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'पत्नी का पॉर्न देखना और मास्टरबेशन करना तलाक का आधार नहीं' मद्रास HC ने रद्द की व्यक्ति की याचिका

Madras HC: मद्रास हाई कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि अगर पति या पत्नी ने पोर्नोग्राफी देखने में किसी वैधानिक कानून का उल्लंघन नहीं किया. ऐसे कृत्य क्रूरता नहीं माने जा सकते और इसलिए ये तलाक का आधार नहीं हो सकते. अदालत ने व्यक्ति की अर्जी को खारिज कर दिया.

पत्नी का पॉर्न देखना और मास्टरबेशन करना तलाक का आधार नहीं मद्रास HC ने रद्द की व्यक्ति की याचिका
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( Image Source:  Canva )
निशा श्रीवास्तव
Edited By: निशा श्रीवास्तव

Updated on: 20 March 2025 9:18 AM IST

Madras HC: मद्रास हाई कोर्ट ने बुधवार को एक मामले की सुनवाई करते अहम टिप्पणी की. अदालत ने एक सवाल के जवाब में कहा, पत्नी का पोर्न देखना और मास्टरबेशन करना पति पर क्रूरता नहीं है. तमिलनाडु के करूर जिले के एक व्यक्ति ने अपनी पत्नी से तलाक की मांग को लेकर कोर्ट में अपली की थी. कोर्ट ने व्यक्ति की याचिका खारिज करते हुए यह टिप्पणी की.

हाई कोर्ट के जस्टिस जी.आर. स्वामीनाथन और जस्टिस आर. पूर्णिमा ने इस मामले की सुनवाई की. शिकायतकर्ता ने अपनी याचिका में कहा था कि मेरी पत्नी पोर्नोग्राफी देखती है और अक्सर मास्टरबेशन करती है, इसलिए मैं अलग रहना चाहता हूं. बेंच ने कहा, प्राइवेसी में पोर्नोग्राफी देखना कोई अपराध नहीं है.

क्या बोला कोर्ट?

हाई कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि अगर पति या पत्नी ने पोर्नोग्राफी देखने में किसी वैधानिक कानून का उल्लंघन नहीं किया. यदि ऐसी आदत से पति-पत्नी के वैवाहिक जीवन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा है, तो ऐसे कृत्य क्रूरता नहीं माने जा सकते और इसलिए ये तलाक का आधार नहीं हो सकते. अदालत ने व्यक्ति की अर्जी को खारिज कर दिया. साथ ही कहा, प्राइवेट में पोर्नोग्राफी देखना कोई अपराध नहीं है.

अदालत ने कहा कि जब पुरुषों में मास्टरबेशन को सामान्य माना जाता है, तो महिलाओं के मास्टरबेशन को गलत नहीं माना जा सकता. कोर्ट ने कहा, अगर शादी के बाद कोई महिला किसी दूसरे से संबंध बनाती है, तो यह तलाक का आधार बन सकता है, लेकिन आत्म-सुख में लिप्त होना तलाक का कारण नहीं हो सकता. किसी भी तरह से यह नहीं कहा जा सकता कि यह पति पर क्रूरता का आरोप है. इस मामले में व्यक्ति ने फैमिली कोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें उसे उसकी अलग रह रही पत्नी से तलाक देने से इनकार कर दिया गया था.

क्या है मामला?

कपल ने जुलाई 2018 में शादी की थी, लेकिन वे दिसंबर 2020 में अलग रहने लगे. पत्नी ने बाद में अपने अधिकारों की मांग की, जबकि पति ने क्रूरता के आधार पर तलाक के लिए अर्जी दी, जिसमें आरोप लगाया गया कि पत्नी पोर्नोग्राफी देखकर और मास्टरबेशन करके उसके खिलाफ क्रूरता कर रही है. यह भी आरोप लगाया कि पत्नी बहुत खर्चीली थी, 'पोर्न देखने की आदी थी, घर के काम करने से मना करती थी और अक्सर हस्तमैथुन में लिप्त रहती थी.' याचिकाकर्ता ने कहा, मेरी पत्नी यौन रोग से पीड़ित थी.

कोर्ट ने कहा, जब निजता एक मौलिक अधिकार है, तो इसके दायरे में वैवाहिक निजता भी शामिल है. वैवाहिक निजता की रूपरेखा में महिला की यौन स्वायत्तता के विभिन्न पहलू शामिल होंगे. जब तक कोई चीज कानून के खिलाफ नहीं होती.

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