Begin typing your search...

जम्मू डेमोलिशन में पत्रकार का घर टूटा तो हिंदू पड़ोसी ने दी मकान के लिए पांच मरला जमीन, क्या बोले सीएम उमर?

जम्मू में JDA की एंटी-एन्क्रोचमेंट ड्राइव के दौरान पत्रकार के पिता का 40 साल पुराना घर बिना नोटिस तोड़ दिया गया, जिसके बाद राजनीति और जनता में भारी उबाल है. इसी बीच एक हिंदू पड़ोसी ने आगे बढ़कर पीड़ित परिवार को पाँच मरला ज़मीन दान कर दी, जिससे इंसानियत की मिसाल देखने को मिली. भाजपा, कांग्रेस और पीडीपी ने कार्रवाई को ‘सेलेक्टिव’ बताया, जबकि परिवार ने इसे अन्याय कहा. मामला अब प्रशासन की पारदर्शिता पर बड़े सवाल खड़े कर रहा है.

जम्मू डेमोलिशन में पत्रकार का घर टूटा तो हिंदू पड़ोसी ने दी मकान के लिए पांच मरला जमीन, क्या बोले सीएम उमर?
X
( Image Source:  X/Nargis_Bano78 )
नवनीत कुमार
Edited By: नवनीत कुमार

Published on: 29 Nov 2025 10:25 AM

जम्मू में जे.डी.ए. की एंटी-एन्क्रोचमेंट ड्राइव के दौरान एक पत्रकार के पिता का 40 साल पुराना घर ढहा दिया गया और उसके बाद जो हुआ, उसने पूरे प्रदेश में चर्चा छेड़ दी. जब प्रशासन, मशीनों और पुलिस की ताक़त के सामने एक परिवार बेघर हुआ, तभी उसी मोहल्ले से एक हिंदू पड़ोसी आगे आया और कहा, “मेरा भाई बेघर नहीं रहेगा, मैं अपनी ज़मीन दूंगा.”

यह कदम जितना भावुक करने वाला था, उतना ही राजनीतिक तूफ़ान भी लेकर आया. विपक्ष से लेकर सत्ता पक्ष के कई नेता मौके पर पहुंचे, प्रशासन की कार्रवाई पर सवाल उठे, और सोशल मीडिया पर इंसानियत व अन्याय की दो चरम तस्वीरें आमने–सामने आ गईं. इसे लेकर सीएम ने कहा कि राजभवन में तैनात अधिकारी बिना अनुमति के बुलडोजर चला देते हैं.

हिंदू पड़ोसी की पेशकश- मेरा भाई घर बनाएगा

कुलदीप कुमार, अपनी बेटी तान्या के साथ, शुक्रवार को पत्रकार के परिवार के पास पहुंचे और पांच मरला ज़मीन दान करने का ऐलान कर दिया. उन्होंने कहा, “मैं अपनी बेटी के नाम से यह ज़मीन अपने भाई को दे रहा हूं ताकि वह फिर से घर खड़ा कर सके.” इस भावनात्मक क्षण का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया और इसे जम्मू–कश्मीर की असली गंगा–जमुनी संस्कृति का उदाहरण बताया जाने लगा.

कार्रवाई पर बढ़ा विवाद

पूर्व भाजपा प्रदेश अध्यक्ष रविंदर रैना भी मौके पर पहुंचे और जे.डी.ए. की कार्रवाई पर सवाल उठाए. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री का विज़न गरीबों को घर देना है, उन्हें तोड़ना नहीं. रैना ने यह भी दावा किया कि एलजी ने ऐसे किसी डेमोलिशन का आदेश नहीं दिया. उन्होंने कुलदीप कुमार की ‘जमीन दान’ पहल को “जम्मू–कश्मीर की इंसानियत की मिसाल” बताया.

बिना नोटिस तोड़ दिया 40 साल पुराना घर

पीड़ित पत्रकार ने कहा कि यह घर उनके पिता का था और वे चार दशक से वहीं रह रहे थे. उन्होंने दावा किया कि न कोई नोटिस मिला, न सुनवाई का मौका. उनके अनुसार, “अगर यह अवैध था, तो 40 साल तक प्रशासन कहां था? और सिर्फ़ यही घर क्यों?”

बड़े कब्जेदारों पर कार्रवाई क्यों नहीं?

कांग्रेस नेता रमन भल्ला ने इसे “कानूनी क्रूरता” बताया और कहा कि किसी भी डेमोलिशन से पहले लोगों को सुने बिना कार्रवाई नहीं होनी चाहिए. वहीं पीडीपी नेता वरिंदर सिंह सोनू ने JDA पर “छोटे लोगों को निशाना बनाने” का आरोप लगाया. उन्होंने पूछा, “अगर एन्क्रोचमेंट हटानी है, तो सौ–सौ कनाल पर महल बनवाने वालों पर भी बुलडोज़र चलाओ. सिर्फ़ तीन मरला वाले पर क्यों?”

16,000 कनाल जमीन पर कब्ज़ा

JDA का कहना है कि यह कार्रवाई उनकी व्यापक एंटी-एन्क्रोचमेंट मुहिम का हिस्सा है. सरकार ने विधानसभा में बताया था कि जम्मू में 16,212 कनाल जमीन JDA की कब्ज़े में नहीं है, जिसमें कुछ हिस्से उन्हें पहले से ही Encroachment के साथ मिले थे.

जम्मू की सड़कों पर दो तस्वीरें

एक तरफ आरोप–प्रतिआरोप, राजनीतिक बयानबाज़ी और प्रशासनिक असमंजस; दूसरी ओर एक आम नागरिक का अपनी कमाई की ज़मीन दान कर देना. जम्मू में इस घटना ने भावनाओं का अनोखा मिश्रण पैदा कर दिया है. अब नज़रें इस बात पर टिकी हैं कि क्या प्रशासन इस घटना की कानूनी समीक्षा करेगा और क्या पीड़ित परिवार को न्याय व पुनर्वास मिलेगा या मामला सिर्फ़ राजनीतिक बयानबाज़ी बनकर रह जाएगा.

India News
अगला लेख