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सादगी से लेकर दूसरों की सुनने... मनमोहन सिंह की जिंदगी से आप भी सीख सकते हैं ये 5 पॉजिटिव बातें

मनमोहन सिंह इस दुनिया को अलविदा कह चुके हैं. अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने देश को मजबूत बनाने के लिए कई काम किए. मनमोहन सिंह की खामोशी लोगों को बेहद चुभती थी, लेकिन वह अपने काम के जरिए सभी को चुप करवा देते थे.

सादगी से लेकर दूसरों की सुनने... मनमोहन सिंह की जिंदगी से आप भी सीख सकते हैं ये 5 पॉजिटिव बातें
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हेमा पंत
Edited By: हेमा पंत

Updated on: 27 Dec 2024 1:42 PM IST

मनमोहन सिंह के व्यक्तित्व की जितनी तारीफ की जाए उतना कम है. वह एक प्रधानमंत्री होने के साथ-साथ इकोनॉमिस्ट भी रह चुके हैं. मनमोहन सिंह की बदौलत देश की जीडीपी में उछाल आया. काम के अलावा, वह अपनी सादगी और शांत स्वभाव के लिए भी जाने जाते थे. चलिए आज जानते हैं ऐसी कौन-सी बातें हैं, जो हम उनके जीवन से सीख सकते हैं.

सादगी है जरूरी

मनमोहन सिंह का जीवन सादगी से भरा था. उनके कपड़े से लेकर रहन-सहन हर चीज में सादगी नजर आती थी. मनमोहन सिंह की यह बात हमें बताती है कि जिंदगी का असली स्वाद सादगी में है. सादगी हमें एक बेहतरन इंसान बनाती है. साथ ही, जिंदगी में पॉजिटिविटी आती है.

दूसरों की बातों का सुनना

दूसरों की बात को सुनना, मनमोहन सिंह की खूबियों में से एक है. वह आम लोगों से लेकर मंत्री तक की बात को अच्छे सुनते थे. इसके चलते लोगों को उनकी बात कहने का मौका मिलता था बल्कि परेशानियों का हल भी सही तरीके से निकलता है. इसलिए हमेशा दूसरों की बात सुननी चाहिए. इसके बाद ही उस पर बोलना चाहिए.

सहयोग करना है जरूरी

मनमोहन सिंह ने अपने कार्यकाल के दौरान विरोधियों के साथ भी मिलकर काम किया. इसे सहयोग कहते हैं. जीवन में बहुत बार बिना सहयोग के काम कर पाना मुश्किल होता है. सहयोग से परेशानी आसानी से हल हो जाती है.

खुद को बड़ा न समझें

मनमोहन सिंह उन नेताओं में शामिल है, जिन्होंने खुद को कभी भी बड़ा या अलग नहीं समझा. उन्होंने हमेशा अपने काम को अहमियत दी. साथ ही, कभी भी अपनी पोजिशन का फायदा नहीं उठाया है. इससे पता चलता है कि इतने सफल व्यक्ति होने के बाद भी उन्हें कभी घमंड नहीं हुआ. इससे हमें सिखना चाहिए कि कभी भी घमंड नहीं करना चाहिए.

आलोचना स्वीकार करना

मनमोहन सिंह पर हमेशा उनकी चुप्पी के लिए निशाने साधे गए. उनके कार्यकाल के दौरान खूब आलोचना भी हुई, लेकिन वह कभी भी इन आलोचनाओं का सामना करने से पीछे नहीं हटे. उनकी यह आदत हमें सिखाती है कि अपनी कमियों को खुले दिल से अपनाना चाहिए. अक्सर हम आलोचना को स्वीकार नहीं कर पाते हैं. इसके चलते हम बहुत कुछ नहीं सीख नहीं पाते हैं. इसके चलते कमियां कम होने लगती हैं.

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