Wi-Fi स्टाइल बिजली से बदल जाएगी पूरी दुनिया, चार्जर और तारों का जमाना होगा खत्म; वायरलेस पावर ट्रांसफर बनेगा नया नॉर्मल
वायरलेस पावर ट्रांसफर तकनीक तेजी से प्रयोगशाला से वास्तविक दुनिया में आ रही है और वह दिन दूर नहीं जब बिजली Wi-Fi की तरह हवा में प्राप्त होगी. पोर्शे अगले साल अपनी Cayenne EV के लिए वायरलेस चार्जिंग मैट लॉन्च करने जा रही है, वहीं फ्रांस में 1.5 किमी लंबा हाईवे चलती EV को चार्ज कर रहा है और स्वीडन में वायरलेस टैक्सी चार्जिंग स्टेशन स्थायी बन चुके हैं. शोधकर्ता ऐसे कमरों पर भी काम कर रहे हैं जहां स्मार्टफोन, लैपटॉप, लैंप और पंखे बिना तार हवा से चलते रहें.
कल्पना कीजिए, आपकी इलेक्ट्रिक कार घर की पार्किंग में एक मैट पर खड़ी है, कोई केबल नहीं जोड़े, कोई चार्जर नहीं लगाया, और अगली सुबह बैटरी 100% चार्ज. या फिर फ़ोन, लैपटॉप, स्मार्टवॉच, टीवी, टेबल लैंप - सब बिना तार और बिना प्लग के सिर्फ कमरे में रखे हों और अपने-आप चल रहे हों. सुनने में यह साइंस-फिक्शन जैसा लगता है, लेकिन टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, यह भविष्य अब बिल्कुल करीब है.
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पॉर्शे अगले साल अपनी Cayenne EV के लिए वायरलेस चार्जिंग मैट लॉन्च करने जा रही है, जिसे कार पर खड़ा कर देना और चार्ज हो जाने की सुविधा मिल जाएगी. सिर्फ इतना ही नहीं, फ्रांस में 1.5 किमी लंबा हाईवे बन चुका है जो चलती EV को वायरलेस चार्ज करता है. स्वीडन के गोथेनबर्ग में टैक्सियों के लिए वायरलेस चार्जिंग स्टेशन स्थायी रूप से स्थापित हो चुके हैं. यानी बिजली के तारों वाला युग खत्म होने और “हवा से बिजली का युग” शुरू होने वाला है.
वायरलेस पावर ट्रांसफर - हवा के ज़रिए मिलेगी बिजली
रिपोर्ट बताती है कि वायरलेस बिजली का मूल सिद्धांत बेहद साधारण है - जैसे डेटा हवा में तरंगों और रेडियो सिग्नलों से चलता है, वैसी ही तरंगों के ज़रिए बिजली भेजना. यह दो प्रकार से काम करता है, पहला कम दूरी पर इंडक्टिव कॉइल्स - जैसे आज के वायरलेस फोन चार्जर और दूसरी लंबी दूरी पर बिजली को तरंगों / माइक्रोवेव / लेजर के रूप में भेजना. भविष्य में यह तकनीक कमरों, ऑफिस, अस्पताल, समुद्री मशीनों और यहां तक कि अंतरिक्ष मिशनों में बिजली पहुंचाने का आधार बनेगी.
यह तकनीक कितनी आगे पहुंच चुकी है?
- 2017 - Disney Research ने धातु से ढंके एक कमरे में ऐसा सिस्टम बनाया जिसमें मोबाइल, लैम्प और पंखे पूरी तरह हवा से चल रहे थे.
- 2021 - टोक्यो विश्वविद्यालय ने उसी मॉडल को साधारण दिखने वाले कमरे में छुपाकर सफल परीक्षण किया.
- वर्तमान - कुछ देशों में स्मार्ट लॉक और सेंसर पहले से हवा से ऊर्जा लेकर चलते हैं.
यानी - यह तकनीक प्रयोगशाला से निकलकर बाजार के दरवाजे पर है.
वायरलेस बिजली आने से हमारी दुनिया कैसे बदलेगी?
अभी दुनिया में 2030 तक 25 अरब कनेक्टेड डिवाइसेज़ होने का अनुमान है. EV की तेज़ बिक्री इस तकनीक के विकास की मुख्य ताकत बन गई है. संभावित क्रांतिकारी बदलाव इस प्रकार हैं...
क्षेत्र | लाभ |
घर और ऑफिस | तारों की भीड़ खत्म, हर डिवाइस अपने-आप चार्ज |
गैजेट | चार्जिंग पोर्ट खत्म → पूरी तरह वॉटरप्रूफ डिवाइस |
हेल्थकेयर | अस्पतालों में तारों से मुक्त ICU, इन्फेक्शन और झटके के खतरे कम |
EV & ट्रांसपोर्ट | कारें, बसें, टैक्सियां चलते-चलते चार्ज |
रोबोटिक सिस्टम | पानी के अंदर वायर्ड चार्जिंग के खतरे से मुक्ति |
एयरोस्पेस | अंतरिक्ष में ऊर्जा भेजने की तकनीक का विस्तार |
किन मुश्किलों की वजह से यह तकनीक अभी सर्वसाधारण नहीं बन पाई?
हालांकि दिशा स्पष्ट है, लेकिन चुनौतियां लंबी हैं -
- उच्च लागत और जटिल इंस्टॉलेशन
- केबल जितनी दक्षता नहीं - पावर लॉस और अधिक गर्मी
- सुरक्षा - तरंगों की सीमा तय करने की ज़रूरत
- स्टैंडर्ड अलग-अलग - कंपनियों की तकनीकें एक-दूसरे से मेल नहीं खातीं
जैसे-जैसे इन समस्याओं पर काम आगे बढ़ रहा है, वायरलेस बिजली का सफल व्यावसायिक मॉडल और करीब पहुंचता जा रहा है.
क्या एक दिन बिजली Wi-Fi की तरह होगी?
अगर पिछले 20 वर्षों को देखें तो पहले वायरलेस टेलीफोन सपना था, फिर वायरलेस इंटरनेट असंभव लगता था और आज मोबाइल-डेटा पूरी दुनिया को जोड़ रहा है. ठीक वही रास्ता अब वायरलेस बिजली तय कर रही है. रिपोर्ट कहती है कि “जिस दिन दुनिया बिजली Wi-Fi की तरह चलने लगेगी, वही दिन असंभव के समाप्त होने की घोषणा होगी.” शायद आने वाले दस वर्षों में तार, चार्जर और प्लग उतने ही पुरानी चीज़ें होंगी, जितने आज हमारे लिए टेलीफोन के तार या पेजर हैं.
भविष्य की तकनीक का अगला बड़ा मोड़ AI या रोबोट नहीं, बल्कि बिजली की आज़ादी भी हो सकती है. जब हर कमरा, सड़क, दफ़्तर, वाहन और गैजेट हवा में बहती बिजली से चार्ज होने लगेंगे, तो हमारा रिश्ता ऊर्जा से उतना ही सहज हो जाएगा, जितना आज Wi-Fi से है.





