HIV के खिलाफ बड़ी जीत! साल में सिर्फ़ दो इंजेक्शन से होगा जड़ से खत्म, 99.9% असरदार है दवा
एचआईवी जैस जानलेवा बीमारी को भी जड़ से खत्म करने की एक दवा जल्द ही इस साल अंत तक मार्किट में आने वाली है. वैज्ञानिकों ने हाल ही में लेनाकापाविर नाम की एक नई इंजेक्शन दवा विकसित की है. जो HIV मरीजों के लिए जीवनदान साबित होगा.

यह सचमुच दुनिया के लिए एक बड़ी खुशखबरी है कि एचआईवी के इलाज और रोकथाम में अब एक नई उम्मीद जग गई है. दशकों से वैज्ञानिक और डॉक्टर एचआईवी वायरस को मात देने की कोशिश कर रहे थे, और अब ऐसा लगता है कि हमें इसका कारगर इलाज मिल गया है. वैज्ञानिकों ने हाल ही में लेनाकापाविर (Lenacapavir) नाम की एक नई इंजेक्शन दवा विकसित की है, जो एचआईवी रोकथाम में क्रांतिकारी साबित हो सकती है. यह दवा इस साल के अंत तक बाजार में आने की तैयारी में है.
खास बात यह है कि यह दवा बहुत किफायती होगी और इसे लेने वाले मरीजों को साल भर में सिर्फ दो बार इंजेक्शन लगवाना होगा. गेट्स फाउंडेशन और भारत की मशहूर दवा निर्माता कंपनी हेटेरो लैब्स के बीच साझेदारी हुई है. इस साझेदारी की वजह से दवा की कीमत बहुत कम रखी गई है. एक मरीज के लिए पूरे साल का खर्च सिर्फ 40 डॉलर (लगभग 3,300 रुपये) होगा. इस दाम पर नेशनल हेल्थ सिस्टम्स के लिए भी इसे अपनाना आसान होगा और लाखों लोगों को फायदा मिल सकेगा.
क्या लेनाकापाविर है?
लेनाकापाविर को अमेरिकी दवा कंपनी गिलियड साइंसेज ने तैयार किया है. यह एक लंबे समय तक असर करने वाली एंटीरेट्रोवायरल इंजेक्शन दवा है. इसकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसे साल में सिर्फ दो बार इंजेक्शन के रूप में देना होता है. अब तक के परीक्षणों में इस दवा ने 99.9% से ज्यादा प्रभावशीलता दिखाई है, यानी यह एचआईवी संक्रमण को लगभग पूरी तरह रोक देती है.
एफडीए की मंजूरी
जून 2025 में, अमेरिकी खाद्य एवं औषधि प्रशासन (FDA) ने इस दवा को Yaztugo नाम से मंजूरी दी. गिलियड साइंसेज के सीईओ डेनियल ओ’डे ने इसे "एचआईवी के खिलाफ अब तक की सबसे ऐतिहासिक उपलब्धि' बताया और कहा कि यह दवा महामारी को खत्म करने में बहुत बड़ी भूमिका निभा सकती है.
मौजूदा दवाओं से क्यों बेहतर?
अभी तक एचआईवी से बचाव के लिए प्री-एक्सपोज़र प्रोफिलैक्सिस (PrEP) नाम की दवाएं इस्तेमाल की जाती हैं, जिन्हें रोज़ाना गोली के रूप में लेना पड़ता है. रोज़ दवा लेना कई मरीजों के लिए मुश्किल होता है, जिससे इसका असर सीमित रह जाता है. लेकिन लेनाकापाविर के साथ यह समस्या खत्म हो जाएगी, क्योंकि मरीज को साल में सिर्फ दो बार ही इंजेक्शन लगवाना होगा.
क्लीनिकल ट्रायल्स में सफलता
इस दवा पर दो बड़े परीक्षण किए गए –पहला टेस्ट : इसमें सहारा के साउथ अफ्रीका की 2000 से ज्यादा महिलाओं को शामिल किया गया. नतीजा यह रहा कि इनमें एचआईवी संक्रमण 100% तक कम हो गया. यह मौजूदा गोली ट्रुवाडा से कहीं ज्यादा प्रभावी साबित हुई. दूसरा टेस्ट : इसमें 2000 से ज्यादा पुरुष और जेंडर-डाइवर्स व्यक्तियों को शामिल किया गया. यहां सिर्फ दो संक्रमण पाए गए, यानी 99.9% रोकथाम दर
क्या मतलब है इसका?
इसका सीधा मतलब यह है कि अब एचआईवी रोकथाम आसान, सस्ता और ज्यादा असरदार हो जाएगा. अगर यह दवा बड़े स्तर पर उपलब्ध हो जाती है, तो दुनिया भर में लाखों लोगों को संक्रमण से बचाया जा सकेगा और एचआईवी महामारी को खत्म करने की दिशा में बड़ा कदम उठाया जा सकेगा.