डिपोर्ट होकर पहुंच गई थीं बांग्लादेश, सुप्रीम कोर्ट ने बुलाया वापस - कौन है सोनाली खातून?
गर्भवती सोनाली खातून को दिल्ली से बांग्लादेश डिपोर्ट किया गया था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद उनकी भारत वापसी हुई. सोनाली खातून के पति भारतीय हैं. ऐसें उनके बच्चे भी भारतीय ही माने जाएंगे. इस आधार पर शीर्ष अदालत ने गर्भवती सोनाली खातून और उनके बच्चों को वापस लाने का आदेश दिया था. जानें कौन हैं वह और क्या है पूरा मामला.
गर्भवती महिला सोनाली खातून की कहानी ने देश में नागरिकता और मानवाधिकारों को लेकर बड़ी बहस खड़ी कर दी है. सीमा सुरक्षा बल द्वारा बांग्लादेश डिपोर्ट किए जाने के बाद मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा, जहां कोर्ट ने न सिर्फ सख्त प्रतिक्रिया दी बल्कि तुरंत कार्रवाई का आदेश देकर सुनाली की भारत वापसी सुनिश्चित कराई. इस घटना ने प्रशासनिक चूक, पहचान पत्रों की वैधता और मानवीय संवेदनाओं पर गहरी चर्चा छेड़ दी है.
कौन हैं सोनाली खातून?
सुनाली खातून पश्चिम बंगाल के उत्तर 24 परगना जिले की रहने वाली एक गर्भवती महिला है. उनके पास आधार, राशन कार्ड और अन्य भारतीय पहचान दस्तावेज मौजूद थे. स्थानीय स्तर पर वे लंबे समय से अपने परिवार के साथ रह रही थीं और रोजमर्रा की जिंदगी जी रही थीं.
बांग्लादेश भेजी गई प्रेग्नेंट महिला सुप्रीम कोर्ट के ऑर्डर के बाद वापस लाई गई. बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को महिला और उसके आठ साल के बच्चे को वापस लाने का निर्देश दिया थे. सरकार इंसानियत के आधार पर ऐसा करने के लिए मान गई थी. सोनाली खातून नौ महीने की प्रेग्नेंट हैं.
सुप्रीम कोर्ट के केंद्र को ऐसा करने का निर्देश देने के दो दिन बाद एक प्रेग्नेंट महिला, जिसे भारतीय नागरिक होने के बावजूद बांग्लादेश डिपोर्ट कर दिया गया था, को उसके आठ साल के बेटे के साथ देश वापस लाया जा चुका है.
नौ महीने की प्रेग्नेंट सोनाली खातून और बच्चा शुक्रवार को पश्चिम बंगाल के मालदा में जिला प्रशासन के कई अधिकारियों की मौजूदगी में भारत में दाखिल हुई. खातून, उनके पति दानिश शेख और उनका आठ साल का बेटा उन छह लोगों में शामिल थे, जिन्हें 27 जून को बॉर्डर पार करके बांग्लादेश भेज दिया गया था.
एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक सुनाली खातून को दिल्ली पुलिस ने बांग्लादेशी नागरिक होने के आरोप में पकड़ा था, जो गैर-कानूनी तरीके से देश में दाखिल हुई थी. महिला के पिता भोदू शेख ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि वह और उसका बच्चा भारत में आने के लिए बांग्लादेश की तरफ इंतजार कर रहे थे.
सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा था?
बुधवार को चीफ जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की बेंच ने केंद्र को खातून को वापस लाने का निर्देश दिया था. सरकार मानवीय आधार पर ऐसा करने के लिए मान गई थी. जस्टिस बागची ने कहा था कि चूंकि भोदू शेख की भारतीय नागरिकता पर कोई सवाल नहीं है, इसलिए खातून और उसके बच्चे भी नागरिकता कानून के तहत भारत के नागरिक होंगे.
ममता का सवाल - क्या सोनाली खातून बांग्लादेशी थीं?
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी बुधवार को मालदा में एक एंटी-स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) रैली के दौरान खातून का ज़िक्र किया था. तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी ने कहा था, "भारतीय नागरिकों को बांग्लादेशी कैसे कहा जा रहा है? क्या सोनाली खातून बांग्लादेशी थीं? वह भारतीय थीं. उनके पास भारतीय डॉक्यूमेंट्स होने के बावजूद उन्हें बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स का इस्तेमाल करके बांग्लादेश भेज दिया."





