Begin typing your search...

पहले 42 की उम्र में कैटरीना, अब भारती सिंह हैं प्रेग्नेंट, जानें क्या होती है लेट प्रेग्नेंसी? बच्चे पर क्या पड़ता है असर

पहले कैटरीना कैफ ने 42 साल की उम्र में मां बनने की खबर अपने फैंस के साथ शेयर की. अब भारती सिंह भी 41 की उम्र में प्रेग्नेंट है. इन दोनों ही कंडीशन को लेट प्रेग्नेंसी कहा जाता है. आइए जानते हैं लेट प्रेग्नेंसी क्या होती है और इससे बच्चे के स्वास्थ्य पर कैसे प्रभाव पड़ता है.

पहले 42 की उम्र में कैटरीना, अब भारती सिंह हैं प्रेग्नेंट, जानें क्या होती है लेट प्रेग्नेंसी? बच्चे पर क्या पड़ता है असर
X
( Image Source:  Canva )
हेमा पंत
Edited By: हेमा पंत

Updated on: 7 Oct 2025 12:40 PM IST

बॉलीवुड एक्ट्रेस कैटरीना कैफ 42 साल की उम्र में प्रेग्नेंट हैं. अब वहीं, दूसरी ओर 41 साल की कॉमेडियन भारती सिंह ने बताया कि वह भी जल्द ही दूसरी बार मां बनने वाली हैं. अब ऐसे में मदरहुड को लेकर नई बहस छिड़ गई है, क्योंकि दोनों ही मामलों में यह ‘लेट प्रेग्नेंसी’ है. यानी एडवांस उम्र में प्रेंग्नेंट होना.

गर्भावस्था में उम्र बढ़ने के साथ कुछ मेडिकल चुनौतियां बढ़ जाती हैं, लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि सही देखभाल और सावधानियों के साथ सुरक्षित और स्वस्थ प्रेग्नेंसी संभव है. चलिए जानते हैं क्या है लेट प्रेग्नेंसी और बच्चे पर क्या पड़ता है असर?

क्या है लेट प्रेग्नेंसी?

एक्सपर्ट की मानें, तो 35 साल के बाद प्रेग्नेंसी को आमतौर पर ‘एडवांस्ड मैटरनल ऐज’ माना जाता है. हालांकि आजकल ज्यादातर महिलाएं करियर, फाइनेंशियल सेफ्टी और व्यक्तिगत तैयारियों के कारण बाद में मां बनने का ऑप्शन चुन रही हैं, लेकिन 35 साल के बाद प्रेग्नेंसी में कुछ जोखिम और चुनौतियां बढ़ जाती हैं.

लेट प्रेग्नेंसी में होने वाली समस्याएं?

लेट प्रेग्नेंसी में महिलाओं को जेस्टेशनल डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर और प्रीक्लेम्पसिया जैसी स्थितियों का सामना करना पड़ सकता है. इतना ही नहीं, कभी-कभी लेबर के दौरान जटिलताओं के कारण सिजेरियन डिलीवरी की संभावना भी थोड़ी अधिक हो जाती है. हालांकि, रोजाना प्रीनेटल चेक-अप और समय पर समस्याओं का पता लगाना इन जोखिमों को कम करने में मदद मिलती है.

बच्चे पर क्या पड़ता है असर?

ज्यादा उम्र में मां बनने पर बच्चों को कुछ स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं. बड़ी उम्र की माताओं के बच्चों को डाउन सिंड्रोम जैसी परेशानी होने का खतरा थोड़ा ज्यादा होता है. ऐसे बच्चों के समय से पहले जन्म या कम वजन वाले होने का भी अंदेशा बढ़ जाता है. लेकिन अब एडवांस टेस्ट से इन खतरों का पहले ही पता लगाकर सही इलाज किया जा सकता है. विशेषज्ञ यह भी कहते हैं कि सही देखभाल, हेल्दी आदतें और नियमित डॉक्टर चेकअप से बाद में मां बनने वाली महिलाएं भी सुरक्षित प्रेग्नेंसी कर सकती हैं.

सेफ लेट प्रेग्नेंसी के उपाय

  • बच्चा पैदा करने से पहले डॉक्टर से अपनी सेहत की जांच कराएं और जो भी बीमारी हो, उसका इलाज कराएं.
  • प्रीनेटल चेक‑अप समय‑समय पर कराते रहें ताकि कोई समस्या जल्दी पता चल सके.
  • सही खाना खाएं, रोज हल्का व्यायाम करें, अपना वजन सही रखें और शराब-धूम्रपान से बचें.
  • तनाव कम करें और परिवार का साथ पाने से मातृत्व की तैयारी आसान हो जाती है.
हेल्‍थ
अगला लेख