1.1 करोड़ का इनामी, माओवादियों का 'प्रशासनिक और रणनीतिक दिमाग'....जानिए गणेश उइके के बारे में, जिसे एनकाउंटर में सुरक्षा बलों ने किया ढेर
ओडिशा के कंधमाल जिले में सुरक्षाबलों ने एक बड़े नक्सल विरोधी अभियान में CPI (माओवादी) के शीर्ष नेता और ओडिशा प्रमुख गणेश उइके समेत छह नक्सलियों को मार गिराया. ₹1.1 करोड़ के इनामी उइके की मौत को माओवादी संगठन के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है. यह ऑपरेशन खुफिया इनपुट के आधार पर SOG, CRPF और BSF की संयुक्त टीम ने चलाया. गृह मंत्री अमित शाह ने इसे नक्सल मुक्त भारत की दिशा में अहम सफलता बताया और कहा कि 31 मार्च 2026 से पहले नक्सलवाद खत्म करने का लक्ष्य है.
Who Was Ganesh Uikey: ओडिशा में नक्सल विरोधी अभियान को बड़ी कामयाबी मिली है. कंधमाल जिले के घने जंगलों में गुरुवार को हुई भीषण मुठभेड़ में CPI (माओवादी) के शीर्ष नेता और ओडिशा में संगठन के मुखिया गणेश उइके समेत छह नक्सली मारे गए. उइके न सिर्फ माओवादी केंद्रीय समिति का सदस्य था, बल्कि पूर्वी भारत में संगठन की रीढ़ माना जाता था. उस पर ₹1.1 करोड़ का इनाम घोषित था.
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वरिष्ठ अधिकारियों के अनुसार, यह मुठभेड़ चकापाद और बेलघर पुलिस स्टेशन क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले जंगलों में हुई. खुफिया एजेंसियों से मिले सटीक इनपुट के आधार पर विशेष अभियान चलाया गया, जिसमें 23 टीमों ने हिस्सा लिया. इनमें 20 टीमें स्पेशल ऑपरेशंस ग्रुप (SOG), 2 टीमें CRPF और 1 टीम BSF की शामिल थी. यह ऑपरेशन कंधमाल के साथ-साथ गंजाम जिले के राम्भा फॉरेस्ट रेंज तक फैला हुआ था.
सुरक्षाबलों और नक्सलियों के बीच हुई कई राउंड फायरिंग
25 दिसंबर की सुबह सुरक्षाबलों और नक्सलियों के बीच कई राउंड फायरिंग हुई. इसके बाद सर्च ऑपरेशन में चार नक्सलियों के शव बरामद हुए, जिनमें दो पुरुष और दो महिलाएं शामिल थीं. मौके से दो INSAS राइफल और एक .303 राइफल भी जब्त की गई. बाद में अन्य क्षेत्रों में तलाश के दौरान कुल छह नक्सलियों के मारे जाने की पुष्टि हुई.
कौन था गणेश उइके?
69 वर्षीय गणेश उइके मूल रूप से तेलंगाना के नलगोंडा जिले का रहने वाला था. वह पक्का हनुमंतु और राजेश तिवारी जैसे कई नामों से भी जाना जाता था. उइके को माओवादी संगठन का प्रशासनिक और रणनीतिक दिमाग माना जाता था. वह सीधे तौर पर फील्ड कमांडर नहीं था, लेकिन लॉजिस्टिक्स, फंडिंग और इंटर-ज़ोन कम्युनिकेशन की जिम्मेदारी उसी के पास थी.
सूत्रों के मुताबिक, लंबे समय से अंडरग्राउंड रहने के कारण उसकी सेहत बेहद खराब हो चुकी थी. वह चलने-फिरने में भी असमर्थ हो रहा था और हमेशा महिला सुरक्षा दस्ते के घेरे में रहता था. उसकी कमजोर हालत ने माओवादी नेटवर्क को भी बुरी तरह प्रभावित किया था, जो अब संगठित ढांचे की बजाय छोटे-छोटे बिखरे हुए सेल्स में सिमट गया था.
शीर्ष नेतृत्व में अब सिर्फ देवूजी
उइके के मारे जाने के बाद सुरक्षा एजेंसियों का मानना है कि अब माओवादी संगठन में देवूजी ही एकमात्र शीर्ष स्तर का नेता बचा है. देवूजी को एक वैचारिक दिग्गज माना जाता है, जो कभी संगठन के सैन्य विंग में अहम भूमिका निभाता था. हालांकि, उसकी उम्र और घटता प्रभाव यह संकेत दे रहे हैं कि माओवादी आंदोलन अब अंतिम दौर में पहुंच चुका है.
गृह मंत्री अमित शाह बोले- नक्सल मुक्त भारत की दिशा में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि
इस बड़ी सफलता पर गृह मंत्री अमित शाह ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर लिखा, “नक्सल मुक्त भारत की दिशा में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि. ओडिशा के कंधमाल में चलाए गए बड़े अभियान में केंद्रीय समिति के सदस्य गणेश उइके समेत छह नक्सलियों को मार गिराया गया है. इस सफलता के साथ ओडिशा नक्सलवाद से पूर्णतः मुक्त होने के कगार पर है. हम 31 मार्च 2026 से पहले नक्सलवाद को समाप्त करने के लिए दृढ़ संकल्पित हैं.”
नक्सलवाद के खिलाफ निर्णायक चरण
सुरक्षा अधिकारियों का कहना है कि लगातार वरिष्ठ नेताओं के मारे जाने, इलाकों के सिमटने और स्थानीय समर्थन के खत्म होने से माओवादी आंदोलन बुरी तरह कमजोर हो चुका है. फिलहाल इलाके में सघन सर्च ऑपरेशन जारी है और बचे हुए सशस्त्र कैडरों को खत्म करने तक अभियान जारी रहेगा.





