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जस्टिस शेखर कुमार यादव पद पर बने रहेंगे या हटा दिए जाएंगे? सीएम योगी ने किया बयान का समर्थन

Justice Shekhar Kumar Yadav: इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज जस्टिस शेखर कुमार यादव अपने बयान को लेकर सुर्खियों में हैं. उनके बयान को विवादास्पद और घृणास्पद भाषण करार देते हुए विपक्षी सांसदों ने 13 दिसंबर को राज्यसभा में महाभियोग प्रस्ताव लाने के लिए नोटिस दिया है. सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने भी जस्टिस यादव को 17 दिसंबर को बैठक में बुलाया है. वहीं, सीएम योगी ने जस्टिस यादव के बयान का समर्थन किया है.

जस्टिस शेखर कुमार यादव पद पर बने रहेंगे या हटा दिए जाएंगे? सीएम योगी ने किया बयान का समर्थन
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( Image Source:  X )

Justice Shekhar Kumar Yadav: इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज जस्टिस शेखर कुमार यादव इस समय सुर्खियों में छाए हुए हैं. उनके खिलाफ राज्यसभा में विपक्ष महाभियोग लाने जा रहा है. विपक्ष ने उन पर घृणास्पद भाषद देने और सांप्रदायिक विद्वेष भड़काने का आरोप लगाया है. सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने भी जस्टिश यादव को अगले हफ्ते बैठक के लिए बुलाया है. कॉलेजियम की अध्यक्षता मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना करेंगे.

'इंडियन एक्सप्रेस' के मुताबिक, यह बैठक 17 दिसंबर को हो सकती है. सुप्रीम कोर्ट ने 10 दिसंबर को कथित तौर पर विश्व हिंदू परिषद के कानूनी प्रकोष्ठ द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में जस्टिस यादव के विवादास्पद भाषण पर संज्ञान लिया और हाईकोर्ट से डिटेल्स मांगा था.

उच्चतम न्यायालय ने यह कदम ऐसे समय में उठाया है, जब 13 दिसंबर को 55 राज्यसभा सांसदों ने जस्टिस यादव के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव के लिए नोटिस दिया था. दोनों सदनों में एनडीए के पास संख्याबल है. इसलिए ऐसा लगता है कि यह संभव नहीं है. इसलिए सुप्रीम कोर्ट इस मामले में कैसे निपटता है, यह देखना महत्वपूर्ण है. जस्टिस यादव अप्रैल 2026 में रिटायर होंगे.

जस्टिस यादव ने क्या कहा?

पिछले रविवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट परिसर में हाईकोर्ट बार एसोसिएशन की लाइब्रेरी में विश्व हिन्दू परिषद के विधिक प्रकोष्ठ द्वारा आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए जस्टिस यादव ने समान नागरिक संहिता (UCC) पर अपनी बात रखी. जस्टिस यादव ने कहा, आपको यह गलतफहमी है कि अगर कोई कानून (यूसीसी) लाया जाता है, तो यह आपके शरीयत, आपके इस्लाम और आपके कुरान के खिलाफ होगा. हमने अपनी प्रथाओं में बुराइयों को दूर किया है... कमियां थीं, दुरुस्त कर लिए हैं... अस्पृश्यता... सती, जौहर... कन्या भ्रूण हत्या... हमने उन सभी मुद्दों को हल किया है... फिर आप उस कानून को खत्म क्यों नहीं कर रहे हैं... कि जब आपकी पहली पत्नी मौजूद है... तो आप तीन पत्नियां रख सकते हैं... उसकी सहमति के बिना... यह स्वीकार्य नहीं है.

'हम सहिष्णु और उदार हैं'

जस्टिस यादव ने आगे कहा कि हिंदू धर्म में सहिष्णुता के बीज हैं, जो इस्लाम में नहीं हैं. हमें सिखाया जाता है कि एक चींटी को भी नहीं मारना चाहिए. शायद इसीलिए हम सहिष्णु और उदार हैं. हमें किसी का कष्ट देखकर कष्ट होता है... किसी को कष्ट देखकर पीड़ा होती है... पर आपके अंदर नहीं होती है ... क्यों? क्योंकि जब हमारे समुदाय में कोई बच्चा पैदा होता है, तो उसे बचपन से ही भगवान, वेद और मंत्रों के बारे में सिखाया जाता है... उन्हें अहिंसा के बारे में बताया जाता है, लेकिन आप के यहां तो बचपन से बच्चे सामने रख कर के पशुओं का वध किया जाता है. तो आप कैसे अपेक्षा करते हैं कि सहिष्णु होगा वो...उदार होगा वो.

'कानून बहुसंख्यकों की इच्छा पर काम करेगा'

जस्टिस यादव ने कहा, मुझे यह कहने में कोई झिझक नहीं है कि यह हिंदुस्तान है... और देश हिंदुस्तान में रहने वाले बहुसंख्यकों के हिसाब से चलेगा. उन्होंने कहा कि कानून बहुसंख्यकों की इच्छा पर काम करेगा... अगर आप परिवारों या समाज को देखें... तो बहुसंख्यकों की इच्छा ही प्रबल होती है.

वृंदा करात ने सीजेआई को लिखा पत्र

विपक्षी दलों ने जस्टिस शेखर यादव की इन टिप्पणियों की कड़ी आलोचना की. सीजेआई संजय खन्ना को लिखे पत्र में सीपीएम नेता और पूर्व सांसद वृंदा करात ने लिखा- कोई भी वादी उस अदालत से न्याय की उम्मीद नहीं कर सकता, जिसमें एक सदस्य अल्पसंख्यक समुदाय के खिलाफ और बहुसंख्यकवादी दृष्टिकोण के पक्ष में इस तरह की पक्षपातपूर्ण और सार्वजनिक रूप से व्यक्त की गई राय रखता हो.

तीन सदस्यीय समिति का किया जाएगा गठन

बता दें कि उपराष्ट्रपति यानी राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ विपक्ष के महाभियोग नोटिस को स्वीकार या अस्वीकार कर सकते हैं. अगर शिकायत स्वीकार कर ली जाती है, तो शिकायत की जांच करने और यह निर्धारित करने के लिए तीन सदस्यीय समिति (दो न्यायाधीश और एक न्यायविद) का गठन किया जाएगा कि क्या यह महाभियोग शुरू करने के लिए उपयुक्त मामला है. इस समिति में सुप्रीम कोर्ट के एक न्यायाधीश और एक हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश शामिल होंगे, क्योंकि शिकायत उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के खिलाफ है.

सीएम योगी ने किया समर्थन

सीएम योगी आदित्यनाथ ने जस्टिस शेखर यादव के बयान का समर्थन किया है. उन्होंने कहा कि अगर भारत में कोई बहुसंख्यक समाज के हितों की चर्चा करे और सच्चाई बोल दे तो कौन सा अपराध हो गया. आपने देखा होगा कि माननीय जज के खिलाफ भी महाभियोग का नोटिस दिया गया है. विपक्ष अपने आपको लोकतांत्रिक कहते हैं. संविधान की किताब साथ लेकर चलते हैं, लेकिन इनमें शर्म नहीं है.

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