेंट्स का काम आसान कर सकते हैं जो एस्पिरिन के इस प्रभाव की नकल करते हैं, बिना इसके संभावित जोखिमों के. रॉयचौधरी ने द टेलीग्राफ को बताया, 'हालांकि पिछले रिसर्च और टेस्ट्स ने मेटास्टेसिस के खिलाफ एस्पिरिन के संभावित लाभों को दिखाया था, लेकिन हमारा स्टडी इसमें शामिल स्पेसिफिक इम्युनोलॉजिकल पाथवे की पहचान करने वाली पहली रिसर्च है. रॉयचौधरी और उनके कलीग ने दिखाया है कि एस्पिरिन की एक प्रमुख एंटी-प्लेटलेट प्रोसेस, जो थ्रोम्बोक्सेन ए2 नाम के प्रोडक्शन ऑफ़ मोलेक्युल्स को कम करती है, मेटास्टेटिक इन्फेक्शन से लड़ने के लिए डिफेन्स सिस्टम की सेल्स की क्षमता को बढ़ाती है.

10,000 से ज्यादा पेशेंट को दे रहे एस्पिरिन

मेटास्टेसिस को रोकने के लिए सहायक ट्रीटमेंट के रूप में एस्पिरिन का मूल्यांकन करने के लिए क्लीनिकल ट्रायल्स चल रहे हैं. क्लिनिकल टेस्ट्स में से एक का नाम ADD-ASPIRIN है, जिसमें भारत, आयरलैंड और ब्रिटेन में शुरूआती स्टेज केब्रेस्ट, कोलोरेक्टल, गैस्ट्रो-ओसोफेगल और प्रोस्टेट कैंसर के 10,000 से अधिक रोगियों को शामिल किया गया है, जिसमें भारत का सहभागी केंद्र मुंबई का टाटा मेमोरियल सेंटर अस्पताल है. टीएमसी में मेडिकल ऑन्कोलॉजिस्ट और एडीडी-एस्पिरिन टेस्ट के लिए ब्रेस्ट कैंसर पेशेंट की भर्ती में मदद करने वाले प्रिंसिपल इन्वेस्टिगेटर सुदीप गुप्ता ने कहा, 'यह एक डबल-ब्लाइंड रैंडमाइज्ड कंट्रोलिंग टेस्ट है, जहां न तो रोगियों और न ही डॉक्टरों को पता है कि किसे एस्पिरिन दी जा रही है और किसे प्लेसिबो गोलियां दी जा रही हैं.'

जोखिम रहित दवा नहीं एस्पिरिन

यू.के. में जन्मे और पले-बढ़े रॉयचौधरी ने कहा कि इन टेस्ट के रिजल्ट अगले दो से पांच सालों में सामने आने की उम्मीद है. उनके पिता, धीरेंद्र नाथ रॉयचौधरी, एक आब्सटेट्रिक्स-गायनोकॉलोजी सर्जन थे, जो कलकत्ता के पास हरिनारायणपुर में पले-बढ़े थे और यू.के. में प्रैक्टिस करने के लिए चले गए थे. रॉयचौधरी और अन्य डॉक्टर चेतावनी देते हैं कि एस्पिरिन अपनी कम कीमत और आसानी से उपलब्ध होने के कारण आकर्षक है, लेकिन यह जोखिम रहित दवा नहीं है. एस्पिरिन के लंबे समय तक इस्तेमाल से गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल जहर होती है, जिसमें पेप्टिक अल्सरेशन और गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल रक्तस्राव शामिल है.

क्लीनिकल वेलिडेशन की जरूरत

रॉयचौधरी ने कहा, 'हमारी रिसर्च बताती है कि एस्पिरिन संभावित रूप से शुरुआती चरण के कैंसर वाले रोगियों के लिए सबसे अधिक फायदेमंद हो सकती है. जिनका इस्तेमाल इलाज के इरादे से किया गया है, लेकिन उनमें माइक्रोमेटास्टेसिस का पता नहीं चल पाया है. हालांकि, (एस्पिरिन के लिए) सिफारिशें करने से पहले आगे क्लीनिकल वेलिडेशन की जरूरत है.

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