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ऑपरेशन-सिंदूर का तांडव भी पहलगाम के कातिल क्यों नहीं तलाश सका? पूर्व कोबरा कमांडो चीफ ने बताई INSIDE STORY

22 अप्रैल 2025 को पहलगाम की बैसरन घाटी में हुए पर्यटकों के नरसंहार को सिर्फ आतंकी हमला कहना नाकाफी है. पूर्व कोबरा कमांडो प्रमुख केके शर्मा ने स्टेट मिरर हिंदी से एक्सक्लूसिव बातचीत में इसे भारत सरकार के साथ विश्वासघात बताया. उन्होंने कहा कि अनुच्छेद 370 हटने से बौखलाए गद्दारों ने पाकिस्तानी इशारे पर कॉन्ट्रेक्ट किलिंग शुरू की. हमलावर अब भी पहलगाम में छिपे हो सकते हैं. उनका पकड़ा न जाना भारत की आंतरिक गद्दारी का सबूत है.

ऑपरेशन-सिंदूर का तांडव भी पहलगाम के कातिल क्यों नहीं तलाश सका? पूर्व कोबरा कमांडो चीफ ने बताई INSIDE STORY
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संजीव चौहान
By: संजीव चौहान

Updated on: 26 May 2025 11:24 AM IST

पहलगाम की बैसरन घाटी (Pahalgam Baisaran Valley Terror Attack) में 22 अप्रैल 2025 यानी मंगलवार के दिन हुए ‘खूनी-अमंगल’ का हिसाब तो भारत ने, ऑपरेशन-सिंदूर” (Operation Sindoor) से बराबर कर लिया. इसके बाद भी मगर पहलगाम के कातिल अभी तक हाथ क्यों नहीं आए? इस सवाल के जवाब की इनसाइड मगर बेहद सधी हुई तह तक पहुंचाती कहानी तलाशने के लिए, स्टेट मिरर हिंदी के एडिटर (क्राइम इनवेस्टीगेशन) ने बात की किसी जमाने में जम्मू-कश्मीर घाटी में आतंकवादियों पर और, उसके बाद नक्सल प्रभावित इलाकों में नक्सलियों के ऊपर कहर बनकर टूट पड़ने वाले पूर्व ‘कोबरा कमांडो’ चीफ से.

पाकिस्तान में “ऑपरेशन सिंदूर” के ‘तांडव’ से हासिल हिम्मत और सफलता के बाद क्या कमी रह गई जिसके चलते, पहलगाम के मुजरिमों तक भारत नहीं पहुंच सका है? सवाल के जवाब में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल यानी सीआरपीएफ (Central Reserve Police Force CRPF) के, रिटायर्ड पुलिस महानिरीक्षक कमल कांत शर्मा (Kamal Kant Sharma Retired IG CRPF) ने जो इनसाइड स्टोरी सुनाई, वह न केवल चौंकाने वाली है अपितु, पहलगाम नरसंहार की रोंगेटे खड़ी कर देने वाली सच्चाई के इर्द-गिर्द भी मौजूद है.

आतंकवादी घटना नहीं, यह विश्वासघात है

किसी जमाने में छत्तीसगढ़, बिहार, झारखंड, नेपाल सीमा के आसपास (भारत की हद में) मौजूद, नक्सलवादियों में खौफ का पहला नाम रहे सीआरपीएफ की कोबरा कमांडो फोर्स के पूर्व मुखिया (Cobra Commando IG CRPF KK Shamra) के के शर्मा बोले, “मुझे इस बात से नाराजगी है कि पहलगाम नरसंहार को हर कोई “आतंकवादी” हमले की संज्ञा देने तक सिमट कर रह गया है. यह सिर्फ आतंकवादी हमला नहीं था. यह भारत सरकार के साथ गद्दारी-विश्वासघात है. क्योंकि अनुच्छेद-370 तो हमारी सरकार ने जम्मू-कश्मीर की स्वतंत्रता वापिस दिलाने के इरादे से हटाई थी. ताकि बीते 70 साल से दमघोटू और किराए की सांसों के दड़बों (घर नहीं) में तिल-तिल घुटघुट कर मर रहे, जम्मू-कश्मीर के नागरिक भी भारत की खुली आब-ओ-हवा में सांस ले सकें.”

पूर्व कोबरा कमांडो प्रमुख आगे बोले...

एक्सक्लूसिव बातचीत के दौरान सीआरपीएफ के पूर्व कोबरा कमांडो प्रमुख केके शर्मा कहते है, “अनुच्छेद 370 कश्मीर के लोगों के अमन-चैन के वास्ते हटाया गया. लेकिन इसे न-पसंद या 370 के हटने से हलकान हुए कुछ मक्कारों को, भारत के दुश्मन देश नापाक पाकिस्तान के इशारे पर राह से भटके कुछ कश्मीरी लोगों के गले आसानी से उतार पाना मुश्किल हो रहा है. ऐसे में धारा 370 हटते ही जम्मू-कश्मीर घाटी में बाकी सब तो बेहतर हो गया. लेकिन कॉंट्रेक्ट किलिंग” जैसा घिनौना-कारोबार भाड़े के लोगों ने पाकिस्तान के इशारे पर शुरू कर दिया. ताकि अनुच्छेद 370 हटने के बाद हासिल कश्मीरियों की ‘आजादी’ में खलल पैदा किया जा सके. ताकि कश्मीर घाटी से बाहरी राज्यों के लोग इन कांट्रेक्ट किलिंग की घटनाओं से डरकर जम्मू-कश्मीर घाटी छोड़कर भागने को मजबूर हो जाएं.”

कश्मीर और भारत के विश्वासघाती इसलिए नहीं मिले

एक सवाल के जवाब में केंद्रीय पुलिस बल के दबंग कोबरा कमांडो टीम चीफ कहते हैं, “बेशक ऑपरेशन सिंदूर की कामयाबी शब्दों में बयान कर पाना ना-मुमकिन है. ऑपरेशन सिंदूर के कहर ने पाकिस्तानी हुकूमत, खुफिया एजेंसी आईएसआई और वहां मौजूद आतंवादियों को तबाह कर दिया हो. यह सब तो ऑपरेशन सिंदूर से पाकिस्तान में हुए तांडव-कहर का पुख्ता उदाहरण है. यह सवाल तो अभी भी मुंह बाए खड़ा ही है न 22 अप्रैल 2025 से लेकर 23 मई 2025 तक कि, आखिर पहलगाम के हमलावार और भारत सरकार के विश्वासघाती, जम्मू-कश्मीर घाटी के गद्दार आखिर जिंदा या मुर्दा अब तक क्यों नहीं मिले?”

अपने ही गद्दारों को पहले काबू कीजिए...

खुद ही सवाल करने के बाद उसका जवाब देते हुए के के शर्मा बोले, “दरअसल इन विश्वासघातियों-गद्दारों को पकड़ने में अब काफी मुश्किलें आएंगी. उनको घटना के तत्काल बाद ही अगर घेर लिया जाता. तब तो आरपार की बात हो जाती. चूंकि अब उन्हें छिपने का पक्का ठौर ठिकाना मिल चुका है. जम्मू कश्मीर घाटी में सीआरपीएफ की नौकरी के काम के लंबे निजी अनुभव से कह सकता हूं कि, पहलगाम के विश्वासघाती और 26 बेकसूर पर्यटकों के कातिल, जम्मू घाटी से बाहर नहीं निकल पाए होंगे. पहलगाम हमले के बाद पक्का उन्होंने अपने छिपने का कोई न कोई सुरक्षित अड्डा, पहलगाम (बैसरन) घाटी के आसपास पहले ही तैयार कर लिया होगा. जिसमें वह सब अब तक सुरक्षित हैं.

अगर 22 अप्रैल 2025 को पहलगाम हमले के बाद हमलावर घटनास्थल से अगर दूर कहीं जाने की जुर्रत या गलती करते, तो अब तक वे सब या तो मारे जाते या पकड़े जाते. जोकि नहीं हो सका है. क्योंकि मुझे पूरी आशंका है कि पहलगाम के कातिल और भारत के विश्वासघाती जितनी आसानी से जिंदा बच निकले, अगर वे सब आसपास के इलाके में न छिपे होते तो शर्तिया अब तक तस्वीर का रुख-रंग एकदम बदला हुआ होता. पाकिस्तान भारत का दुश्मन है. दुनिया को पता है. नई बात यह है कि भारत की अद्भूत पहल (जम्मू कश्मीर के लोगों को खुली हवा में सांस दिलवाने की कोशिश) को नाकाम करने वाले अपनी कौम (मुसलमानों-कश्मीरियों) के ही सगे नहीं हैं. अगर वे (पहलगाम के हमलावर) अपनी कौम और कश्मीर के सगे-शुभचिंतक होते तो फिर, घाटी में कॉन्ट्रेक्ट-किलिंग सी खून से सनी बदसूरत-डरावनी परिपाटी ही अमल में न लाते.

जो अपनी कौम-मजहब के सगे नहीं हैं वह...

जिन पर्यटकों से जम्मू-कश्मीर घाटी के लोगों को रोजी-रोटी-व्यवसाय मिल रहा था. जिन पर्यटकों से जम्मू-कश्मीर घाटी के लोगों की सांसे आगे बढ़ पा रही थीं. जो पर्यटन जम्मू-कश्मीर घाटी की रीढ़ साबित हो सकता है. पहलगाम घाटी में पर्यटकों के ऊपर हमला करके 26 लोगों की जान लेकर. भारत के विश्वासघातियों ने क्या हासिल कर लिया? सिवाए इसके कि पहलगाम कांड के बाद जम्मू-कश्मीर घाटी में पर्यटकों जब टोटा पड़ा तो वहां के लोग, भूखों मरने पर मजबूर हो चुके हैं.

कौम के गद्दार ‘आजादी’ कैसे दिला सकते हैं?

जम्मू कश्मीर घाटी के जो रास्ते, रेस्टोरेंट, पर्यटन स्थल 22 अप्रैल 2025 तक (पहलगाम कांड से पहले तक) आबाद रहते थे. पहलगाम कांड के बाद अब वे सब श्मसानी सन्नाटे की मैली खूनसनी चादर ओढ़े बेजान-मनहूस से, बुत बने तन्हा खड़े हैं. बिना किसी खुशहाली और खुशहाल पर्यटकों की चहलपहल के. ऐसे पहलगाम के हमलावर अगर अपनी कौम (मुसलमान) और अपने मजहब के दुश्मन नहीं हैं तो और क्या हैं?” स्टेट मिरर हिंदी के साथ लंबी एक्सक्लूसिव बातचीत में सबकुछ बेखौफ होकर बेबाकी से बयान करने के बाद, इस सवाल से अपनी बात को पूर्व कोबरा कमांडो प्रमुख और केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के, रिटायर्ड पुलिस महानिरीक्षक के के शर्मा खामोशी कायम कर लेते हैं.

ऑपरेशन सिंदूरस्टेट मिरर स्पेशल
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