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संभल से लेकर जौनपुर तक, बढ़ते मस्जिद विवाद से 2027 से पहले किस ओर जा रही यूपी की राजनीति?

UP Assembly Election 2027: यूपी के कई जिलों में मस्जिद की जगह मंदिर होने का दावा करने वाली याचिकाएं कोर्ट में दायर की गई हैं. इससे 2027 में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले ही सूबे का सियासी पारा हाई हो गया है. आइए, आपको बताते हैं कि इन याचिकाओं के दायर होने से 2027 से पहले यूपी की राजनीति किस ओर जा रही है.

संभल से लेकर जौनपुर तक, बढ़ते मस्जिद विवाद से 2027 से पहले किस ओर जा रही यूपी की राजनीति?
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( Image Source:  ANI )

UP Assembly Election 2027: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2027 में होंगे, लेकिन उससे पहले सूबे का सियासी पारा हाई बना हुआ है. प्रदेश के कई जिलों में मस्जिद की जगह मंदिर होने का दावा करते हुए याचिकाएं कोर्ट में दायर की गई हैं. हाल ही में, यूपी में ऐसी तीन याचिकाएं दायर की गई हैं, जबकि अजमेर शरीफ दरगाह में सर्वे की मांग वाली एक याचिका राजस्थान के अजमेर की एक अदालत में दायर की गई है.

संभल की शाही जामा मस्जिद को मंदिर की जगह पर बनाने का दावा करते हुए एक याचिका 19 नवंबर को चंदौसी कोर्ट में दायर की गई थी. कोर्ट ने उसी दिन मस्जिद का सर्वे करने का आदेश दिया, जिसके बाद शाम तक प्रशासन ने सर्वे का काम पूरा कर लिया. इसके बाद 24 नवंबर को मस्जिद के दूसरे सर्वे के दौरान हिंसा भड़क उठी थी, जिसमें कम से कम चार लोग मारे गए थे.

विपक्ष ने उठाए सवाल

संभल के बाद बदायूं में शम्शी शाही मस्जिद और जौनपुर में अटाला मस्जिद की जगह पर भी मंदिर होने के दावे के साथ निचली अदालतों में याचिकाएं दायर की गई हैं. विपक्ष ने निचली अदालतों द्वारा इन याचिकाओं को स्वीकार करने के तरीके और प्रशासन द्वारा आदेशों के क्रियान्वयन में दिखाई गई तत्परता पर नाराजगी जताई है.

सुप्रीम कोर्ट ने विशेष पीठ का किया गठन

दूसरी ओर, सुप्रीम कोर्ट ने पूजा स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम, 1991 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली लंबित याचिकाओं पर सुनवाई के लिए एक विशेष पीठ का गठन किया है. अधिनियम में यह प्रावधान है कि अयोध्या में स्थित उस स्थान को छोड़कर, जिस पर उस समय मुकदमा चल रहा था, सभी पूजा स्थलों की प्रकृति वैसी ही बनी रहेगी, जैसी वह 15 अगस्त, 1947 को थी।

वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद और मथुरा में ईदगाह मस्जिद पर हिंदू अधिकारों की मांग वाली याचिकाएं 2021 में दायर की गई थीं. इसके अगले ही साल यूपी में विधानसभा चुनाव हुए, जिसमें बीजेपी को 255 सीटें मिलीं, जबकि सपा को 111 सीटों पर जीत मिली. यूपी में कुल 403 विधानसभा सीटें हैं.

हिंदुत्व की राजनीति को मिलेगा बढ़ावा

कई जिलों में मस्जिद को मंदिर बताने वाली याचिकाओं के दायर होने से वोटों का ध्रुवीकरण होगा, जिससे योगी आदित्यनाथ के हिंदुत्व की राजनीति को बढ़ावा मिलेगा. गोरखपुर स्थित गोरक्षनाथ मठ, जिसके प्रमुख आदित्यनाथ हैं, अयोध्या आंदोलन से जुड़ा रहा है.

प्रयागराज महाकुंभ से हिंदुत्व नेता की छवि को बढ़ाने का प्रयास

अगले साल यानी 2025 में प्रयागराज जिले में भव्य महाकुंभ का आयोजन किया जाएगा. यह सबसे बड़ा हिंदू सांस्कृतिक आयोजन माना जाता है. सीएम योगी ने इस आयोजन को सफल और समावेशी बनाने के लिए राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ यानी आरएसएस के शीर्ष नेतृत्व से पहले ही संपर्क कर चुके हैं, ताकि इसमें हिंदू समाज की सभी जातियों और संप्रदायों का प्रतिनिधित्व हो सके. इसे आदित्यनाथ की तरफ से हिंदुत्व नेता के रूप में अपनी राष्ट्रीय छवि को बढ़ाने के प्रयास के रूप में भी देखा जा रहा है.

'बंटेंगे तो कटेंगे' नारे ने महाराष्ट्र में बीजेपी को दिलाई जीत

इस साल अगस्त में आगरा में एक जनसभा को संबोधित करते हुए सीएम योगी ने बांग्लादेश में हिंदू विरोधी हिंसा का जिक्र करते हुए 'बंटेंगे तो कटेंगे' का नारा दिया. इस नारे का इस्तेमाल बीजेपी ने महाराष्ट्र चुनाव में किया, जिससे उसे प्रचंड जीत हासिल हुई. योगी के नारे का आरएसएस के महासचिव दत्तात्रेय होसबोले ने भी समर्थन किया था.

'हिदुत्व को और बढ़ाना होगा'

बीजेपी के एक नेता ने इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत करते हुए कहा कि योगी आदित्यनाथ की राजनीति हिंदुत्व प्लस कानून और व्यवस्था पर चलती है. हिंदुत्व वह आधार है, जिस पर बाकी सब कुछ टिका हुआ है. विपक्ष ने लोकसभा चुनाव में अपने प्रदर्शन से यह साबित कर दिया कि वह सोशल इंजीनियरिंग में बीजेपी जितनी ही अच्छी है. उन्होंने कहा कि ऐसे समय में जब विपक्ष जाति के आधार पर समाज को विभाजित करने पर आमादा है, हमें हिंदुत्व को और आगे बढ़ाना होगा.

बीजेपी नेता ने इस बात से इनकार किया कि सरकार का इन याचिकाओं से कोई लेना-देना है. उन्होंने दावा किया कि याचिकाकर्ता न तो भाजपा से जुड़े हैं और न ही संघ परिवार से. सभी मामले अदालत में हैं. लेकिन अगर दूसरा पक्ष अदालती आदेश के बावजूद परेशानी खड़ी करता है, तो योगी सरकार कार्रवाई करने में पीछे नहीं हटेगी.

विपक्ष ने याचिकाओं पर दी प्रतिक्रिया

यूपी के कई जिलों में दायर याचिकाओं पर विपक्ष की अलग-अलग प्रतिक्रियाएं सामने आई हैं. सपा ने संभल में हुई मौतों के लिए योगी सरकार को जिम्मेदार ठहराया है. उसने भाजपा पर नफरत फैलाने का भी आरोप लगाया है। हालांकि, सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने अभी तक संभल जाने का कोई प्रयास नहीं किया है. केवल विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष माता प्रसाद पांडे ने 30 नवंबर को पार्टी नेताओं के एक प्रतिनिधिमंडल के साथ शहर का दौरा करने का प्रयास किया, जिसे प्रशासन ने विफल कर दिया. कई लोग इसे बीजेपी को मामले का ध्रुवीकरण करने से रोकने के लिए सपा द्वारा इस मुद्दे पर सावधानी से कदम उठाने के कदम के रूप में देख रहे हैं.

राहुल गांधी ने की संभल जाने की कोशिश

दूसरी ओर, कांग्रेस न केवल इस मुद्दे पर मुखर रही है, बल्कि पार्टी नेता राहुल गांधी और प्रियंका गांधी ने संभल जाने की कोशिश भी की, लेकिन पुलिस ने उन्हें रोक दिया. इस महीने की शुरुआत में कांग्रेस कार्य समिति ने बैठक में पारित अपने एक प्रस्ताव में पूजा स्थल अधिनियम के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराई. संभल में मस्जिद को लेकर दायर याचिका के बाद यूपी कांग्रेस की अल्पसंख्यक शाखा ने भी पूजा स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम, 1991 के कथित उल्लंघन के खिलाफ राज्यव्यापी अभियान शुरू किया है. यह अभियान 6 दिसंबर को बाबरी मस्जिद विध्वंस की सालगिरह पर शुरू किया गया, जो संविधान निर्माता बीआर अंबेडकर की पुण्यतिथि भी है।

उत्तर प्रदेश कांग्रेस के कुछ नेताओं ने तो यहां तक ​​आरोप लगाया है कि इन विवादों के दोबारा खुलने से दलितों को आवंटित भूमि का मुद्दा भी सामने आ सकता है. कांग्रेस मुसलमानों और दलितों के अपने पारंपरिक वोट बैंक को फिर से मजबूत करने का प्रयास कर रही है. हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव में उसने भाजपा पर संविधान को बदलने की कोशिश करने का आरोप लगाया था. दलित और मुसलमानों से मिलने वाले समर्थन से ही कांग्रेस 2027 में सपा के साथ सीट बंटवारे पर बेहतर तरीके से बातचीत कर सकेगी.

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