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जगदीप धनखड़ के खिलाफ राज्यसभा में विपक्ष क्यों ला रहा अविश्वास प्रस्ताव, क्या मिल पाएगी कामयाबी?

Jagdeep Dhankhar: राज्यसभा में सभापति जगदीप धनखड़ के खिलाफ विपक्ष अविश्वास प्रस्ताव लाने की तैयार कर रहा है. इस प्रस्ताव पर तृणमूल कांग्रेस, समाजवादी पार्टी और आम आदमी पार्टी ने भी हस्ताक्षर किए हैं. यह प्रस्ताव संविधान के अनुच्छेद 67 (बी) के तहत लाया जाएगा.

जगदीप धनखड़ के खिलाफ राज्यसभा में विपक्ष क्यों ला रहा अविश्वास प्रस्ताव, क्या मिल पाएगी कामयाबी?
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( Image Source:  ANI )

Jagdeep Dhankhar: उपराष्ट्रपति व राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ के खिलाफ कांग्रेस समेत विपक्षी दलों ने अविश्वास प्रस्ताव लाने का फैसला किया है. इंडिया गुट इसे लेकर एकजुट है. गुट में शामिल दलों ने उपसभापति पर सदन में पक्षपातपूर्ण रवैया अपनाने का आरोप लगाया है.

इंडिया ब्लॉक में शामिल ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस, अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी और अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी ने भी प्रस्ताव पर हस्ताक्षर किए हैं. यह प्रस्ताव संविधान के अनुच्छेद 67 (बी) के तहत लाया जाएगा. इस पर कुल 70 सदस्यों ने सिग्नेचर किए हैं.

मंगलवार को लाया जाएगा अविश्वास प्रस्ताव

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, जगदीप धनखड़ के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव कल यानी मंगलवार को लाया जा सकता है. सोमवार को शीतकालीन सत्र के दौरान उच्च सदन में जॉर्ज सोरोस के मुद्दे पर भारी हंगामा देखने को मिला. इस दौरान धनखड़ के रुख को देखते हुए कांग्रेस उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने जा रही है.

कांग्रेस सांसदों ने धनखड़ पर लगाया पक्षपात करने का आरोप

राज्यसभा में हंगामे के दौरान कांग्रेस सांसदों ने सभापति धनखड़ पर पक्षपात करने का आरोप लगाया. उन्होंने सवाल क्या कि किस नियम के तहत उन्होंने चर्चा चालू की है. विपक्षी सांसदों ने इस बात भी आपत्ति जताई कि सभापति बीजेपी सांसदों का नाम लेकर उनसे बोलने के लिए कह रहे हैं.

राज्यसभा सभापति को पद से कैसे हटाया जा सकता है?

बता दें कि राज्यसभा के सभापति को हटाने के लिए लाए जाने वाले प्रस्ताव पर 50 सांसदों के हस्ताक्षर की जरूरत होती है. उसके बाद प्रस्ताव को सचिवालय भेजा जाता है. प्रस्ताव पर 14 दिन बाद राज्यसभा में वोटिंग होती है. अगर बहुमत के आधार पर प्रस्ताव पारित हो जाता है तो उसे लोकसभा भेजा जाता है. अगर लोकसभा में यह प्रस्ताव पारित हो जाता है तो सभापति को पद से हटाया जा सकता है. हालांकि, शीतकालीन सत्र 20 दिसंबर तक ही चलना है.

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