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तहव्वुर राणा का वकील कौन, क्या फांसी के फंदे से बचा पाएंगे पीयूष सचदेवा?

26/11 मुंबई आतंकी हमले के मास्टरमाइंड तहव्वुर राणा को भारत लाया गया है, जहां उसकी कानूनी लड़ाई वकील पीयूष सचदेवा लड़ेंगे. सचदेवा को दिल्ली राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के तहत यह जिम्मेदारी दी गई है. भारतीय न्याय व्यवस्था हर आरोपी को कानूनी सहायता देने का अधिकार देती है, और यह मामला उसी संवैधानिक सिद्धांत का उदाहरण है.

तहव्वुर राणा का वकील कौन, क्या फांसी के फंदे से बचा पाएंगे पीयूष सचदेवा?
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नवनीत कुमार
Edited By: नवनीत कुमार

Updated on: 11 April 2025 2:00 PM IST

भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है. यहां पर गुनहगार को भी अपनी सफाई का मौका मिलता है. अब 26/11 मुंबई आतंकी हमले के मास्टरमाइंड तहव्वुर राणा को आखिरकार अमेरिका से प्रत्यर्पित कर भारत लाया जा चुका है. कोर्ट ने उसे 18 दिन के लिए एनआईए की रिमांड में भेज दिया है. लेकिन एक सवाल उठ रहा था कि आखिर इतने बड़े आतंकी के लिए भारत में कौन वकील बनेगा? इस पर सबकी निगाहें टिकी थीं और नाम आया पीयूष सचदेवा का.

दिल्ली के वकील पीयूष सचदेवा अब तहव्वुर राणा की पैरवी करेंगे. वे दिल्ली राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण (DLSA) से जुड़े हैं, और ये जिम्मेदारी उन्हें इसी संस्था के अंतर्गत सौंपी गई है. भले ही राणा को भारत का दुश्मन माना जाता है, लेकिन देश की न्याय प्रणाली का मूल आधार यह है कि हर आरोपी को निष्पक्ष सुनवाई का अधिकार मिले. सचदेवा इसी संवैधानिक दायित्व को निभाते हुए कोर्ट में राणा का प्रतिनिधित्व करेंगे.

कौन हैं पीयूष सचदेवा?

सचदेवा ने 2011 में पुणे के आईएलएस लॉ कॉलेज से अपनी लॉ की पढ़ाई पूरी की और फिर किंग्स कॉलेज, लंदन से इंटरनेशनल बिजनेस और कॉमर्शियल लॉ में मास्टर्स किया. वे 2012 से सक्रिय रूप से कानून के क्षेत्र में काम कर रहे हैं और 2021 से डीएलएसए से जुड़े हुए हैं. उनका यह कदम उनके कानूनी अनुभव और जिम्मेदारी के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है.

कानूनी व्यवस्था के जरिए मिला केस

यह जानना जरूरी है कि सचदेवा का राणा का केस लेना किसी व्यक्तिगत विचारधारा से नहीं, बल्कि एक कानूनी व्यवस्था के तहत हुआ है. जब कोई आरोपी अपनी रक्षा के लिए वकील नहीं जुटा पाता, तो कोर्ट DLSA के ज़रिए वकील नियुक्त करती है. तहव्वुर राणा के मामले में भी ऐसा ही हुआ है. उसे अपनी बात रखने का अवसर मिले, यही लोकतांत्रिक प्रक्रिया की ताकत है.

भारत में है कानून का राज

इस केस के ज़रिए एक ओर जहां तहव्वुर राणा के अपराधों की जांच और न्याय की प्रक्रिया आगे बढ़ेगी, वहीं दूसरी ओर यह उदाहरण भी पेश होगा कि भारत में कानून का राज है. जहां सबसे बड़े आरोपी को भी अपना पक्ष रखने का कानूनी हक दिया जाता है, ताकि न्याय में कोई पक्षपात न हो. यही भारतीय लोकतंत्र की असली पहचान है.

तहव्वुर राणा
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