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पति के घर रहता था पत्नी का परिवार, हाईकोर्ट ने माना क्रूरता; 16 साल बाद मिली तलाक की मंजूरी

पत्नी ने पति पर वैवाहिक क्रूरता का झूठा आरोप लगाया, जिसके कारण परेशान होकर पति ने निचली अदालत में तलाक की याचिका दायर की थी. हालांकि, निचली अदालत ने पति की याचिका खारिज कर दी थी. इसके बाद, पति ने इस फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी जहां अदालत ने उसे तलाक की मंजूरी दे दी.

पति के घर रहता था पत्नी का परिवार, हाईकोर्ट ने माना क्रूरता; 16 साल बाद मिली तलाक की मंजूरी
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नवनीत कुमार
Edited By: नवनीत कुमार

Published on: 24 Dec 2024 4:49 PM

कलकत्ता हाईकोर्ट ने क्रूरता के आधार पर 16 साल बाद एक व्यक्ति को तलाक की मंजूरी दे दी है. अदालत ने कहा कि पत्नी के दोस्तों और परिवार के सदस्यों का पति की इच्छा के विरुद्ध उसके घर पर रहना क्रूरता की श्रेणी में आता है. इसके अलावा, पत्नी ने पति के साथ वैवाहिक जीवन बिताने से लंबे समय तक इनकार कर दिया था.

पत्नी ने पति पर वैवाहिक क्रूरता का झूठा आरोप लगाया, जिसके कारण परेशान होकर पति ने निचली अदालत में तलाक की याचिका दायर की थी. हालांकि, निचली अदालत ने पति की याचिका खारिज कर दी थी. इसके बाद, पति ने इस फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी जहां अदालत ने उसे तलाक की मंजूरी दे दी.

शादी के तीन साल बाद किया था तलाक का मुकदमा

यह कपल 15 दिसंबर 2005 को शादी के बंधन में बंधा था. शादी पश्चिम बंगाल के नवद्वीप में हुई और 2006 में वे कोलाघाट में रहने लगे, जहां पति कार्यरत था. 2008 में पत्नी ने कोलकाता के नारकेलडांगा में शिफ्ट होने का निर्णय लिया, यह कहते हुए कि वह उसके वर्कप्लेस सियालदह के करीब है. हालांकि, कोर्ट में सुनवाई के दौरान उसने यह भी दावा किया कि वह 'असहाय स्थिति' के कारण वहां गई थी. पति ने 25 सितंबर 2008 को तलाक के लिए याचिका दायर की, जबकि उसी साल 27 अक्टूबर को पत्नी ने पति और उसके परिवार के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी.

वैवाहिक संबंध में नहीं रखती दिलचस्पी

पति ने आरोप लगाया था कि वे अलग-अलग रह रहे थे और फिर भी पत्नी के परिवार वाले उसके घर में रह रहे थे. पति ने यह भी आरोप लगाया कि उसकी पत्नी वैवाहिक संबंध या बच्चा पैदा करने में दिलचस्पी नहीं रखती थी. इसे भी क्रूरता की श्रेणी में रखा गया है.

हाईकोर्ट ने क्या कहा?

हाईकोर्ट ने कहा कि पत्नी के दोस्तों और परिवार के सदस्यों का पति के सरकारी आवास में रहने के सबूत मिले हैं. पति ने इस पर आपत्ति जताई थी. अदालत ने इसे क्रूरता मानते हुए कहा कि महिला मित्र और परिवार के अन्य सदस्यों का वहां रहना, खासतौर पर पत्नी की अनुपस्थिति में पति के मानसिक शांति और जीवन पर नेगेटिव प्रभाव डाल सकता है. अदालत ने इन परिस्थितियों को तलाक का उचित आधार माना.

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