श्रद्धा वॉकर मर्डर केस का After Effect! महाराष्ट्र में आएगा लव जिहाद कानून, अबू बोले- मियां बीवी राजी तो...
महाराष्ट्र सरकार 'लव जिहाद' के खिलाफ कानून लाने की योजना बना रही है. इसके लिए सात सदस्यीय समिति गठित की गई है, जो कानूनी पहलुओं की जांच करेगी. विपक्षी दलों ने इसे राजनीतिक मुद्दा बताया है. कई राज्यों में पहले से जबरन धर्मांतरण विरोधी कानून लागू हैं. सरकार का दावा है कि यह कानून महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करेगा.

महाराष्ट्र सरकार 'लव जिहाद' के खिलाफ कानून लाने की योजना बना रही है. इसके लिए सात सदस्यीय समिति गठित की गई है, जो कानूनी पहलुओं की जांच करेगी. विपक्षी दलों ने इसे राजनीतिक मुद्दा बताया है. कई राज्यों में पहले से जबरन धर्मांतरण विरोधी कानून लागू हैं. सरकार का दावा है कि यह कानून महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करेगा.महाराष्ट्र की महायुति सरकार राज्य में 'लव जिहाद' के मामलों के खिलाफ कानून लाने की तैयारी कर रही है. मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व में राज्य सरकार ने पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) के अधीन सात सदस्यीय समिति का गठन किया है. यह समिति ‘लव जिहाद’ से संबंधित कानूनी और तकनीकी पहलुओं की जांच करेगी और एक व्यापक रिपोर्ट तैयार करके राज्य सरकार को सौंपेगी.
सरकार ने इस समिति में विभिन्न विभागों के वरिष्ठ अधिकारियों को शामिल किया है, जिनमें महिला एवं बाल कल्याण, अल्पसंख्यक मामले, कानून एवं न्यायपालिका, सामाजिक न्याय, विशेष सहायता और गृह विभाग के अधिकारी प्रमुख रूप से शामिल हैं. यह समिति जबरन धर्मांतरण और 'लव जिहाद' के मामलों से निपटने के लिए सुझाव देगी और अन्य राज्यों में लागू कानूनों का अध्ययन करके महाराष्ट्र सरकार को कानूनी सलाह देगी.
सीएम ने कानून लाने की कही थी बात
मुख्यमंत्री फडणवीस ने पहले भी कहा था कि महाराष्ट्र में जबरन धर्मांतरण, विशेष रूप से अंतरधार्मिक विवाहों में होने वाले रूपांतरण के खिलाफ कानून लाने की योजना बनाई जा रही है. महाराष्ट्र की निवासी श्रद्धा वॉकर की 2022 में दिल्ली में उसके बॉयफ्रेंड आफताब पूनावाला ने हत्या कर दी थी और उसके शव के टुकड़े कर दिए थे. इस घटना के बाद भाजपा ने राज्य में 'लव जिहाद' का मुद्दा जोर-शोर से उठाया.
किन राज्यों में लागू है ये कानून
वर्तमान में देश के कई राज्यों में जबरन धर्म परिवर्तन को रोकने के लिए कानून बनाए गए हैं. उत्तर प्रदेश, गुजरात, झारखंड, ओडिशा, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश और छत्तीसगढ़ में इस तरह के कानून लागू किए गए हैं. हिमाचल और उत्तराखंड में जबरन धर्म परिवर्तन के मामलों में पांच साल तक की सजा का प्रावधान है, जबकि उत्तर प्रदेश में यह सजा अधिकतम 10 साल तक की हो सकती है.
यूपी में है 10 साल तक की सजा
उत्तर प्रदेश सरकार ने 2021 में 'लव जिहाद' विरोधी कानून पारित किया था, जिसे 2023 में संशोधित किया गया. इस कानून के तहत जबरन धर्म परिवर्तन कराने पर 10 साल तक की सजा और 50 हजार रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान किया गया है. इस कानून के लागू होने के बाद से अब तक 427 केस दर्ज हो चुके हैं, जिनमें से 65 नाबालिग लड़कियों के धर्म परिवर्तन से जुड़े थे.
सपा व एनसीपी नेता ने किया विरोध
समाजवादी पार्टी के विधायक रईस शेख ने सरकार के इस कदम का विरोध किया है. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार के पास 'लव जिहाद' के मामलों को साबित करने के लिए कोई सांख्यिकीय प्रमाण नहीं है और इस मुद्दे को राजनीतिक लाभ के लिए 'जिहाद' के रूप में प्रस्तुत किया जा रहा है. वहीं, एनसीपी नेता सुप्रिया सुले ने भी इसे निजी स्वतंत्रता से जुड़ा मामला बताते हुए सरकार से असल मुद्दों पर ध्यान देने की अपील की है.
राजनीतिक माहौल गर्म कर रही बीजेपी: राउत
महाराष्ट्र सरकार के इस प्रस्तावित कानून को लेकर शिवसेना (यूबीटी) नेता संजय राउत ने भी तीखी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने सरकार पर चुनावी लाभ के लिए इस मुद्दे को उछालने और जनता का ध्यान भटकाने का आरोप लगाया. संजय राउत ने कहा कि बीजेपी केवल 'लव जिहाद' और धर्मांतरण जैसे मुद्दों को उठाकर राजनीतिक माहौल गर्म कर रही है, जबकि जनता विकास से जुड़े सवाल पूछ रही है.
असली मुद्दों पर ध्यान दे सरकार: अबू
समाजवादी पार्टी के महाराष्ट्र अध्यक्ष अबू आजमी ने भी सरकार के इस कदम का विरोध किया है. उन्होंने इसे संविधान और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के खिलाफ बताया. अबू आजमी का कहना है कि यदि दोनों पक्ष अपनी मर्जी से विवाह कर रहे हैं, तो इसमें हस्तक्षेप करने का कोई औचित्य नहीं है. उन्होंने कहा कि सरकार को इस तरह के कानूनों के बजाय असली सामाजिक और आर्थिक मुद्दों पर ध्यान देना चाहिए.
क्या है लव जिहाद?
‘लव जिहाद’ एक अनौपचारिक शब्द है, जिसका उपयोग कुछ हिंदू समूहों द्वारा किया जाता है. इसका तात्पर्य उन मामलों से है, जिनमें कथित तौर पर मुस्लिम पुरुष प्रेम और विवाह के बहाने हिंदू महिलाओं का धर्म परिवर्तन कराते हैं. हालांकि, इस शब्द को लेकर कई राजनीतिक दलों और संगठनों में मतभेद हैं.