राहुल गांधी को CEC की नियुक्ति पर क्यों है एतराज? बैठक में पीएम मोदी ने नहीं माना सुझाव
मुख्य निर्वाचन आयुक्त (CEC) की नियुक्ति पर राहुल गांधी ने सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई तक प्रक्रिया रोकने की मांग की, लेकिन सरकार ने इसे अस्वीकार कर दिया. कांग्रेस ने सरकार पर न्यायपालिका को चयन प्रक्रिया से हटाने का आरोप लगाया. सुप्रीम कोर्ट 19 फरवरी को इस मामले की सुनवाई करेगा, जिससे इस नियुक्ति प्रक्रिया पर असर पड़ सकता है.

देश के नए मुख्य निर्वाचन आयुक्त (CEC) की नियुक्ति को लेकर सोमवार को चयन समिति की बैठक हुई. यह बैठक प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) में आयोजित की गई, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी और गृह मंत्री शामिल हुए. आपको बता दें, मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार 18 फरवरी को रिटायर होने वाले हैं. उनकी जगह पर नई नियुक्ति की चर्चा चल रही है. अब ज्ञानेश कुमार मुख्य चुनाव आयुक्त बनेंगे, जिनका कार्यकाल 26 जनवरी 2029 को समाप्त होगा.
सूत्रों के अनुसार, राहुल गांधी ने बैठक में सुझाव दिया कि चूंकि इस मामले में सुप्रीम कोर्ट लगातार सुनवाई कर रहा है, इसलिए नई नियुक्ति को कुछ समय के लिए टाल दिया जाए. उन्होंने कहा कि इसमें किसी की व्यक्तिगत प्रतिष्ठा का सवाल नहीं है, बल्कि यह लोकतांत्रिक और संवैधानिक मर्यादाओं का तकाजा है. हालांकि, बैठक स्थगित करने के उनके सुझाव को नहीं माना गया. बैठक के बाद कांग्रेस ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर पार्टी का पक्ष रखा.
कांग्रेस का क्या कहना है?
कांग्रेस सांसद अभिषेक मनु सिंघवी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि मुख्य निर्वाचन आयुक्त (CEC) के चयन के लिए प्रधानमंत्री, गृह मंत्री और नेता विपक्ष का प्रावधान है. 2 मार्च 2023 को सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक फैसले में कहा था कि इस चयन प्रक्रिया में भारत के प्रधान न्यायाधीश (CJI) को भी शामिल किया जाना चाहिए, ताकि सीईसी की नियुक्ति सिर्फ कार्यपालिका तक सीमित न रहे. कांग्रेस का मानना है कि सरकार ने न्यायपालिका की भागीदारी खत्म कर चयन प्रक्रिया को असंतुलित बना दिया है.
सरकार ने CJI को क्यों हटाया?
कांग्रेस का आरोप है कि मौजूदा सरकार ने CEC की चयन प्रक्रिया से न्यायपालिका यानी CJI की भागीदारी को हटा दिया, जिससे यह प्रक्रिया निष्पक्ष नहीं रह गई. इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका भी दायर की गई है. कांग्रेस का कहना है कि इस मामले में केंद्र सरकार को अहंकार नहीं दिखाना चाहिए और सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई तक इंतजार करना चाहिए.
नियुक्ति पर जल्दबाजी क्यों?
कांग्रेस नेताओं ने सवाल उठाया कि अगर सरकार अभी CEC की नियुक्ति कर देती है और बाद में सुप्रीम कोर्ट इस चयन प्रक्रिया को असंवैधानिक घोषित कर देता है, तो फिर उस नियुक्ति का क्या होगा? राहुल गांधी ने भी बैठक में यही बात रखी कि कुछ दिनों तक रुकने में कोई हानि नहीं है, लेकिन सरकार ने इस सुझाव को अस्वीकार कर दिया.
सुप्रीम कोर्ट 19 फरवरी को करेगा सुनवाई
कांग्रेस नेता अजय माकन ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि सुप्रीम कोर्ट 19 फरवरी को इस मामले की सुनवाई करेगा और यह तय करेगा कि CEC की चयन समिति का स्वरूप कैसा होना चाहिए. कांग्रेस का मानना है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार किया जाना चाहिए था, लेकिन सरकार ने जल्दबाजी में बैठक आयोजित कर यह फैसला लिया. अब देखना होगा कि 19 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट इस पर क्या निर्णय लेता है.