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पुतिन के भारत दौरे से कुडनकुलम पावर प्लांट सुर्खियों में क्यों? सभी रिएक्टर.. कई शहरों को मिल सकती है 24 घंटे बिजली

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की भारत यात्रा के बाद कुडनकुलम न्यूक्लियर पावर प्लांट (KKNPP) अचानक सुर्खियों में आ गया है. दरअसल, दोनों देशों के बीच परमाणु ऊर्जा सहयोग को नए स्तर पर ले जाने के संकेत मिले हैं. खासकर, कुडनकुलम में चल रहे नई यूनिटों के निर्माण, फंडिंग, टेक्नोलॉजी ट्रांसफर और फ्यूचर रिएक्टरों को लेकर महत्वपूर्ण प्रगति सामने आई है, जिसने KKNPP को चर्चा के केंद्र में ला दिया है.

पुतिन के भारत दौरे से कुडनकुलम पावर प्लांट सुर्खियों में क्यों? सभी रिएक्टर..   कई शहरों को मिल सकती है 24 घंटे बिजली
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रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की भारत यात्रा सिर्फ रणनीतिक और रक्षा सहयोग तक सीमित नहीं रही. इस यात्रा के बाद दक्षिण भारत के सबसे बड़े परमाणु ऊर्जा प्रोजेक्ट कुडनकुलम न्यूक्लियर पावर प्लांट (KKNPP) पर नया फोकस उभरकर आया है. भारत-रूस बातचीत में जो संकेत मिले हैं, वे बताते हैं कि आने वाले समय में यह प्रोजेक्ट तेज रफ्तार पकड़ सकता है. साथ ही नए रिएक्टरों, तकनीकी सहयोग और ऊर्जा उत्पादन क्षमता बढ़ाने की दिशा में बड़े कदम उठ सकते हैं.

पुतिन की यात्रा में परमाणु सहयोग क्यों महत्वपूर्ण रहा?

भारत और रूस के संबंधों का प्रमुख स्तंभ रक्षा के अलावा सिविल न्यूक्लियर एनर्जी भी है. पुतिन की यात्रा के दौरान दोनों देशों ने इस सहयोग को और आगे ले जाने पर सहमति जताई है. कुडनकुलम प्लांट जो भारत का सबसे बड़ा परमाणु प्रोजेक्ट है, में रूस की साझेदारी इसका सबसे बड़ा उदाहरण है.

कुडनकुलम में नया क्या?

प्लांट की यूनिट-1 और यूनिट-2 पहले ही बिजली उत्पादन कर रही है, लेकिन चर्चा इसलिए बढ़ी कि यूनिट-3 और यूनिट-4 का काम तेज करने पर सहमति हुई है. यूनिट-5 और यूनिट-6 के निर्माण के लिए तकनीकी टीमों को अतिरिक्त क्लियरेंस मिला है. कुछ लंबित रूसी सप्लाई और उपकरणों की डिलीवरी को फास्ट-ट्रैक करने के संकेत मिले हैं. रूस ने भविष्य में एडवांस्ड VVER रिएक्टर टेक्नोलॉजी देने पर भी रुचि दिखाई है.

6000 मेगावाट बिजली उत्पादन की क्षमता

कुडनकुलम न्यूक्लियर पावर प्रोजेक्ट के तहत कुल 6 प्लांट बनने हैं. एक प्लांट से 1000 मेगावाट बिजली उत्पादन होता है. दो प्लांट चालू हैं. यानी 2000 मेगावाट बिजली उत्पादन हो रहा है. अगर सभी प्लांट चालू हो जाएं तो छह हजार मेगावाट बिजली का उत्पादन होगा. इस लिहाज से देखें तो दिल्ली में गर्मियों में पीक आवर के दौरान भी 8 हजार मेगावाट बिजली की जरूरत होती है. यानी कुडनकुलम न्यूक्लियर पावर प्रोजेक्ट के सभी प्लांट चालू हा जाएं तो कई शहरों को 24 घंटे बिजली मिल सकती है.

ऊर्जा सुरक्षा के लिए अहम कैसे है यह प्लांट?

भारत की बढ़ती बिजली मांग को देखते हुए कुडनकुलम जैसे बड़े परमाणु प्रोजेक्ट महत्त्वपूर्ण हैं. KKNPP से पहले दो चरणों में कुल 2000 MW बिजली मिल रही है और आगे की 4 यूनिटों के बाद क्षमता 6000 MW हो जाएगी.

भू-राजनीतिक कारण

पुतिन की यात्रा के तुरंत बाद इस प्रोजेक्ट पर चर्चा बढ़ी क्योंकि पश्चिमी देशों की रूस पर पाबंदियों के बावजूद भारत-रूस न्यूक्लियर सहयोग मजबूत बना हुआ है. रूस भारत को ऊर्जा पार्टनरशिप के रूप में प्राथमिकता दे रहा है. भारत इसे अपने दीर्घकालिक ऊर्जा सुरक्षा मिशन से जोड़कर देख रहा है.

स्थानीय स्तर पर भी बढ़ी गतिविधियां

तमिलनाडु में कुडनकुलम क्षेत्र में रूसी टेक्नीशियनों की नई टीम पहुंची है. कंस्ट्रक्शन साइटों पर गतिविधियां बढ़ी गई हैं. NPCIL ने कई कॉन्ट्रैक्ट फास्ट-ट्रैक डेवलप किए है. इन संकेतों ने मीडिया और ऊर्जा विशेषज्ञों का ध्यान खींचा है.

अब आगे क्या?

परमाणु पावर से जुड़े विशेषज्ञों के मुताबिक अगले एक साल में यूनिट-3 और यूनिट-4 चालू होने की संभावना है. भारत-रूस मिलकर नए एडवांस्ड रिएक्टरों की प्लानिंग कर सकते हैं. टेक्नोलॉजी ट्रांसफर और इंडिजिनाइजेशन पर बड़ा फैसला संभव है.

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