क्या रक्षाबंधन से पहले कम होगी EMI! रेपो रेट में कटौती की उम्मीद, दोबारा घटेगी ब्याज दर?
RBI की अगस्त में होने वाली मौद्रिक नीति बैठक से पहले कर्जदारों को बड़ी राहत की उम्मीद है. SBI की रिपोर्ट के मुताबिक, RBI 25 बेसिस पॉइंट की रेपो रेट कटौती कर सकता है. इससे पर्सनल और होम लोन सस्ते हो सकते हैं. त्योहारी सीजन से पहले सस्ती ब्याज दरें बाज़ार में मांग को बढ़ावा दे सकती हैं.
अगस्त 2025 की मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक से पहले आम जनता को एक उम्मीद बंधी हुई है- क्या रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) रेपो रेट में कटौती कर सस्ता कर्ज देगा? फरवरी 2025 से अब तक RBI ने 1% की कटौती की है, जिससे लोन सस्ते हुए. अब त्योहारी सीजन से पहले फिर राहत मिलने की उम्मीद है.
भारतीय स्टेट बैंक (SBI) की ताजा रिपोर्ट के अनुसार, RBI अगस्त की बैठक में रेपो रेट में 25 बेसिस पॉइंट (bps) की कटौती कर सकता है. यह बैठक 4 से 6 अगस्त के बीच होगी. रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर ऐसा होता है तो यह ‘अर्ली दिवाली गिफ्ट’ जैसा होगा, खासकर तब जब देश त्योहारी सीजन में प्रवेश कर रहा है.
कर्ज की मांग में उछाल की संभावना
SBI की रिपोर्ट में पिछली घटनाओं का हवाला देते हुए बताया गया कि अगस्त 2017 में जब RBI ने 25 bps की कटौती की थी, तब दिवाली तक कर्ज वितरण में करीब 1,956 अरब रुपए की बढ़ोतरी हुई थी. इसमें से 30% पर्सनल लोन थे. यही पैटर्न फिर दोहराया जा सकता है अगर RBI अगस्त में कटौती करता है.
सस्ते लोन से त्योहारों में उपभोक्ता खर्च बढ़ेगा
रिपोर्ट के मुताबिक, त्योहारों के पहले ब्याज दरें घटने से ग्राहक ज्यादा खरीदारी करते हैं. दिवाली भारत का सबसे बड़ा त्योहार है, जिसमें खर्च बढ़ता है. सस्ती ब्याज दरें न सिर्फ मांग को बढ़ाती हैं बल्कि बाजार में सकारात्मकता भी लाती हैं. यही कारण है कि कारोबारी जगत भी कटौती की मांग कर रहा है.
अब नहीं किया फैसला तो नुकसान होगा ज्यादा
रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि मौद्रिक नीति का असर धीरे-धीरे होता है. अगर RBI रेपो रेट में कटौती को और टालता है, तो महंगाई घटने या ग्रोथ धीमी पड़ने की स्थिति में देर से प्रतिक्रिया होगी, जिससे अर्थव्यवस्था को नुकसान हो सकता है. नीति में निष्क्रियता का खामियाजा उत्पादन और निवेश पर पड़ेगा.
RBI के पास अब अवसर है
SBI का मानना है कि मौजूदा समय में महंगाई RBI के लक्ष्य के भीतर है. ऐसे में अगर रेपो रेट में कटौती की जाती है, तो यह समय पर लिया गया नीतिगत फैसला होगा. अगर RBI मानता है कि महंगाई में गिरावट अस्थायी है और इसलिए रेट नहीं घटाता, तो यह रणनीतिक भूल हो सकती है.
महंगाई संतुलन और विकास को साधने की चुनौती
RBI का उद्देश्य केवल मुद्रास्फीति को नियंत्रित करना नहीं, बल्कि आर्थिक वृद्धि को संतुलन में भी रखना होता है. रिपोर्ट में कहा गया है कि CPI, टैरिफ अनिश्चितताएं और आगामी त्योहारों की समयसीमा पहले से तय हैं. ऐसे में रेपो रेट में कटौती से ग्रोथ को मजबूत आधार मिलेगा.
रक्षाबंधन पर रेपो रेट गिफ्ट? सबकी निगाहें RBI पर
जैसे-जैसे 4 अगस्त की तारीख करीब आ रही है, आम जनता से लेकर व्यापारी वर्ग तक सभी की निगाहें रिजर्व बैंक की तरफ हैं. क्या RBI इस बार भी रेपो रेट घटाकर रक्षाबंधन से पहले देश को आर्थिक राहत देगा? अगर ऐसा होता है तो यह न सिर्फ त्योहारों की शुरुआत का संकेत होगा, बल्कि आर्थिक गति का भी संदेश.





